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Sagar News: सात पुत्रियों के पिता का बीमारी से हुआ निधन, बेटियों ने दी मुखाग्नि तो लोगों की आंखें हुई नम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर
Published by: सागर ब्यूरो
Updated Sun, 07 Dec 2025 10:17 PM IST
सार
सागर में सफाईकर्मी डालचंद वाल्मीकि के निधन पर उनकी सातों बेटियों ने अंतिम संस्कार किया। बड़ी बेटी साधना ने पिता को मुखाग्नि दी। पिता के गुजरने के बाद परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। साधना ने सरकार से नौकरी और परिवार को सहायता देने की मांग की है।
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अंतिम संस्कार करती बेटियां
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विस्तार
सागर में एक भावुक दृश्य देखने को मिला, जब लोगों की आंखें उस समय नम हो गईं, जब एक अंतिम यात्रा में बेटियों को अपने पिता की अंतिम क्रियाएं करते हुए देखा गया।
दरअसल, सागर नगर निगम के सफाईकर्मी डालचंद वाल्मीकि का कुछ दिन पहले बुखार आने पर इलाज के दौरान निधन हो गया। उन्हें 30 नवंबर को तेज बुखार होने पर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां हालत गंभीर होने पर नागपुर रेफर किया गया। वहीं इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। रविवार को उनका शव सागर लाया गया, जहां अंतिम यात्रा निकाली गई।
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अंतिम यात्रा में उनकी सातों बेटियाँ शामिल हुईं। बड़ी बेटी साधना ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और रीति-रिवाज के साथ चिता को मुखाग्नि दी। यह दृश्य देखकर उपस्थित हर व्यक्ति भावुक हो गया। साधना ने रोते हुए बताया कि पिता के अचानक बीमार पड़ने से परिवार टूट गया है। वह सबसे बड़ी है, जबकि बाकी बहनें पढ़ाई कर रही हैं। घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा। साधना ने सरकार से नौकरी देने की विनती की, ताकि वह अपनी बहनों की पढ़ाई और परिवार का खर्च संभाल सके।
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दरअसल, सागर नगर निगम के सफाईकर्मी डालचंद वाल्मीकि का कुछ दिन पहले बुखार आने पर इलाज के दौरान निधन हो गया। उन्हें 30 नवंबर को तेज बुखार होने पर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां हालत गंभीर होने पर नागपुर रेफर किया गया। वहीं इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। रविवार को उनका शव सागर लाया गया, जहां अंतिम यात्रा निकाली गई।
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अंतिम यात्रा में उनकी सातों बेटियाँ शामिल हुईं। बड़ी बेटी साधना ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और रीति-रिवाज के साथ चिता को मुखाग्नि दी। यह दृश्य देखकर उपस्थित हर व्यक्ति भावुक हो गया। साधना ने रोते हुए बताया कि पिता के अचानक बीमार पड़ने से परिवार टूट गया है। वह सबसे बड़ी है, जबकि बाकी बहनें पढ़ाई कर रही हैं। घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा। साधना ने सरकार से नौकरी देने की विनती की, ताकि वह अपनी बहनों की पढ़ाई और परिवार का खर्च संभाल सके।

अंतिम संस्कार करती बेटियां

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