मारुति की पहली कार अब फिर से सड़कों पर दौड़ने के लिए तैयार है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने अपनी पहली कार 14 दिसंबर, 1983 को लॉन्च की थी। पहली कार मारुति 800 थी, जो इंडियन एयरलाइन के कर्मचारी हरपाल सिंह ने खरीदी थी। खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस कार की चाबी उन्हें सौंपी थी। लेकिन बीतते वक्त के साथ कार में खराबी आती गई और कार ‘कबाड़’ में तब्दील हो गई।
देश की पहली Maruti 800 कार हो गई फिर से ‘जवान’, नया लुक देख कर हो जाएंगे हैरान!
पहले खरीदार की मौत के बाद हुई ‘लावारिस’
पहली Maruti 800 SS80 दशकों तक हरपाल सिंह के पास रही, कार का नंबर था DIA 6479, उस समय इस कार की कीमत थी 47,500 रुपये। हालांकि बाद में जब कार खराब हालात में पहुंच गई, तब भी इसे कद्रदानों की कोई कमी नहीं रही। उस दौरान भी लोगों ने हरपाल सिंह को लाख रुपये से ज्यादा की रकम में खरीदने की पेशकश की। 2010 में हरपाल सिंह की मौत के बाद यह कार बिल्कुल लावारिस सी हो गई। एक कंपनी एजीएम टेक्नोलॉजीज ने इस कार को फिर से रीस्टोरेशन करने की प्रक्रिया शुरू की।
रेट्रो मोड में रीस्टोर
वहीं कार अब पूरी तरह से रीस्टोर हो चुकी है। कार कस्टाइमाइजेशन कंपनी एजीएम टेक्नोलॉजीज ने कार को पूरी तरह से रेट्रो मोड में रीस्टोर किया है। जहां पहले ऑरिजनल कार सफेद रंग की थी, लेकिन अब इस कार को नए क्लासिक लाल रंग का कलेवर दिया गया है। कार को अंदर और बाहर दोनों तरफ से पूरी तरह से बदल दिया गया है।
आइकॉनिक लुक बरकरार
रीस्टोरेशन कंपनी ने कार के एक्सटीरियर को इस तरह से डिजाइन किया है कि कार का आइकॉनिक लुक भी बरकरार रहे और वह दिखने में मॉडर्न भी लगे। कार में सामने की तरफ हेला के प्रोजेक्टर हेडलैंप्स लगाए गए हैं। साथ ही, कंपनी ने हेडलैंप की हाउसिंग में ही डीआरएल और टर्न इंडीकेटर भी दिए हैं। कंपनी ने पुरानी ग्रिल की जगह नई ग्रिल लगाई है।
पहली बार पॉवर स्टीयरिंग और ब्रेक्स
साथ ही मेटल बंपर को मैट फिनिश दी गई है, वहीं स्पोर्टी लुक देने के लिए बंपर के नीचे एक्सटेंशन दिया गया है। 12 इंच के ट्यूबलेस टायर्स के साथ अलॉय व्हील्स लगाए गए हैं। इंटीरियर की बात करें, तो ऑरिजनल डैशबोर्ड की जगह कार्बन फाइबर फॉक्स कैपिंग दी गई है। इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर भी नया है। वहीं सीटों में कुछ बदलाव किया गया है। वहीं इसमें पॉवर स्टीयरिंग और ब्रेक्स दिए गए हैं। पहली मारुति में ये दोनों फीचर नहीं मिलते थे।