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अजब-गजब: यहां मनाते हैं नाग दिवाली, ऐसे करते हैं नागराज की पूजा

फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आशिकी पटेल Updated Sat, 20 Nov 2021 01:42 PM IST
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Nag Diwali is celebrated in Chamoli district of Uttarakhand Know religious affiliation
यहां मनाते हैं नाग दिवाली (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : istock

भारत को त्यौहारों का देश कहा जाता है। यहां कई धर्म के लोग रहते हैं और सबके रीति-रिवाज भी अलग-अलग होते हैं। कुछ बड़े त्यौहारों को छोड़ कर भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग धार्मिक मान्यताएं और रीति-रिवाज देखने को मिलती हैं। इनमें से कुछ परंपराएं इतनी अजीबोगरीब होती हैं, जिनके बारे में सुनकर आश्चर्य भी होता है। इनमें से ही एक अनोखा त्यौहार है नाग दिवाली। अभी तक तो आपने दीपावली और देव दिवाली का नाम सुना होगा, लेकिन नाग दिवाली त्यौहार का नाम शायद ही किसी ने सुना होगा। तो चलिए आज जानते हैं इस त्यौहार के बारे सबकुछ और नाग दिवाली कब और कहां मनाई जाती है...  

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उत्तराखंड के चमोली जिले में नाग दिवाली के त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं। नाग दिवाली मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। हिन्दू कैलेंडर का नौवां माह मार्गशीर्ष है। इस दिन नागों की विशेष पूजा की जाती है। इस साल ये तिथि देव दिवाली से बीस दिन बाद यानी 8 दिसंबर बुधवार को पड़ रही है। 

Nag Diwali is celebrated in Chamoli district of Uttarakhand Know religious affiliation
यहां मनाते हैं नाग दिवाली (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : istock
क्या है पौराणिक मान्यता ?

नाग दीपावली पर नागों के पूजन का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नागों को पाताललोक का स्वामी कहा जाता है। मान्यता है कि इस मौके पर घरों में रंगोली बनाकर नाग के प्रतीक के सामने दीपक लगाने से मनचाहा फल मिलता है। चमोली जिले के लोगों का मानना है कि नाग देवता के पूजन से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है। इनकी पूजा करने से कुंडली के कालसर्प दोष का पूरी तरह से निवारण हो जाता है। साथ ही जीवन में आ रही दुविधाओं से मुक्ति मिलती है। 

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Nag Diwali is celebrated in Chamoli district of Uttarakhand Know religious affiliation
यहां मनाते हैं नाग दिवाली (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : istock

चमोली जिले के बांण गांव में नाग देवता का एक रहस्यमयी मंदिर है। कहा जाता है कि यहां नागराज मौजूद हैं और अपनी मणि की खुद रक्षा करते हैं। नागराज  नागमणि की रक्षा करते हुए निरंतर फुककार से विष छोड़ते रहते हैं, जिसकी वजह से लोग करीब 80 फीट की दूरी से इनकी पूजा करते हैं। वहीं मंदिर के पुजारी भी आंख-मुंह में पट्टी बांधकर पूजा करने मंदिर के पास जाते हैं। ये मंदिर मां पार्वती के चचेरे भाई लाटू के नाम पर बनाया गया है। 

Nag Diwali is celebrated in Chamoli district of Uttarakhand Know religious affiliation
यहां मनाते हैं नाग दिवाली (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : istock

लोगों का मानना है कि मणि की तेज रौशनी इंसान को अंधा बना देती है। न तो पुजारी के मुंह की गंध देवता तक और न ही नागराज की विषैली गंध पुजारी के नाक तक पहुंचनी चाहिए। इसलिए वे नाक-मुंह पर पट्टी लगाते हैं। वहीं मंदिर का कपाट साल में एक बार वैशाख पूर्णिमा पर खोला जाता है। इस दिन यहां विशाल मेला लगता है। ये मंदिर समुद्र तल से कुल 8500 फीट की ऊंचाई पर है। 

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