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Dindori News: फर्जी दस्तावेजों से संविलियन का लाभ, शिक्षकों की जांच में लापरवाही, आरटीआई से हुआ खुलासा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, डिंडौरी Published by: डिंडोरी ब्यूरो Updated Thu, 12 Jun 2025 11:17 PM IST
सार

डिंडौरी में शिक्षकों द्वारा फर्जी डीएड दस्तावेजों से संविलियन और पदोन्नति लेने का मामला फिर तूल पकड़ गया है। अदालत के आदेश के नौ महीने बाद भी विभाग ने जांच नहीं कराई। आरटीआई कार्यकर्ता चेतराम राजपूत अब उच्च न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं। दस्तावेजों की वैधता पर सवाल हैं।

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Benefit of merger through fake documents
फर्जी दस्तावेज़ों से संविलियन का लाभ
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विस्तार
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डिंडौरी जिले में शिक्षकों के फर्जी दस्तावेजों से जुड़े पुराने मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। आरटीआई कार्यकर्ता चेतराम राजपूत द्वारा प्राप्त जानकारी से यह खुलासा हुआ है कि अदालत के स्पष्ट आदेश के नौ महीने बाद भी जनजातीय कार्य विभाग ने दोषी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच नहीं कराई है। इससे विभाग की गंभीर लापरवाही सामने आई है।

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इस पूरे प्रकरण की शुरुआत अप्रैल 2018 में हुई थी, जब समनापुर पुलिस ने पांच शिक्षकों के खिलाफ फर्जी डिप्लोमा के आधार पर संविलियन का लाभ लेने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। आरोपियों में अजमेर दास सोनवानी, आरती मोगरे, संतू सिंह, मुकेश द्विवेदी और देवेंद्र उर्फ दीपक शामिल थे।
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प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने 19 सितंबर 2024 को दिए अपने फैसले में तीन आरोपियों अजमेर दास सोनवानी, मुकेश द्विवेदी और कंप्यूटर ऑपरेटर दीपक को दोषी ठहराया। इन्हें एक-एक महीने की सजा और 5-5 हजार रुपए जुर्माना दिया गया। जबकि दस्तावेजों के अभाव में आरती मोगरे और संतू सिंह को दोषमुक्त कर दिया गया। वर्तमान में आरती मोगरे माध्यमिक शाला हल्दी करेली और संतू सिंह समनापुर ब्लॉक में पदस्थ हैं।

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मार्कशीट पर उठे सवाल
आरटीआई से यह भी सामने आया कि आरोपी शिक्षकों की डीएड मार्कशीट में संदेहास्पद समानताएं हैं। अजमेर दास सोनवानी, मुकेश द्विवेदी और आरती मोगरे की डीएड की अंकसूचियों में न केवल कुल अंक (519/700) समान हैं, बल्कि अंकपत्रों पर एक ही हस्ताक्षरकर्ता शांति शर्मा की मुहर और साइन हैं, जो वर्ष 1996 से 1998 तक जबलपुर स्थित जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान में प्राचार्य थीं। जबकि सोनवानी ने डीएड 2008 में किया था, उस समय प्राचार्य कंचन लता जैन थीं। यह तथ्य अंकपत्र की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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विभागीय चुप्पी और आगे की कार्रवाई
जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला का कहना है कि जल्द ही पूरे मामले की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। आरटीआई कार्यकर्ता चेतराम राजपूत इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय जाने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि विभाग को तत्काल इन शिक्षकों की डीएड अंकसूचियों की वैधता की जांच करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर उन्हें पदोन्नति का लाभ भी मिला है।

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