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Indore News: मकर संक्रांति से पहले दिखने लगे भिक्षुक, प्रशासन ने शुरू किया रेस्क्यू अभियान
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
Published by: अर्जुन रिछारिया
Updated Wed, 10 Dec 2025 10:02 AM IST
सार
Indore News: मकर संक्रांति पर बढ़ती भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने विशेष अभियान शुरू किया है। शहर के मंदिरों, चौराहों और बाजारों में संयुक्त टीमें लगातार रेस्क्यू अभियान चला रही हैं।
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- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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विस्तार
मकर संक्रांति के अवसर पर शहर में बच्चों और प्रवासी भिक्षुकों की संख्या बढ़ने की आशंका के चलते जिला प्रशासन सक्रिय हो गया है। कलेक्टर ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि बाहरी राज्यों से आने वाले भिक्षुकों पर विशेष निगरानी रखी जाए और यह पता लगाया जाए कि वे किन मार्गों से शहर में प्रवेश कर रहे हैं। साथ ही, प्रशासन यह भी जांच रहा है कि किन राज्यों से उनकी आवाजाही अधिक हो रही है। दान के पर्व और बढ़ती सर्दी के बीच सड़कों पर भिक्षुकों की गतिविधियां तेजी से बढ़ने पर प्रशासन ने व्यापक अभियान शुरू किया है। रोकथाम के साथ-साथ भिक्षुकों के पुनर्वास के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं।
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संयुक्त टीम सक्रिय, पुनर्वास को मिल रही प्राथमिकता
शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग तथा तीन अन्य विभागों की संयुक्त टीमों को फिर से सक्रिय किया गया है। ये टीमें मंदिरों, प्रमुख बाजारों, चौराहों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में लगातार अभियान चला रही हैं। विशेष ध्यान नाबालिग भिक्षुकों पर दिया जा रहा है, क्योंकि त्योहारों के दौरान इनकी संख्या बढ़ जाती है। कलेक्टर शिवम वर्मा ने निर्देश दिए हैं कि उन राज्यों और क्षेत्रों की सूची तैयार की जाए जहां से सबसे अधिक भिखारी आ रहे हैं और साथ ही उन मार्गों की भी ट्रैकिंग की जाए जिनसे लगातार भिक्षुक शहर में प्रवेश कर रहे हैं। पिछले वर्ष चलाए गए अभियान में अब तक 3,000 से अधिक भिक्षुकों को पकड़ा गया, जिनमें से कई को पुनर्वास केंद्रों में भेजा गया है। लगभग 1,100 लोगों को लघु रोजगार, कौशल प्रशिक्षण और आजीविका कार्यक्रमों से जोड़ा गया है ताकि वे दोबारा भिक्षावृत्ति की ओर न लौटें।
बच्चों पर फोकस, काउंसलिंग और शिक्षा पर जोर
अभियान के दौरान अब तक करीब 500 नाबालिग भिक्षुकों की पहचान की गई है, जिनमें से 200 से अधिक को स्कूलों, बाल भवनों और आश्रय गृहों में भेजा गया है, जबकि 50 से ज्यादा बच्चों को उनके परिवारों से मिलाकर घर भेजा गया। प्रशासन का कहना है कि बच्चों को रेस्क्यू करने के बाद तत्काल काउंसलिंग की व्यवस्था की गई है, ताकि उन्हें सुरक्षित वातावरण में आगे बढ़ने का मौका मिल सके। ठंड और त्योहार के कारण लोगों की संवेदनशीलता बढ़ने से चौराहों पर बच्चों की संख्या में तेजी आई है, जिस पर रोक लगाने के लिए टीमें लगातार सख्ती के साथ काम कर रही हैं।
देवगुराड़िया-अन्नपूर्णा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बाल भिक्षुक
मकर संक्रांति के पहले शहर से बाहर स्थित प्रमुख मंदिरों देवगुराड़िया, अन्नपूर्णा, बिजासन और पितृ पर्वत के आसपास सबसे अधिक बाल भिक्षुक देखे जा रहे हैं। वहीं शनि मंदिर के बाहर भी विशेष अभियान चलाया जा रहा है। प्रशासन ने बताया कि पर्व के दौरान मिलने वाले दान और ठंड में बच्चों के प्रति लोगों की उदारता के कारण भिक्षावृत्ति बढ़ जाती है। ऐसे बच्चों को तत्काल रेस्क्यू कर सुरक्षा गृह भेजा जा रहा है। कलेक्टर ने नागरिकों से अपील की है कि वे भिक्षा न देकर प्रशासन के पुनर्वास अभियान में सहयोग करें, क्योंकि भिक्षा देना बंद होने पर ही भिक्षावृत्ति का चक्र टूटेगा और शहर को स्थायी रूप से भिक्षुक मुक्त बनाने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
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शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग तथा तीन अन्य विभागों की संयुक्त टीमों को फिर से सक्रिय किया गया है। ये टीमें मंदिरों, प्रमुख बाजारों, चौराहों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में लगातार अभियान चला रही हैं। विशेष ध्यान नाबालिग भिक्षुकों पर दिया जा रहा है, क्योंकि त्योहारों के दौरान इनकी संख्या बढ़ जाती है। कलेक्टर शिवम वर्मा ने निर्देश दिए हैं कि उन राज्यों और क्षेत्रों की सूची तैयार की जाए जहां से सबसे अधिक भिखारी आ रहे हैं और साथ ही उन मार्गों की भी ट्रैकिंग की जाए जिनसे लगातार भिक्षुक शहर में प्रवेश कर रहे हैं। पिछले वर्ष चलाए गए अभियान में अब तक 3,000 से अधिक भिक्षुकों को पकड़ा गया, जिनमें से कई को पुनर्वास केंद्रों में भेजा गया है। लगभग 1,100 लोगों को लघु रोजगार, कौशल प्रशिक्षण और आजीविका कार्यक्रमों से जोड़ा गया है ताकि वे दोबारा भिक्षावृत्ति की ओर न लौटें।
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देवगुराड़िया-अन्नपूर्णा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बाल भिक्षुक
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