SIR: सीहोर में 100 प्रतिशत डिजिटल मतदाता सर्वे पूरा, 47 हजार से ज्यादा वोटर लापता, अब भेजे जाएंगे नोटिस
16 दिसंबर को प्रारूप मतदाता सूची जारी होने के बाद इन सभी को पहचान और पते के दस्तावेज प्रस्तुत करने के नोटिस भेजे जाएंगे। बीएलओ के लिए अब इन गायब वोटरों की खोज सबसे कठिन कार्य रहेगा।
विस्तार
सीहोर जिले में एसआईआर सर्वे के दौरान रिकॉर्ड बनाते हुए 4 दिसंबर की डेडलाइन से पहले 100 प्रतिशत डिजिटलीकरण पूरा किया गया। प्रशासन ने इसे अनुशासन और टीमवर्क की मिसाल माना है, लेकिन इस उपलब्धि की चमक के पीछे एक बड़ी चिंता छिपी है। जिले में 47,572 मतदाता ऐसे हैं, जो या तो मिले नहीं या फिर 2003 की मतदाता सूची से मैप नहीं हो पाए। यानी हजारों लोग ऐसे हैं, जिनकी लोकतांत्रिक पहचान कागज़ों में मौजूद हैं, लेकिन असल में वह अधूरी है।
16 दिसंबर से असली संघर्ष की शुरुआत
16 दिसंबर को प्रारूप मतदाता सूची जारी होते ही इन हजारों गायब मतदाताओं को नोटिस भेजे जाएंगे। उन्हें अपने अस्तित्व, अपने पते और अपने मतदाता होने के अधिकार को फिर से साबित करने के लिए दस्तावेज पेश करने होंगे। आज जब पूरा देश डिजिटल भारत की ओर बढ़ रहा है, तब एक हिस्सा ऐसा भी है, जहां लोगों को अपने होने का सबूत देना पड़ेगा। यह स्थिति मतदाता सूची से नाम कटने या गलती से दूसरे पते में दर्ज होने वाले हजारों लोगों के लिए निर्णायक परीक्षा होगी-कौन रहेगा सूची में और कौन बाहर?
बीएलओ का नया मिशन-लापता मतदाताओं की खोज
डिजिटलीकरण पूरा होने के बाद भी राहत नहीं मिली है। बीएलओ के लिए अब सबसे कड़ा दौर शुरू होने जा रहा है। 47,572 मतदाताओं का पता खोजना, सत्यापन करना, दस्तावेजों की जांच करना और सही पहचान पुख्ता करना। यही अब उनका प्रमुख लक्ष्य होगा। एक जिले को 100 प्रतिशत डिजिटल बनाने की खुशी अभी ताज़ा ही है, लेकिन इसके बाद की चुनौती और भी मुश्किल है। वोटर का नाम फॉर्म में नहीं, उनके दरवाज़े तक पहुंचकर वापस दिलाना।
एसआईआर का असर-स्कूलों में सन्नाटा, पढ़ाई ठप
एसआईआर की सफलता का जश्न है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी साफ दिखे। जिले में 1,238 बीएलओ नियुक्त किए गए, जिनमें बड़ी संख्या स्कूल शिक्षकों की है। परिणामस्वरूप कई स्कूलों में ताले लगे रहे। कक्षाएं खाली रहीं और मासूम बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई। अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़ानी पड़ी। शिक्षा और मतदान- दोनों राष्ट्र निर्माण के स्तंभ हैं, लेकिन सिस्टम के भार के कारण एक की कीमत दूसरे को चुकानी पड़ी।
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यूईएफ और मैपिंग- चुनावी रिकॉर्ड का सबसे उलझा सच
यूईएफ श्रेणी में वे मतदाता हैं, जो सर्वे के दौरान अपने पते पर नहीं मिले, किसी और जगह शिफ्ट हो गए या जिन्होंने फॉर्म भरा, लेकिन बीएलओ को सौंपा नहीं। कहीं बीएलओ ने खोज में कमी छोड़ी, तो कहीं जानकारी सही समय पर सामने नहीं आई। प्रशासन का दावा है कि 15–16 दिन में ज़्यादातर गायब मतदाताओं का पता चल जाएगा, लेकिन यह तभी संभव है, जब लोगों को भी अपने वोट के अधिकार के महत्व का एहसास हो..क्योंकि वोट सिर्फ कागज़ पर दर्ज नाम नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आवाज़ होता है।
फरवरी में तय होगी मतदाता पहचान की किस्मत
अब गणना पत्रक भरने और डिजिटलीकरण सुधार के लिए 11 दिसंबर तक की समय सीमा तय है। 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक दावे और आपत्तियाँ ली जाएँगी। 7 फ़रवरी तक सभी कार्य पूरे होने के बाद 14 फ़रवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। हजारों मतदाताओं के लिए यह तारीख सिर्फ़ चुनावी कैलेंडर नहीं, उनकी पहचान का फैसला होगी,नाम रहेगा तो वे लोकतंत्र की ताकत बनेंगे, नहीं रहा तो उनकी आवाज़ इतिहास के पन्नों में खो जाएगी।
कलेक्टर बोले
एसआईआर सर्वे शत-प्रतिशत करने पर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी बालागुरू के. ने कहा कि जिले की टीम ने अनुशासन, समर्पण और टीमवर्क का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह उपलब्धि जिले की मजबूत प्रशासनिक क्षमता और मतदाताओं के सहयोग का परिणाम है। कलेक्टर ने कहा कि मतदाताओं की जागरूकता और सक्रिय भागीदारी का इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान है। बता दें कि सीहोर जिले सहित प्रदेश के कुल 6 जिलों में एसआईआर का काम शत-प्रतिशत हो चुका है। इनमें सीहोर के अलावा अशोक नगर, नीमच, बैतूल, गुना, और मंडला जिले शामिल हैं।
यह है जिले की स्थिति
| विधानसभा | यह है जिले की स्थिति | यह है जिले की स्थिति | अनकलेटेबल गणना पत्रक |
| बुधनी | 280745 | 267,498 | 13,281 |
| आष्टा | 285,741 | 277,489 | 8,259 |
| इछावर | 232,065 | 224,315 | 7,751 |
| सीहोर | 228,023 | 209,718 | 18,311 |
| कुल संख्या | 1,026,574 | 979,020 | 47,572 |
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