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EV: दिल्ली के मसौदे में ईवी और हाइब्रिड के लिए समान प्रोत्साहन का प्रस्ताव, ईवी निर्माताओं ने किया विरोध
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Fri, 30 May 2025 08:58 PM IST
सार
दिल्ली सरकार की एक नई मसौदा नीति (ड्राफ्ट पॉलिसी) को लेकर देश की बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनियां टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और ह्यूंदै मोटर इंडिया ने कड़ी आपत्ति जताई है।
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Electric Car
- फोटो : Freepik
दिल्ली सरकार की एक नई मसौदा नीति (ड्राफ्ट पॉलिसी) को लेकर देश की बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनियां टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और ह्यूंदै मोटर इंडिया ने कड़ी आपत्ति जताई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये कंपनियां इस बात से नाराज हैं कि सरकार ने हाइब्रिड और पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहनों को बराबर की छूट देने का प्रस्ताव रखा है।
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Tata Punch EV
- फोटो : Tata Motors
नीतियों पर चर्चा के लिए बैठक
इस मुद्दे पर 30 मई को नीति आयोग में एक अहम बैठक होने वाली थी। जिसमें यह तय होना था कि क्या हाइब्रिड गाड़ियों को भी बैटरी-इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (BEV) की तरह सब्सिडी और दूसरी रियायतें मिलनी चाहिए या नहीं।
दिल्ली सरकार ने 22 अप्रैल को वाहन निर्माताओं के बीच अपनी ड्राफ्ट पॉलिसी (मसौदा नीति) साझा की थी। इस नीति में प्रस्ताव है कि ईवी और हाइब्रिड वाहनों दोनों पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस माफ कर दी जाए। अभी तक यह छूट सिर्फ ईवी को मिलती है। ईवी कंपनियों का कहना है कि हाइब्रिड गाड़ियां, जिनमें पेट्रोल या डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों होते हैं, उन्हें पूरी तरह इलेक्ट्रिक, जीरो-एमिशन वाहनों के बराबर नहीं माना जाना चाहिए।
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इस मुद्दे पर 30 मई को नीति आयोग में एक अहम बैठक होने वाली थी। जिसमें यह तय होना था कि क्या हाइब्रिड गाड़ियों को भी बैटरी-इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (BEV) की तरह सब्सिडी और दूसरी रियायतें मिलनी चाहिए या नहीं।
दिल्ली सरकार ने 22 अप्रैल को वाहन निर्माताओं के बीच अपनी ड्राफ्ट पॉलिसी (मसौदा नीति) साझा की थी। इस नीति में प्रस्ताव है कि ईवी और हाइब्रिड वाहनों दोनों पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस माफ कर दी जाए। अभी तक यह छूट सिर्फ ईवी को मिलती है। ईवी कंपनियों का कहना है कि हाइब्रिड गाड़ियां, जिनमें पेट्रोल या डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों होते हैं, उन्हें पूरी तरह इलेक्ट्रिक, जीरो-एमिशन वाहनों के बराबर नहीं माना जाना चाहिए।
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Maruti Suzuki Grand Vitara
- फोटो : Maruti Suzuki
वायु गुणवत्ता आयोग की सिफारिशों ने बढ़ाया विवाद
यह विवाद तब और बढ़ गया जब 2 मई को कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने सरकारी विभागों को एक सलाह जारी की। इसमें कहा गया था कि वाहनों की खरीदारी करते समय क्लीन फ्यूल विकल्पों जैसे हाइब्रिड, ईवी और सीएनजी गाड़ियों को प्राथमिकता दी जाए। आयोग का मानना है कि स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (SHEV) ईंधन की खपत कम करने और प्रदूषण घटाने में "काफी हद तक" मदद कर सकते हैं।
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यह विवाद तब और बढ़ गया जब 2 मई को कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने सरकारी विभागों को एक सलाह जारी की। इसमें कहा गया था कि वाहनों की खरीदारी करते समय क्लीन फ्यूल विकल्पों जैसे हाइब्रिड, ईवी और सीएनजी गाड़ियों को प्राथमिकता दी जाए। आयोग का मानना है कि स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (SHEV) ईंधन की खपत कम करने और प्रदूषण घटाने में "काफी हद तक" मदद कर सकते हैं।
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Mahindra XEV 9e
- फोटो : Mahindra
ईवी कंपनियों का विरोध और सरकार से गुहार
ईवी कंपनियों ने अपने विरोध को लेकर भारी उद्योग मंत्रालय और नीति आयोग तक अपनी बात पहुंचाई है। 14 मई को टाटा, महिंद्रा जैसी कई कंपनियों के अधिकारी केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी से मिले और इस नीति पर आपत्ति दर्ज करवाई। इसके बाद कई कंपनियों ने सरकार को लिखित में अपना विरोध जताया।
एक सूत्र ने रिपोर्ट में कहा, "हाइब्रिड एक पुरानी तकनीक है। ग्राहक चाहे तो इसे चुन सकते हैं, लेकिन सरकारी नीति ऐसी होनी चाहिए जो पूरी तरह ईवी तकनीक में हुए निवेश को कमजोर न करे।"
यह भी पढ़ें - Car Insurance: क्या आपका कार इंश्योरेंस मानसून से होने वाले नुकसान को कवर करता है? जानें इसके लिए जरूरी ऐड-ऑन
ईवी कंपनियों ने अपने विरोध को लेकर भारी उद्योग मंत्रालय और नीति आयोग तक अपनी बात पहुंचाई है। 14 मई को टाटा, महिंद्रा जैसी कई कंपनियों के अधिकारी केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी से मिले और इस नीति पर आपत्ति दर्ज करवाई। इसके बाद कई कंपनियों ने सरकार को लिखित में अपना विरोध जताया।
एक सूत्र ने रिपोर्ट में कहा, "हाइब्रिड एक पुरानी तकनीक है। ग्राहक चाहे तो इसे चुन सकते हैं, लेकिन सरकारी नीति ऐसी होनी चाहिए जो पूरी तरह ईवी तकनीक में हुए निवेश को कमजोर न करे।"
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Tata Curvv EV Electric Coupe SUV
- फोटो : Tata Motors
टाटा मोटर्स का साफ रुख
टाटा मोटर्स के एमडी शैलेश चंद्रा का कहना है कि सरकार को उन तकनीकों को प्रोत्साहन देना चाहिए जो लंबी अवधि में टिकाऊ हों। और जिन्हें बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए फंडिंग की जरूरत हो। उनका मानना है कि प्रोत्साहन तभी असरदार होते हैं जब वे ऐसी तकनीक को आगे बढ़ाते हैं जो जलवायु लक्ष्यों, खासकर नेट-जीरो एमिशन, के साथ मेल खाती हो। जैसे कि बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन।
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टाटा मोटर्स के एमडी शैलेश चंद्रा का कहना है कि सरकार को उन तकनीकों को प्रोत्साहन देना चाहिए जो लंबी अवधि में टिकाऊ हों। और जिन्हें बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए फंडिंग की जरूरत हो। उनका मानना है कि प्रोत्साहन तभी असरदार होते हैं जब वे ऐसी तकनीक को आगे बढ़ाते हैं जो जलवायु लक्ष्यों, खासकर नेट-जीरो एमिशन, के साथ मेल खाती हो। जैसे कि बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन।
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