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Umaria News: कलेक्ट्रेट परिसर में वृद्ध ने की आत्मदाह की कोशिश, जनपद अध्यक्ष के पति पर लगाया गंभीर आरोप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया
Published by: उमरिया ब्यूरो
Updated Wed, 20 Aug 2025 08:05 AM IST
सार
Madhya Pradesh News : करकेली जनपद अध्यक्ष के पति मून सिंह पर जमीन के सौदे में पैसे हड़पने और वृद्ध किसान को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। पीड़ित ने कलेक्ट्रेट परिसर में खुदके ऊपर पेट्रोल डालकर आत्महत्या की कोशिश की है।
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विस्तार
उमरिया जिले की राजनीति एक बार फिर विवादों के घेरे में है। जिले के करकेली जनपद अध्यक्ष के पति मून सिंह पर जमीन के सौदे में पैसे हड़पने और वृद्ध किसान को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। इन्हीं आरोपों से तंग आकर 82 वर्षीय वृद्ध जगन्नाथ शुक्ला ने आत्मदाह की कोशिश की। मामला उजागर होने के बाद न केवल प्रशासन बल्कि पूरा जिला राजनीतिक चर्चा में डूब गया है। घटना उमरिया मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर दूर बड़ेरी गांव की है। यहां रहने वाले 82 वर्षीय वृद्ध जगन्नाथ शुक्ला ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आत्महत्या की कोशिश की। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने किसी तरह उन्हें पकड़ लिया और घटना को टाल दिया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे और वृद्ध को समझा-बुझाकर घर भेजा।
जमीन 95 लाख रुपए में खरीदी थी
जगन्नाथ शुक्ला ने आरोप लगाया है कि जनपद अध्यक्ष के पति मून सिंह ने उनसे 2021 में उनकी जमीन 95 लाख रुपए में खरीदी थी। जमीन की रजिस्ट्री तो करा ली गई, लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी वृद्ध को पूरा भुगतान नहीं किया गया। शुक्ला के मुताबिक उन्हें अब तक शेष 72 लाख 50 हजार रुपए देने से मून सिंह लगातार बच रहे हैं। पीड़ित ने बताया कि जब भी वह बकाया रकम की मांग करते हैं, तो उन्हें जान से मारने और परिवार को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी जाती है। यहां तक कि उन पर और उनके बच्चों पर एससी-एसटी एक्ट लगाने की भी चेतावनी दी जाती है। लगातार मिल रही धमकियों और पैसे न मिलने की वजह से ही वह आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हुए।
सत्ताधारी नेताओं के परिजनों पर बड़ा आरोप
मामला सामने आने के बाद अब राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि सत्ताधारी नेताओं के परिजन आम लोगों की जमीनें हड़प रहे हैं और जब कोई गरीब न्याय की गुहार लगाता है तो उसे डराया-धमकाया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना राजनीति में बढ़ते दबदबे और रसूख का सीधा उदाहरण है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर जनपद अध्यक्ष का पद लोगों की सेवा के लिए है या फिर परिवार के आर्थिक फायदे के लिए।
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मून सिंह के खिलाफ लिखित शिकायत दी
उमरिया एसडीओपी नागेंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि बड़ेरी गांव के जगन्नाथ शुक्ला आत्मदाह करने जा रहे हैं। मौके पर मौजूद लोगऔर पुलिस ने मिलकर उन्हें रोका। एसडीओपी नागेंद्र सिंह ने बताया कि करकेली के मून सिंह के खिलाफ लिखित शिकायत दी है। शुक्ला का कहना है कि उन्होंने जमीन बेची थी लेकिन पैसे पूरे नहीं मिले हैं। इस संबंध में कोतवाली टीआई को वैधानिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। जगन्नाथ शुक्ला ने मामले में पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर धरणेन्द्र जैन से भी मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह और उनका परिवार रोज-रोज मरने के लिए मजबूर होगा।
82 साल के वृद्ध द्वारा आत्मदाह की कोशिश सिर्फ एक व्यक्तिगत विवाद नहीं बल्कि राजनीति और प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़ा करती है। क्या वास्तव में सत्ता का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए हो रहा है या फिर पद और प्रतिष्ठा सिर्फ निजी स्वार्थ के लिए? फिलहाल मामला गरम है बहरहाल यह सब जांच का विषय है।
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जमीन 95 लाख रुपए में खरीदी थी
जगन्नाथ शुक्ला ने आरोप लगाया है कि जनपद अध्यक्ष के पति मून सिंह ने उनसे 2021 में उनकी जमीन 95 लाख रुपए में खरीदी थी। जमीन की रजिस्ट्री तो करा ली गई, लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी वृद्ध को पूरा भुगतान नहीं किया गया। शुक्ला के मुताबिक उन्हें अब तक शेष 72 लाख 50 हजार रुपए देने से मून सिंह लगातार बच रहे हैं। पीड़ित ने बताया कि जब भी वह बकाया रकम की मांग करते हैं, तो उन्हें जान से मारने और परिवार को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी जाती है। यहां तक कि उन पर और उनके बच्चों पर एससी-एसटी एक्ट लगाने की भी चेतावनी दी जाती है। लगातार मिल रही धमकियों और पैसे न मिलने की वजह से ही वह आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हुए।
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सत्ताधारी नेताओं के परिजनों पर बड़ा आरोप
मामला सामने आने के बाद अब राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि सत्ताधारी नेताओं के परिजन आम लोगों की जमीनें हड़प रहे हैं और जब कोई गरीब न्याय की गुहार लगाता है तो उसे डराया-धमकाया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना राजनीति में बढ़ते दबदबे और रसूख का सीधा उदाहरण है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर जनपद अध्यक्ष का पद लोगों की सेवा के लिए है या फिर परिवार के आर्थिक फायदे के लिए।
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82 साल के वृद्ध द्वारा आत्मदाह की कोशिश सिर्फ एक व्यक्तिगत विवाद नहीं बल्कि राजनीति और प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़ा करती है। क्या वास्तव में सत्ता का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए हो रहा है या फिर पद और प्रतिष्ठा सिर्फ निजी स्वार्थ के लिए? फिलहाल मामला गरम है बहरहाल यह सब जांच का विषय है।
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