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Indore News: सबसे बड़ा यू-टर्न! MY अस्पताल में चूहों के काटने से नहीं गई थी मासूमों की जान, सरकार की रिपोर्ट
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
Published by: अर्जुन रिछारिया
Updated Tue, 16 Sep 2025 08:40 AM IST
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सार
Indore News: इंदौर के एमवाय अस्पताल में दो नवजातों की मौत मामले में सरकार ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दावा किया है कि बच्चों की मौत चूहों के काटने से नहीं, बल्कि अन्य बीमारियों के कारण हुई। कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था।

एमवाय अस्पताल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
इंदौर के महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की मौत के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में सरकार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश करते हुए यह स्पष्ट किया कि बच्चों की मौत चूहों के काटने से नहीं हुई थी। रिपोर्ट में धार के एक दंपति के नवजात की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि शिशु के कुछ अंग पूरी तरह से विकसित नहीं थे और उसे अन्य गंभीर बीमारियां भी थीं।
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सरकार का दावा: चूहों के काटने से नहीं हुई मौत
राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि नवजातों की मृत्यु का कारण 'रेट बाइट' (चूहे का काटना) नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, एक शिशु की पोस्टमॉर्टम जांच में पाया गया कि उसके कई आंतरिक अंग अविकसित थे, जो उसकी मौत का मुख्य कारण बना। सरकार ने यह भी बताया कि पहली घटना 30 अगस्त की सुबह 4 बजे और दूसरी 31 अगस्त की रात 10:30 बजे हुई थी। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि पहली घटना के बाद क्या कदम उठाए गए और कहां चूक हुई।
लापरवाही पर कार्रवाई, पेस्ट कंट्रोल कंपनी ब्लैकलिस्ट होगी
रिपोर्ट में यह माना गया है कि घटना की जानकारी समय पर न देने वाले और जिनकी उपस्थिति में यह लापरवाही हुई, वे सभी जिम्मेदार हैं। सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में पेस्ट कंट्रोल का काम देख रही 'एजाइल कंपनी' को ब्लैकलिस्ट करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है। यह कार्रवाई कंपनी की घोर लापरवाही के चलते की गई है।
हाईकोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान
उल्लेखनीय है कि इस दर्दनाक घटना पर जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस पिल्लई की बेंच ने स्वतः संज्ञान लिया था। कोर्ट ने इसे नवजातों के मौलिक अधिकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर मामला माना था। घटना के 15 दिन बाद भी कोई ठोस कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 15 सितंबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जाएंगे कड़े कदम
सरकार ने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। इसके तहत, एमवाय अस्पताल के PICU और NICU वार्डों को तत्काल प्रभाव से बेहतर सुविधाओं के साथ सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में स्थानांतरित किया जाएगा। जब तक यह स्थानांतरण पूरा नहीं होता, तब तक मौजूदा यूनिटों में नियमित रूप से फ्यूमिगेशन और पेस्ट कंट्रोल कराया जाएगा, ताकि ऐसी कोई भी अप्रिय घटना दोबारा न हो। सुनवाई के दौरान इस बात पर भी सहमति बनी कि शासन द्वारा जारी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए यदि आवश्यक हो तो एक अलग अथॉरिटी का भी गठन किया जा सकता है।

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राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि नवजातों की मृत्यु का कारण 'रेट बाइट' (चूहे का काटना) नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, एक शिशु की पोस्टमॉर्टम जांच में पाया गया कि उसके कई आंतरिक अंग अविकसित थे, जो उसकी मौत का मुख्य कारण बना। सरकार ने यह भी बताया कि पहली घटना 30 अगस्त की सुबह 4 बजे और दूसरी 31 अगस्त की रात 10:30 बजे हुई थी। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि पहली घटना के बाद क्या कदम उठाए गए और कहां चूक हुई।
लापरवाही पर कार्रवाई, पेस्ट कंट्रोल कंपनी ब्लैकलिस्ट होगी
रिपोर्ट में यह माना गया है कि घटना की जानकारी समय पर न देने वाले और जिनकी उपस्थिति में यह लापरवाही हुई, वे सभी जिम्मेदार हैं। सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में पेस्ट कंट्रोल का काम देख रही 'एजाइल कंपनी' को ब्लैकलिस्ट करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है। यह कार्रवाई कंपनी की घोर लापरवाही के चलते की गई है।
हाईकोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान
उल्लेखनीय है कि इस दर्दनाक घटना पर जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस पिल्लई की बेंच ने स्वतः संज्ञान लिया था। कोर्ट ने इसे नवजातों के मौलिक अधिकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर मामला माना था। घटना के 15 दिन बाद भी कोई ठोस कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 15 सितंबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जाएंगे कड़े कदम
सरकार ने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। इसके तहत, एमवाय अस्पताल के PICU और NICU वार्डों को तत्काल प्रभाव से बेहतर सुविधाओं के साथ सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में स्थानांतरित किया जाएगा। जब तक यह स्थानांतरण पूरा नहीं होता, तब तक मौजूदा यूनिटों में नियमित रूप से फ्यूमिगेशन और पेस्ट कंट्रोल कराया जाएगा, ताकि ऐसी कोई भी अप्रिय घटना दोबारा न हो। सुनवाई के दौरान इस बात पर भी सहमति बनी कि शासन द्वारा जारी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए यदि आवश्यक हो तो एक अलग अथॉरिटी का भी गठन किया जा सकता है।