MP: ग्वालियर लाइब्रेरी में सुरक्षित संविधान की मूल प्रति बनी आकर्षण का केंद्र, संविधान दिवस पर युवाओं की भीड़
Gwalior News: ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में संविधान की जो मूल प्रति रखी है, वह 31 मार्च 1956 को यहां लाई गई थी। उस समय देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान की कुल 16 मूल प्रतियां भेजी जा रही थीं, और मध्य प्रदेश में ग्वालियर वह इकलौता शहर था, जहां यह प्रति भेजी गई।
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देश में इन दिनों यह बहस तेज है कि संविधान किसने लिखा है। जैसा कि हमने पढ़ा है, संविधान के मूल रचयिता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर हैं। लेकिन एक वर्ग यह दावा भी करता है कि संविधान का प्रारूप सर बी.एन. राव ने तैयार किया था। आज संविधान दिवस के मौके पर यह बहस फिर चर्चा में है।
इसी बीच ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में संरक्षित संविधान की मूल प्रति युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यहां बड़ी संख्या में युवा संविधान की मूल प्रति का अध्ययन कर रहे हैं। उनका कहना है कि संविधान किसने लिखा, इस पर बहस से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि भारत का संविधान विश्व के श्रेष्ठ संविधानों में शामिल है।
दरअसल, ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में संविधान की जो मूल प्रति रखी है, वह 31 मार्च 1956 को यहां लाई गई थी। उस समय देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान की कुल 16 मूल प्रतियां भेजी जा रही थीं, और मध्य प्रदेश में ग्वालियर वह इकलौता शहर था, जहां यह प्रति भेजी गई।
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यह मूल प्रति कई मायनों में खास है। इसके आवरण पृष्ठ पर स्वर्ण अक्षर अंकित हैं। कुल 231 पृष्ठों वाली इस प्रति में संविधान के अनुच्छेद 344 से 351 तक शामिल हैं। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि संविधान सभा के 286 सदस्यों के मूल हस्ताक्षर इस प्रति में मौजूद हैं। इनमें बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद से लेकर फिरोज गांधी तक शामिल हैं। हर अनुच्छेद की शुरुआत एक विशेष प्रतीकात्मक चित्र से की गई है, जो इस प्रति को और भी अद्वितीय बनाता है।