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Blind T20 women’s World Cup: परिवार ने कभी पत्ते खाकर पेट भरा, मजदूरी की,अब सुषमा की सफलता से पूरा गांव खुश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: प्रिया वर्मा Updated Tue, 25 Nov 2025 01:42 PM IST
सार

दमोह के छोटे से गांव घाना मैली की दृष्टिबाधित बेटी सुषमा उस टीम में शामिल थी जिसने कोलंबो में हुए T20 विश्व कप में भारत का मान बढ़ाया। नेपाल को हराकर टीम इंडिया ने जीत हासिल की। इस सफलता से सुषमा का पूरा परिवार खुश है। गांव वाले सुषमा के घर आने का इंतजार कर रहे हैं। 

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Damoh News: Visually Impaired Sushma Patel Makes History, Leads India to Victory in T20 World Cup at Colombo
घाना मैली की दृष्टिबाधित बेटी ने रचा इतिहास - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जिले के जबेरा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले घाना मैली गांव की दृष्टिबाधित बेटी सुषमा पटेल समेत पूरी भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया है। टीम ने कोलंबो (श्रीलंका) में आयोजित टी 20 विश्व कप में नेपाल की टीम को हराकर देश को गौरवान्वित किया। इस खबर के बाद पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है। टीम में शामिल गांव की सुषमा को सभी लोग बधाई दे रहे हैं। 

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सुषमा के पिता बाबूलाल पटेल मजदूर हैं और उनके पास मात्र डेढ़ एकड़ जमीन है, जिसमें वे सब्जी उगाकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। परिवार के सभी सदस्य खेती में उनका सहयोग करते हैं। बेटी की इस सफलता पर गर्व जताते हुए बाबूलाल ने कहा कि मैंने हमेशा अपने बच्चों से कहा कि मेहनत करो और कुछ अच्छा करो। आज मेरी बेटी ने मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। उन्होंने समाज से अपील की कि बेटा-बेटी में भेदभाव न करें और दोनों को समान अवसर दें। अगर माता-पिता बच्चों का साथ दें तो वे खेल हो या पढ़ाई हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं।

बाबूलाल ने अपने संघर्ष का जिक्र करते हुए बताया कि हम बहुत गरीब परिवार से हैं। एक समय ऐसा भी था, जब पत्ते खाकर पेट भरना पड़ता था। मैंने 35 किलोमीटर दूर तक जाकर मजदूरी की है। आज उसी जमीन पर सब्जी उगाकर परिवार चल रहा है और मेरी बेटी ने उस मिट्टी से उठकर देश का नाम रोशन किया है।

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दृष्टिबाधित होने के बावजूद नहीं मानी हार

सुषमा बचपन से ही दृष्टिबाधित हैं। उनके भाई अभिषेक पटेल द्वारा खेलते समय गलती से छोड़े गए तीर से सुषमा की एक आंख घायल हो गई थी, जिससे वह लगभग खत्म हो गई और दूसरी आंख की दृष्टि भी सीमित रह गई।

अभिषेक खुद रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं लेकिन एक हादसे और बाद में लॉकडाउन के चलते उनका क्रिकेट करियर थम गया। उसी समय से सुषमा को भी क्रिकेट खेलने का शौक हुआ और वह अपने भाई के साथ जबलपुर में जाकर प्रशिक्षण लेने लगी। बाद में उन्होंने इंदौर में भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए प्रयास किया लेकिन कोच ने उनकी दृष्टि बाधा को देखते हुए उन्हें दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम में प्रयास करने की सलाह दी। फिर सुषमा को दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम में जगह मिली। 

विश्व कप में शानदार प्रदर्शन
कोलंबो में हुए फाइनल मुकाबले में नेपाल की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 5 विकेट खोकर 114 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए मात्र 12.1 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया। इस मैच में सुषमा ने 6 ओवर में 1 विकेट लेकर टीम को महत्वपूर्ण सफलता दिलाई।

सुषमा की सफलता की खबर मिलते ही घाना मैली गांव में जश्न का माहौल है। परिवार, रिश्तेदार और ग्रामीण सभी गर्व महसूस कर रहे हैं। सुषमा की तीन बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है, जबकि सुषमा अब अपने संघर्ष, मेहनत और हौंसले से पूरे प्रदेश की बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।

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