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Rajgarh News: पहले विरोध, अब बढ़ावा... बाल सगाई कार्यक्रम में BJP जिलाध्यक्ष की तस्वीर पर हंगामा, जानें मामला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजगढ़ Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Sat, 12 Apr 2025 01:02 PM IST
सार

मामले पर सफाई देते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि यह समाज की परंपरा है, सगाई का मतलब विवाह नहीं होता। उन्होंने कहा कि बाल सगाई और बाल विवाह में अंतर है, और शादी बालिग होने पर ही की जाती है।

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There was a ruckus over the picture of BJP District President at a child engagement program in Rajgarh
ज्ञान सिंह गुर्जर भाजपा जिलाध्यक्ष। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में प्रचलित बाल विवाह और नातरा झगड़ा जैसी कुप्रथाओं पर विराम लगाने के लिए जिला प्रशासन लगातार कार्यशालाओं का आयोजन और नुक्कड़ नाटक जैसे कार्यक्रम का आयोजन करता आ रहा है। बाल विवाह पर वर्ष 2024 में एक ऐसी ही कार्यशाला जिला पंचायत के सभागार में भी आयोजित की गई थी, जिसमें जिले के जनप्रतिनिधि और समाजसेवी भी शामिल हुए थे। इस दौरान भाजपा के खिलचीपुर विधायक हजारीलाल दांगी ने कहा था राजगढ़ में होने वाले बाल विवाह को कहीं न कहीं जनप्रतिनिधि ही बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में वर्ष 2025 के अप्रैल माह में आयोजित एक बाल सगाई के कार्यक्रम में लिफाफा देते हुए फोटो स्वयं भाजपा जिलाध्यक्ष ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स फेसबुक पर पोस्ट कर दिए। हालांकि अपने आपको ट्रोल होता हुआ देख फोटो प्रोफाइल से हटा लिए गए। अब सोशल मीडिया पर उनकी प्रोफाइल के स्क्रीन शॉट और फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिस पर भाजपा जिलाध्यक्ष ने अपनी सफाई भी पेश की है।

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भाजपा जिलाध्यक्ष ने मीडिया से चर्चा के दौरान अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि कांग्रेस के लोग बिल्कुल फुर्सत में बैठे हैं। समाज में परंपराएं हैं, रीति-रिवाज हैं, रस्में हैं और हमारे समाज में कम उम्र में सगाई हो जाती है, लेकिन सगाई होने का ये मतलब नहीं कि उसकी शादी हो रही है। शादी तो जब बेटा बेटी 18 वर्ष या उससे ऊपर के हो जाते हैं, तब होती है। कांग्रेस के लोग फुर्सत में हैं इसलिए इस तरह की बातें लाना और उसे समाज में परोसना यही उनका काम है। ये खुद इनके पिताजी से पूछे कि उनकी सगाई किस उम्र में हुई थी। सगाई करना अलग बात है और शादी करना अलग बात। मेरी भी बाल सगाई हुई थी, लेकिन शादी बालिग होने के बाद हुई। वहीं राजगढ़ जिलें में प्रचलित बाल विवाह और नातरा झगड़ा जैसी कुप्रथाओं के लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाली संस्था और समाजसेवी सहित सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इन कुप्रथाओं को जन्म देने वाली ही बाल सगाई की परंपरा है, जो दो परिवारों में आगे चलकर होने वाले मतभेद होते हैं और यही आगे चलकर कुप्रथाओं को जन्म देते हैं।

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कुप्रथाओं को जन्म देती है बाल सगाई
अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी के सदस्य और समाजसेवी मनीष दांगी कहते है कि हमने 50 से अधिक गांवों का सर्वे किया है। जिसमें पाया है कि जिन बच्चियों की सगाई हो जाती है, उन्हें कड़े पहना दिए जाते हैं और उन बच्चों को भी ये पता होता है कि उनकी सगाई हो चुकी है। अगर वे यदि इसे तोड़ेंगे तो उन्हें झगड़ा देना पड़ेगा। यदि बाल सगाई न हो तो ही सही है, क्योंकि ये जिले में प्रचलित बाल विवाह और झगड़ा जैसी कुप्रथाओं को जन्म देती है।

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बाल सगाई के लिए कोई कानून नहीं
वहीं, राजगढ़ महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक श्याम बाबू खरे भी राजगढ़ जिले के लिए बाल सगाई को सही नहीं मानते। उनका कहना है कि बाल सगाई के लिए कोई कानून नहीं है, लेकिन राजगढ़ के लिए तो ये गलत है, क्योंकि यही बाल विवाह और झगड़ा प्रथा का रूप लेती है जो कि सही नहीं है।

कुप्रथाओं को आज भी समेटे है राजगढ़
गौरतलब है कि राजस्थान की सीमा से सटा मध्यप्रदेश का राजगढ़ जिला प्राचीन काल से चली आ रही कुप्रथाओं को आज भी समेटे हुए है। जिसमें सगाई या शादी टूटने पर महिला पक्ष के लोग लड़का पक्ष को झगड़ा प्रथा के रूप में पंचायत द्वार तय राशि का भुगतान करते हैं। पैसे न देने पर आगजनी और नुकसान करने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो तोड़ होने तक भी नहीं थमता।

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