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Harda Blast: ग्राउंड जीरो पर बचाव अभियान खत्म, अग्रवाल के पास 12 लाइसेंस, दो ही थे सस्पेंड

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरदा Published by: रवींद्र भजनी Updated Wed, 07 Feb 2024 02:44 PM IST
सार

Harda Blast News In HIndi: मध्य प्रदेश के हरदा में पटाखा फैक्टरी में हुए ब्लास्ट मामले में ग्राउंड जीरो पर बचाव अभियान खत्म हो गया है। यह बात सामने आई है कि पटाखा फैक्टरी के मालिकों के पास 12 लाइसेंस थे। इनमें से दो ही सस्पेंड थे। 

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Harda Blast: Rescue Operation At Ground Zero Stops, Two Out Of 12 Lincences Were Suspended
पोकलेन मशीनों से मलबा हटाने का काम दोपहर तक जारी रहा। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हरदा में पटाखा फैक्टरी में हुए ब्लास्ट मामले में ग्राउंड जीरो पर रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है। अब तक 11 लोगों की मौत की सूचना है। आंकड़ा बढ़ सकता है क्योंकि गंभीर मरीजों का अब भी अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस बीच पता चला है कि हरदा पटाखा फैक्टरी के मालिक राजू अग्रवाल पर सरकारी अफसर बड़े ही मेहरबान थे। उसके पास 12 लाइसेंस थे। उनमें से सिर्फ दो लाइसेंस ही सस्पेंड थे। इन लाइसेंस की वजह से ही राजू अग्रवाल ने छोटी सी दुकान से पटाखे का बड़ा साम्राज्य खड़ा किया है। 

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हरदा पटाखा फैक्टरी हादसे में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उससे पता चला है कि अग्रवाल परिवार को आंख मूंदकर लाइसेंस दिए जा रहे थे। इस परिवार के पास हरदा जिले में 12 लाइसेंस थे। जिस फैक्ट्री में हादसा हुआ, उसके दो लाइसेंस निलंबित थे। फिर भी अवैध रूप से पटाखों का भंडारण हो रहा था। भोपाल के संभागायुक्त पवन कुमार शर्मा ने कहा कि अग्रवाल को निश्चित समयावधि के लिए स्टे दिया गया था। उसका मतलब यह नहीं था कि वह हमेशा के लिए अपने कारोबार का संचालन कर सकता है। 

630 किलो से ज्यादा विस्फोटक सामग्री थी फैक्ट्री में
जिस फैक्टरी में हादसा हुआ, उनमें से एल-5 के दो लाइसेंस थे। इसमें कुल 300 किलो विस्फोटक सामग्री रखने की अनुमति रहती है। एल-2 कैटगरी में 15-15 किलो विस्फोटक रखने की अनुमति जिला स्तर पर दी जाती है। फैक्टरी में 600 किलो से ज्यादा विस्फोटक सामग्री थी, जो हादसे की वजह बनी। फैक्टरी को लेकर विस्फोटकों का लाइसेंस राजेश, सोमेश और उनके एक रिश्तेदार के नाम पर था।  

अफसरों को मुफ्त में देता था पटाखे 
अफसरों के साथ ही राजू अग्रवाल दोनों ही प्रमुख पार्टियों के नेताओं का चहेता था। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि सरकारी अधिकारियों के वाहन आते और मुफ्त में पटाखे लेकर जाते। लोगों का कहना है कि इस वजह से सरकारी अधिकारी भी राजू अग्रवाल पर मेहरबान रहते थे।  

पहले हो चुकी है तीन मौत
फैक्टरी के पास तीन साल पहले एक मकान में तीन महिलाओं की पटाखा बनाते समय मौत हो गई थी। राजू अग्रवाल घरों में लोगों को कच्चा माल देता था। उनसे पटाखे बनवाता था। इसके बदले में उन्हें पैसा देता था। यह गोरखधंधा अवैध तरीके से चलता था। 

नर्मदापुरम के कमिश्नर पवन कुमार शर्मा ने कहा कि सोमेश फायर वर्क्स की फैक्टरी के दो लाइसेंस निरस्त किए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि ग्राउंड जीरो पर रेस्क्यू ऑपरेशऩ पूरा हो चुका है। फैक्टरी के चार लाइसेंस में दो लाइसेंस एक महीने के लिए निलंबित किए गए थे। 300KG के एल-5 लाइसेंस वैध थे। 15KG के दो लाइसेंस एक महीने के लिए निलंबित थे। यह निलंबन नहीं हटा था। जिस जमीन पर फैक्टरी चलाई जा रही थी, उसमें आधे क्षेत्र में कृषि और आधे में कारोबार की इजाजत थी। फैक्टरी के बेसमेंट को स्टॉक रखने के लिए छोटा-सा हिस्सा बनाया था। उस हिस्से में पानी और मुरम भरी मिली है। 11 लोगों की मौत हुई है। एक शव की शिनाख्त नहीं हुई है। 32 टैंकर और 12 पोकलेन मशीनों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशऩ चलाया गया है।  

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