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Jabalpur News: शहडोल कलेक्टर पर लगाई दो लाख की कॉस्ट, गलत हलफनामा प्रस्तुत करने पर कोर्ट सख्त
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Tue, 04 Nov 2025 11:01 PM IST
सार
हाईकोर्ट ने एनएसए कार्रवाई में कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने और गलत हलफनामा देने पर शहडोल कलेक्टर केदार सिंह पर दो लाख रुपए की लागत लगाई और अवमानना नोटिस जारी किया। कोर्ट ने मुख्य सचिव को कलेक्टर व अतिरिक्त प्रमुख सचिव के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं करने तथा गलत हलफनामा प्रस्तुत करने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल तथा जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने शहडोल कलेक्टर केदार सिंह पर दो लाख रुपए की कॉस्ट लगाते हुए अवमानना नोटिस जारी किए हैं। अवमानना कार्रवाई पर अगली सुनवाई 25 नवम्बर को निर्धारित की गई है। युगलपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव को अतिरिक्त प्रमुख सचिव तथा शहडोल कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं।
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शहडोल निवासी कृषक हीरामनी वैश्य ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना बेटे सुशांत वैश्य खिलाफ एनएसए के कार्रवाई का आदेश जारी किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि एनएसए की कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक ने 6 सितंबर 2024 को जिला कलेक्टर को प्रतिवेदन भेजा था। कलेक्टर ने 9 सितम्बर 2024 को बिना किसी स्वतंत्र गवाह के बयान दर्ज करते हुए उसी दिन एनएसए कार्रवाई के आदेश पारित कर दिए। याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि उसके बैठे के खिलाफ रेत ठेकेदार के प्रभाव में एनएसए की कार्रवाई की गई है।
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एनएनए की कार्रवाई जिस आपराधिक प्रकरण के कारण की गई है, उसमें लोक अदालत के माध्यम से समझौता हो गया है। आदेश में जिन बयान का उल्लेख किया गया है उक्त बयान उक्त आपराधिक प्रकरण के दौरान दर्ज किए गए थे। इसके अलावा आदेश में उनके बेटे के नाम के स्थान पर नीरजकांत द्विवेदी का नाम लिखा हुआ है। एनएसए की कार्रवाई के आदेश को पुष्टि के लिए राज्य सरकार को भी नहीं भेजा गया था। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कलेक्टर शहडोल केदार सिंह व पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव को हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने पारित आदेश में याचिकाकर्ता के पुत्र के बजाय नीरजकांत द्विवेदी के नाम का उल्लेख किए जाने की गलती स्वीकार की गई। उनकी तरफ से तर्क दिया गया था कि नीरजकांत द्विवेदी और सुशांत बैस के मामलों की सुनवाई एक साथ की गई थी। इस तथ्यात्मक गलती के अलावा आदेश पारित करने में कोई अन्य त्रुटि नहीं है।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा गया था कि जिला कलेक्टर द्वारा एनएसए की कार्रवाई के अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजी गई फाइल प्रस्तुत हाईकोर्ट में प्रस्तुत करें। कलेक्टर द्वारा अनुमोदन के लिए फाइल अग्रेषित नहीं की गई है तो राज्य को उनके खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए। आदेश को पुष्टि भेजा भी गया था तो अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग ने अपने विवेक का उपयोग किए बिना कलेक्टर द्वारा पारित आदेश को मंजूरी प्रदान कर दी। आदेश को पढ़ने की जहमत तक नहीं उठाई गई। युगलपीठ ने इस संबंध में एसीएस गृह एसएस शुक्ला से हलफनामे में जवाब मांगा था।
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अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह की तरफ से पेश हलफनामा में कहा गया था कि एनएसए के आदेश को अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजा गया था। टाइपिंग की गलती के कारण आदेश में याचिकाकर्ता के पुत्र के नाम के स्थान पर नीरजकांत द्विवेदी के नाम का उल्लेख किया गया है। इसके लिए क्लर्क को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता ब्रम्हेन्द्र पाठक ने बताया कि कलेक्टर केदारनाथ ने अपने हलफनामा में कहा था कि एनएसए की प्रकरण की सुनवाई के दौरान तीन व्यक्ति के बयान दर्ज किए गए थे। तीनों व्यक्ति के वही बयान थे जो उन्होंने याचिकाकर्ता के पुत्र के खिलाफ साल 2022 में दर्ज अपराधिक प्रकरण में दिए थे। इसमें लोक अदालत के माध्यम से समझौता हो गया है। युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि एनएसए के उपयोग टूल की तरह नहीं किया जा सकता है। एनएसए की कार्रवाई तभी की जाती है जब व्यक्ति से समाज व लोगों में भय की स्थिति उत्पन्न होती है। युगलपीठ ने कलेक्टर पर दो लाख रुपये की व्यक्तिगत कॉस्ट लगाते हुए उक्त राशि याचिकाकर्ता के पुत्र के खाते में जमा करने के आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि कलेक्टर तथा अतिरिक्त प्रमुख सचिव के खिलाफ एनएसए की आदेश का अवलोकन कर कार्रवाई करें। गलत हलफनामा पेश करने पर कलेक्टर के खिलाफ अवमानना कार्रवाई प्रारंभ करते हुए नोटिस जारी किए हैं।