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मध्य प्रदेश: रिकॉर्ड में शासकीय है नागदा स्थित बिड़ला समूह की भूमि, सुप्रीम कोर्ट में मामला इसलिए नहीं किया पट्टा देने का सर्वे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: दिनेश शर्मा Updated Wed, 22 Dec 2021 07:56 PM IST
सार

विधानसभा में अतारांकित प्रश्न के जवाब के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। उज्जैन-नागदा में जिस भूमि पर मप्र शासन एवं ग्रेसिम उद्योग के बीच स्वामित्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विवाद चल रहा है, वह अभी रिकॉर्ड में शासकीय भूमि के रूप में दर्ज है। 

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Madhya Pradesh: The land of Birla group located in Nagda is official in the record, the case in the Supreme Court was not done because of the survey of giving lease
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विस्तार
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बुधवार को विधानसभा में अतारांकित प्रश्न के जवाब के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। उज्जैन जिले के नागदा में जिस करोड़ों की भूमि पर मप्र शासन एवं ग्रेसिम उद्योग के बीच स्वामित्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विवाद चल रहा है, वह अभी रिकॉर्ड में शासकीय भूमि के रूप में दर्ज है।

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इस बात की जानकारी विधानसभा में अतारांकित प्रश्र के जवाब में राजस्व मंत्री गोविंदसिंह राजपूत ने दी। नागदा-खाचरौद क्षेत्र के कांग्रेस विधायक दिलीपसिंह गुर्जर के एक अन्य प्रश्र के सपोर्ट में यह बात सामने आई। विधायक गुर्जर ने सवाल किया था कि नागदा-खाचरौद क्षेत्र में 1984 से 2021 तक कितने लोगों को पट्टे दिए गए। इन लोगों के नामों की सूची सार्वजनिक की जाए। साथ ही मुख्यमंत्री ने बिड़लाग्राम क्षेत्र की झुग्गी-झोपड़ियों को पट्टा देने की घोषणा की थी। इस पर जो भी कार्यवाही हुई उसका विवरण भी मांगा गया था।

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गोविंदसिंह राजपूत ने बिड़लाग्राम क्षेत्र में झुग्गी-झोपड़ी वालों को पट्टा नहीं देने के दो कारण बताए। पहला तो ये कि इस इलाके में कुछ जमीन रेलवे बोर्ड की है। इसलिए राजस्व विभाग एवं नगरीय निकाय को रेलवे की भूमि पर पट्टा देने का अधिकार नहीं है। साथ ही बताया कि बिड़लाग्राम ग्राम क्षेत्र में झुग्गी वासियों को पट्टे देने का सर्वे इसलिए नहीं किया गया क्योंकि बिड़ला समूह की भूमि, जो वर्तमान में शासकीय दर्ज है, के संबंध में न्यायालय में प्रकरण चल रहा है। मंत्री के जवाब के मुताबिक रिट पिटीशन हाईकोर्ट क्रमांक 1310/ 2017 निर्णय दिनांक 3 अप्रैल 2018 द्वारा ग्रेसिम के पक्ष में निर्णय हुआ था। शासन हित में सुप्रीम कोर्ट एसएलपी सी क्रमांक 15837 / 2019 पंजीकृत दिनांक 10 जुलाई 2019 दायर की गई है। जो कि अभी विचाराधीन है। इस कारण इस इलाके में झुग्गी पट्टा देने का सर्वे नहीं किया गया।

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