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उपलब्धि : निर्मल हुआ ब्यास का पानी, देश की पहली ‘बी क्लास’ नदी का खिताब मिला

अभिषेक वाजपेयी, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sun, 14 Feb 2021 10:40 AM IST
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Beas River got the title of the country's first B class river
ब्यास नदी को मिला बी क्लास का खिताब। - फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर
पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बहने वाली ब्यास नदी को देश की पहली ‘बी क्लास’ नदी का खिताब मिला है। इसका मतलब है कि अब नदी का जल नहाने योग्य और पीने लायक हो चुका है। हालांकि पीने से पहले नदी के जल को छानने की प्रक्रिया को पूरा करना जरूरी होगा। 

 
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Beas River got the title of the country's first B class river
ब्यास नदी - फोटो : फाइल फोटो
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2019 में ब्यास को शुद्ध करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। पंजाब सरकार की भी ब्यास नदी के जल को स्वच्छ करने के लिए जिम्मेदारी तय की गई थी। कमेटी की निगरानी में नदी के जल को शुद्ध करने के लिए जनवरी 2020 में काम शुरू हुआ, जो अब पूरा हो चुका है। एक साल के प्रयास के बाद ब्यास नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार आया है। सेवानिवृत्त जस्टिस जसबीर सिंह को अध्यक्षता में बनी पूर्व मुख्य सचिव एससी अग्रवाल, पर्यावरण प्रेमी बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल और तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. बाबू राम की कमेटी के अनुसार ब्यास नदी के दो हिस्सों में पानी की गुणवत्ता में जरूरी स्तर (क्लास-बी) का सुधार आया है। 
 
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ब्यास नदी। - फोटो : फाइल फोटो
यह है मानक 
नदियों के जल स्तर को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। ‘सी क्लास’ की नदी का जल न तो नहाने योग्य और न ही पीने योग्य होता है। ‘बी क्लास’ की नदी के पानी में व्यक्ति नहा सकता है और छानकर पानी पी सकता है। ‘ए क्लास’ का दर्जा जिस नदी को मिलता है, उसका पानी बिना छाने भी पिया जा सकता है। 
 
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ब्यास नदी। - फोटो : फाइल फोटो
पंजाब के पर्यावरण विभाग ने यह तकनीक अपनाई 
पंजाब सरकार के पर्यावरण विभाग की ओर से ब्यास को शुद्ध करने के लिए कई तकनीकों का प्रयोग किया गया। औद्योगिक प्रदूषण रोकने के साथ ही डेयरी अवशेष के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के इनलेट को बंद किया गया। पठानकोट आदि क्षेत्रों में लगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को चालू कराया गया। इसके साथ ही कुछ एसटीपी को अपग्रेड भी किया गया।
 
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ब्यास नदी। - फोटो : फाइल फोटो

सतलुज के जल को भी शुद्ध करने की प्रक्रिया शुरू होगी
पंजाब और हिमाचल के लिए ही नहीं बल्कि यह देश के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। ब्यास के साथ ही अब सतलुज के जल को शुद्ध करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। लुधियाना में से गुजर रही सतलुज नदी की सहायक नदी, गंदा बुड्ढा नाला के प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए डेयरी अवशेष के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाना है। इससे सतलुज नदी के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार होगा। - जसबीर सिंह, सेवानिवृत्त जस्टिस, पंजाब

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