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Jabalpur News: भोजपुर-बैरसिया रोड पर पेड़ कटाई मामले में हाईकोर्ट सख्त,प्रत्यारोपित पेड़ों की GPS लोकेशन मांगी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Wed, 05 Nov 2025 09:41 AM IST
सार

मप्र हाईकोर्ट की युगलपीठ ने भोजपुर-बैरसिया रोड निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई के संबंध में प्रत्यारोपित पेड़ों की जीपीएस लोकेशन समेत तस्वीरें प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

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Jabalpur News: High Court raps govt over Bhojpur-Bairasia tree cutting, seeks GPS proof of transplanted trees
मप्र हाईकोर्ट - फोटो : फाइल फोटो
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विस्तार
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भोपाल के समीप भोजपुर-बैरसिया रोड निर्माण के लिए 488 पेड़ों की कटाई से संबंधित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सर्राफ ने राज्य सरकार के पक्ष से प्रस्तुत जवाब पर असंतोष व्यक्त किया।

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युगलपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि जिन पेड़ों के प्रत्यारोपण का दावा किया गया है, वास्तव में उन्हें काटा गया है। अदालत ने प्रत्यारोपित किए गए 253 पेड़ों की तस्वीरें जीपीएस लोकेशन सहित प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही हस्तक्षेपकर्ता बनाए जाने के आवेदन को स्वीकार करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।
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गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने भोजपुर-बैरसिया रोड चौड़ीकरण के दौरान बिना अनुमति 488 पेड़ काटे जाने संबंधी अखबार में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया था। प्रकाशित खबर में यह तथ्य उजागर हुआ था कि लोक निर्माण विभाग, रायसेन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पेड़ों की कटाई की अनुमति लिए बिना ही कार्य कराया।

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नियमों के अनुसार राज्य सरकार को पेड़ों की कटाई से संबंधित मामलों में एक समिति का गठन करना आवश्यक है, जिसकी अनुमति के बाद ही कटाई की जा सकती है। इस मामले में सरकार ने 9 सदस्यीय समिति या वृक्ष अधिकारी से अनुमति नहीं ली थी।

सुनवाई के दौरान मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि कलेक्टर ने 448 पेड़ों के स्थानांतरण की अनुमति दी थी और जो पेड़ स्थानांतरित नहीं किए जा सके, उनकी भरपाई के लिए 10 गुना अधिक पेड़ लगाए जाएंगे। इसके अलावा 253 पेड़ों का प्रत्यारोपण किया गया है।

सरकार की इस दलील पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रस्तुत तस्वीरों से स्पष्ट है कि पेड़ों का प्रत्यारोपण नहीं हुआ, बल्कि उन्हें पूरी तरह काटकर उनके तनों को जमीन में गाड़ दिया गया है। कुछ तनों में नए अंकुर भी दिखाई दे रहे हैं। सुनवाई के अंत में युगलपीठ ने हस्तक्षेपकर्ता नितिन सक्सेना के आवेदन को स्वीकार करते हुए आदेश जारी किया और राज्य सरकार से इस संबंध में विस्तृत जवाब मांगा है।

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