{"_id":"6851c9d0ccd3e60b49056512","slug":"do-not-keep-people-in-jail-indefinitely-for-messages-and-videos-that-incite-religious-sentiments-jabalpur-news-c-1-1-noi1229-3072836-2025-06-18","type":"story","status":"publish","title_hn":"Jabalpur: धार्मिक भावना भड़काने वाले मैसेज-वीडियो भेजने पर अनिश्चितकाल तक नहीं रख सकते जेल में, HC ने दी जमानत","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Jabalpur: धार्मिक भावना भड़काने वाले मैसेज-वीडियो भेजने पर अनिश्चितकाल तक नहीं रख सकते जेल में, HC ने दी जमानत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Wed, 18 Jun 2025 08:52 PM IST
सार
डिंडौरी की अतिथि महिला प्रोफेसर डॉ. नसीम बानो को धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में जेल भेजा गया था। हाईकोर्ट ने माना कि आरोपी को अनिश्चितकाल जेल में नहीं रखा जा सकता, इसलिए उसे सशर्त जमानत दी गई। मामला व्हाट्सऐप पर विवादित वीडियो और संदेश पोस्ट करने से जुड़ा है।
विज्ञापन
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
सोशल मीडिया में विवादित टिप्पणी करने वाली अतिथि महिला प्रोफेसर को हाईकोर्ट से जमानत का लाभ मिल गया है। हाईकोर्ट जस्टिस एके सिंह की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले मैसेज व वीडियो भेजने के आरोपी को अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता है। एकलपीठ ने अतिथि महिला प्रोफेसर को सशर्त जमानत का लाभ प्रदान किया है।
Trending Videos
ये भी पढ़ें-पति की मौत के बाद पिता करवाना चाहते हैं दूसरी शादी, हाईकोर्ट ने नाबालिग को फूफा को सौंपा
विज्ञापन
विज्ञापन
बता दें कि डिंडौरी में पदस्थ अतिथि महिला प्रोफेसर डॉ. नसीम बानो ने व्हाट्सअप ग्रुप में सीता माता के अपहरण का कार्टून वीडियो पोस्ट किया था। इसके अलावा पोस्ट में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा था कि आतंकवादियों के द्वारा धर्म पूछकर गोली मारने और जय श्री राम के नारे लगाकर मारने में कोई अंतर नहीं है। डिंडौरी की कोतवाली पुलिस ने उनके खिलाफ बीएनएस, 2023 की धारा 196, 299 और 353(2) के अंतर्गत अपराध दर्ज किया था।
ये भी पढ़ें-मंत्री विजय शाह के खिलाफ हाईकोर्ट ने समाप्त की कार्यवाही, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लिया निर्णय
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरोपी महिला प्रोफेसर 28 अप्रैल 2025 से न्यायिक अभिरक्षा में है। ट्रायल कोर्ट ने 30 अप्रैल 2025 को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसके खिलाफ इसके अलावा कोई अन्य अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है। एक शिक्षित व्यक्ति और कॉलेज में अतिथि प्रोफेसर के पद पर पदस्थ व्यक्तियों को व्हाट्सएप संदेश भेजने में जिम्मेदार होना चाहिए। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले संदेश, वीडियो भेजने करने के आधार पर किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता है।

कमेंट
कमेंट X