सीहोर में पं. प्रदीप मिश्रा की अगुवाई में बुधवार को कांवड़ यात्रा का विशाल आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से करीब ढाई लाख श्रद्धालु शामिल हुए। हालांकि दूसरे दिन भी दो लोगों की जान चली गई। अब तक चार की मौत हो चुकी है। हालांकि प्रशासन इन्हें सामान्य मौत ही बता रहा है।
MP News: कुबेरेश्वर धाम की कांवड़ यात्रा में फिर दो की मौत, अब तक चार लोग गंवा चुके जान; कई हो रहे घायल
सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में पं. प्रदीप मिश्रा की अगुवाई में निकली कांवड़ यात्रा में दो दिन में चार श्रद्धालुओं की मौत हो गई। ढाई लाख से अधिक लोग शामिल हुए। भारी भीड़, अव्यवस्था और भगदड़ के बीच सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गई।
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प्रशासन का अपना तर्क
मामले में प्रशासन की ओर से जानकारी साझा की गई। उसमें लिखा है कि 06 अगस्त 2025 को सीहोर में कांवड़ यात्रा में शामिल हुए दो श्रद्धालुओं का अलग-अलग समय में अलग-अलग स्थानों पर अचानक स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें तत्काल एंबुलेंस से जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया। जिला चिकित्सालय में डॉक्टर द्वारा दोनों व्यक्तियों को मृत घोषित किया गया है। चतुरभाई का 06 अगस्त को लगभग दोपहर 12 बजे अस्पताल के पीछे स्थित आनंद होटल के पास अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया था तथा ईश्वर सिंह यादव का भी 06 अगस्त को ही लगभग शाम 04 बजे कुबेरेश्वर धाम में अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया था, जिन्हें तत्काल जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया था।
मंगलवार को हई मौतों पर सीहोर कलेक्टर बाला गुरु के और एसपी दीपक शुक्ला ने बुधवार को बयान जारी कर दोनों श्रद्धालुओं की मौत को स्वास्थ्य कारणों से हुई प्राकृतिक मौत बताया। प्रशासन ने कहा कि कोई भगदड़ नहीं हुई, बल्कि दोनों की हालत पहले से ही खराब थी। हालांकि यह बयान श्रद्धालुओं और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुभवों से मेल नहीं खाता।
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कांवड़ यात्रा में पंडित प्रदीप मिश्रा स्वयं शामिल रहे। उन्होंने शिव पुराण का उल्लेख करते हुए कहा, श्रावण मास शिव युग की वापसी है। इस मास में किया गया हर कर्म हजार गुना फल देता है। यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई, जिसने श्रद्धालुओं को अभिभूत कर दिया। यात्रा मार्ग पर 300 से ज्यादा सेवा पंडालों की व्यवस्था की गई थी, जहां श्रद्धालुओं को जल, भोजन और विश्राम की सुविधा दी गई। 12 राज्यों से आए भक्तों ने अपने-अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों से यात्रा की शोभा बढ़ाई। ढोल-नगाड़ों की गूंज और झांकियों से माहौल भक्तिमय बना रहा।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने ट्रैफिक डायवर्जन की योजना बनाई थी, लेकिन वह पूरी तरह फेल साबित हुई। इंदौर-भोपाल हाईवे पर 6 घंटे तक जाम लगा रहा। वाहन रेंगते रहे और श्रद्धालु फंसे रहे। स्थानीय लोगों और ट्रांसपोर्टर्स ने प्रशासन की तैयारी पर सवाल खड़े किए। सीवन घाट से कुबेरेश्वर धाम तक पुलिस बल और स्वयंसेवक लगातार तैनात रहे। नदी किनारे माइक से लगातार घोषणाएं की जाती रहीं, फिर भी इतनी विशाल भीड़ को संभालना मुश्किल साबित हुआ। हर मोड़ पर अफरातफरी का माहौल रहा।