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Rafale India: 9 क्लिक में जानिए 'विध्वंसक' राफेल की खूबियां और ताकत, जिनसे दुश्मन होंगे नेस्तनाबूत
अमर उजाला, अंबाला(हरियाणा)
Published by: खुशबू गोयल
Updated Fri, 11 Sep 2020 08:56 AM IST
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राफेल एयरक्राफ्ट
- फोटो : वायुसेना ट्विटर
फाइटर जेट राफेल अब भारतीय वायुसेना का हिस्सा बन चुका है और यह दुश्मनों को नेस्तनाबूत करने में पूरी तरह सक्षम है। जानिए विध्वंसक राफेल की खूबियां और ताकत...
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राफेल लड़ाकू विमान
- फोटो : Indian Air Force
राफेल की तैनाती अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर की गई है। राफेल को अफगानिस्तान, लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है और अब इसे हिन्दुस्तान भी इस्तेमाल करेगा। 4.5 फोर्थ जनरेशन के फाइटर जेट राफेल आरबी-001 से 005 सीरीज के होंगे। आरबी का मतलब है एयर चीफ राकेश भदौरिया, जबकि शेष बीएस-001 से जुड़े हैं। बीएस का मतलब है पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ।
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राफेल एयरक्राफ्ट
- फोटो : Amar Ujala
गोल्डन एरो स्क्वाड्रन संभालेगी राफेल की कमान
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में राफेल की तैनाती के लिए एक ऐसी स्क्वाड्रन को जिंदा किया गया है, जिसे एयरफोर्स ने समाप्त कर दिया था। इस स्क्वाड्रन का नाम है 17 गोल्डन एरो। पिछले साल वायुसेना के पूर्व अध्यक्ष बीएस धनोआ ने इसको जिंदा किया था और अब यही स्क्वाड्रन अंबाला में राफेल की कमान संभालेगी। वैसे तो इस स्क्वाड्रन का गठन 1 अक्तूबर 1951 में किया गया था। लेकिन मिग-21 विमानों के बेड़े से बाहर होने के साथ-साथ वर्ष 2016 में इस स्क्वाड्रन को भी समाप्त कर दिया गया था। अब इस गौरवशाली स्क्वाड्रन को सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान राफेल के लिए फिर से वजूद में लाया गया है।
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में राफेल की तैनाती के लिए एक ऐसी स्क्वाड्रन को जिंदा किया गया है, जिसे एयरफोर्स ने समाप्त कर दिया था। इस स्क्वाड्रन का नाम है 17 गोल्डन एरो। पिछले साल वायुसेना के पूर्व अध्यक्ष बीएस धनोआ ने इसको जिंदा किया था और अब यही स्क्वाड्रन अंबाला में राफेल की कमान संभालेगी। वैसे तो इस स्क्वाड्रन का गठन 1 अक्तूबर 1951 में किया गया था। लेकिन मिग-21 विमानों के बेड़े से बाहर होने के साथ-साथ वर्ष 2016 में इस स्क्वाड्रन को भी समाप्त कर दिया गया था। अब इस गौरवशाली स्क्वाड्रन को सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान राफेल के लिए फिर से वजूद में लाया गया है।
राफेल एयरक्राफ्ट
- फोटो : Amar Ujala
सरहद पार किए बिना दुश्मन को लगा देगा ठिकाने
