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भारतीय सेना 'अर्जुन' टैंक में बड़े बदलाव चाहती है, वजह भी एक नहीं कईं, 5 क्लिक करके जानिए
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: खुशबू गोयल
Updated Mon, 16 Dec 2019 03:11 PM IST
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अर्जुन टैंक
- फोटो : फाइल फोटो
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भारतीय सेना के पास थर्ड जेनरेशन का युद्धक अर्जुन टैंक मौजूद है, लेकिन वह इसमें अब बड़ा बदलाव चाहती है। ऐसा करने के पीछे एक नहीं कई कारण है।
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अर्जुन टैंक
- फोटो : फाइल फोटो
दरअसल, आज की चुनौतियों के मद्देनजर हर क्षेत्र में इस टैंक का इस्तेमाल करना थोड़ा मुश्किल है। वजह है इस टैंक का बहुत ही ज्यादा भारी भरकम होना। 58.5 टन वजनी इस टैंक को लेकर कई तरह की दिक्कतें बनी हुई है। रक्षा विशेषज्ञों का भी मानना है कि अब समय आ गया है कि देश में निर्मित इस टैंक में बदलाव करते हुए इसे और घातक बनाया जाए।
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अर्जुन टैंक
- फोटो : फाइल फोटो
इस टैंक का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा किया गया था। अर्जुन टैंक का नाम महाभारत के पात्र अर्जुन के नाम पर रखा गया है। अर्जुन टैंक में 120 एमएम की एक मेन राइफल्ड गन है, जिसमें भारत में ही निर्मित आर्मर-पेअरसिंग फिन-स्टेबलाइज़्ड डिस्कार्डिंग-सेबट एमुनीशन का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा इसमें पीकेटी 7.62 एमएम कोएक्सिल मशीन गन और एनएसवीटी 12.7 एमएम मशीन गन भी है।
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अर्जुन टैंक
- फोटो : फाइल फोटो
वैसे तो ये सेना के मुख्य युद्धक टैंकों में से एक है। लेकिन दिक्कत यह है कि यह टैंक सिर्फ और सिर्फ मैदानी इलाकों में ही कारगर होता है। जबकि सेना की मौजूदा चुनौतियां इस वक्त अन्य इलाकों में ज्यादा बनी हुई है। दूसरा, इस टैंक के अत्याधिक भारी वजन की वजह से इसे पुलों के ऊपर से गुजारना और रेल गाड़ियों पर इधर से उधर ले जाना भी आसान नहीं है।
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अर्जुन टैंक
- फोटो : फाइल फोटो
इसमें कोई दो राय नहीं है कि मैदानी जंग में अर्जुन टैंक बहुत ही खतरनाक है, लेकिन अब इस टैंक को अन्य क्षेत्रों में भी इस्तेमाल करने के लिए सुधार की जरूरत है। पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक भी मानते हैं कि इस टैंक में बदलाव करने का समय अब आ गया है, ताकि आज के चैलेंज में भी ये टैंक सेना की ताकत और बढ़ाए। डीआरडीओ को अब इस टैंक में और इंप्रूवमेंट करनी चाहिए, क्योंकि यह टैंक बहुत ही ज्यादा वजनी है।
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