राफेल एयरक्राफ्ट सरहद पार किए बिना दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखता है। बिना एयर स्पेस बॉर्डर क्रॉस किए राफेल पाकिस्तान और चीन के भीतर 600 किलोमीटर तक के टारगेट को पूरी तरह से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यानी अंबाला से 45 मिनट में बॉर्डर पर राफेल की तैनाती और फिर वहीं से टारगेट लोकेट कर पाकिस्तान और चीन में भारी तबाही का इंतजाम इंडियन एयरफोर्स ने कर लिया है। एयर-टू-एयर और एयर-टू-सरफेस मारक क्षमता में सक्षम राफेल की रेंज (एयरबेस से विमान की उड़ान के बाद ऑपरेशन खत्म कर वापस एयरबेस तक लौटने की सीमा) वैसे तो 3700 किलोमीटर बताई जा रही है। मगर चूंकि इस विमान को हवा में ही रिफ्यूल किया जा सकता है। इसलिए इसकी रेंज निर्धारित रेंज से कहीं ज्यादा बढ़ाई जा सकती है। यानी जरूरत पड़ी तो राफेल दुश्मन के इलाके के भीतर जाकर 600 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक ताबड़तोड़ एयर स्ट्राइक कर सकता है।
राफेल एयरक्राफ्ट सरहद पार किए बिना दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखता है। बिना एयर स्पेस बॉर्डर क्रॉस किए राफेल पाकिस्तान और चीन के भीतर 600 किलोमीटर तक के टारगेट को पूरी तरह से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यानी अंबाला से 45 मिनट में बॉर्डर पर राफेल की तैनाती और फिर वहीं से टारगेट लोकेट कर पाकिस्तान और चीन में भारी तबाही का इंतजाम इंडियन एयरफोर्स ने कर लिया है। एयर-टू-एयर और एयर-टू-सरफेस मारक क्षमता में सक्षम राफेल की रेंज (एयरबेस से विमान की उड़ान के बाद ऑपरेशन खत्म कर वापस एयरबेस तक लौटने की सीमा) वैसे तो 3700 किलोमीटर बताई जा रही है। मगर चूंकि इस विमान को हवा में ही रिफ्यूल किया जा सकता है। इसलिए इसकी रेंज निर्धारित रेंज से कहीं ज्यादा बढ़ाई जा सकती है। यानी जरूरत पड़ी तो राफेल दुश्मन के इलाके के भीतर जाकर 600 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक ताबड़तोड़ एयर स्ट्राइक कर सकता है।
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राफेल विमान
- फोटो : Twitter
100 किमी के दायरे में 40 टारगेट एक साथ पकड़ेगा
राफेल की एक बड़ी खासियत यह भी है कि एक बार एयरबेस से उड़ान भरने के बाद 100 किलोमीटर के दायरे में राफेल 40 टारगेट एक साथ पकड़ेगा। इसके लिए विमान में मल्टी डायरेक्शनल रडार फिट किया गया है। यानी 100 किलोमीटर पहले से ही राफेल के पायलट को मालूम चल जाएगा कि इस दायरे में कोई ऐसा टारगेट है, जिससे विमान को खतरा हो सकता है। यह टारगेट दुश्मन के विमान भी हो सकते हैं। टू सीटर राफेल का पहला पायलट दुश्मनों के टारगेट को लोकेट करेगा। दूसरा पायलट लोकेट किए गए टारगेट का सिग्नल मिलने के बाद उसे बर्बाद करने के लिए राफेल में लगे हथियारों को ऑपरेट करेगा।
राफेल की एक बड़ी खासियत यह भी है कि एक बार एयरबेस से उड़ान भरने के बाद 100 किलोमीटर के दायरे में राफेल 40 टारगेट एक साथ पकड़ेगा। इसके लिए विमान में मल्टी डायरेक्शनल रडार फिट किया गया है। यानी 100 किलोमीटर पहले से ही राफेल के पायलट को मालूम चल जाएगा कि इस दायरे में कोई ऐसा टारगेट है, जिससे विमान को खतरा हो सकता है। यह टारगेट दुश्मन के विमान भी हो सकते हैं। टू सीटर राफेल का पहला पायलट दुश्मनों के टारगेट को लोकेट करेगा। दूसरा पायलट लोकेट किए गए टारगेट का सिग्नल मिलने के बाद उसे बर्बाद करने के लिए राफेल में लगे हथियारों को ऑपरेट करेगा।