रोहिणी के सीआरपीएफ स्कूल के बाहर धमाके के मामले में सुरक्षा एजेंसियां नक्सलियों की भूमिका की जांच कर रही है। आशंका जताई जा रही है कि विस्फोट के पीछे नक्सलियों का हाथ हो सकता है। आशंका जताई जा रही है कि नक्सलियों ने अपने इलाके में सीआरपीएफ की ओर से चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ वारदात को अंजाम दिया है इस आशंका को देखते हुए सोमवार को सीआरपीएफ की जांच टीम घटनास्थल पर पहुंची। टीम ने वहां पर बारीकी से जांच-पड़ताल की। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियां सभी पहलुओं से जांच कर रही है।
Delhi Blast: धमाके के पीछे न आतंकी न खालिस्तानी, जांच एजेंसियों को इन पर शक; इसलिए किया CRPF स्कूल को टारगेट
सीआरपीएफ की टीम छतीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा में नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। पिछले चार माह में अभियान को काफी तेज कर दिया गया है और इस दौरान 88 नक्सलियों को मार गिराया गया है। सीआरपीएफ छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से 2026 तक माओवादी समस्या को समाप्त करने की घोषणा भी की है। ऐसे में माना जा रहा है कि धमाके के पीछे नक्सलियों का भी हाथ हो सकता है। जिस जगह पर धमाका हुआ है, वहां सीआरपीएफ स्कूल के अलावा लांसर स्कूल भी है। ऐसे में सीआरपीएफ स्कूल के पास धमाका होने से सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है।
नुकसान पहुंचाना नहीं था मकसद
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से धमाके को अंजाम दिया गया है, इससे लग रहा है कि धमाके के जरिये नक्सली अपनी मौजूदगी का अहसास करना चाहते थे। उनका मकसद नुकसान पहुंचाना नहीं था। क्योंकि धमाका करने वालों ने रविवार का दिन चुना, जब स्कूल बंद होता है। टीम ने विस्फोटक की तीव्रता को जांचने के लिए वहां की मैपिंग भी की। सीआरपीएफ की टीम ने सुरक्षा एजेंसियों की ओर से घटनास्थल से उठाए गए नमूने के बारे में जानकारी भी हासिल की है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक जांच टीम सभी पहलुओं की जांच कर रही है। उनके मुताबिक मौके से मिले साक्ष्य के अनुसार जांच टीम आगे बढ़ रही है।
स्कूल में पढ़ते हैं सुरक्षा बलों के अधिकारियों के बच्चे
सीआरपीएफ स्कूल में पांच श्रेणी में छात्र-छात्राओं को सिलेक्ट किया जाता है। इसमें सीआरपीएफ अधिकारियों के बच्चे, सीआरपीएफ के रिटायर्ड और हैंडीकैप अधिकारियों के बच्चे, अन्य पैरामिलिट्री फोर्सेस (आईटीबीपी, बीएसएफ आदि) के जवानों के बच्चे पढ़ते हैं। यदि सीट बचती है तो नॉन सर्विस वाले लोगों के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है।
| दिनांक | स्थान | मौत | घायल |
| छह जनवरी 2000 | पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन | 00 | 20 |
| 27 फरवरी 2000 | पहाड़गंज | 00 | 08 |
| 16 मार्च 2000 | सदर बाजार | 00 | 07 |
| 18 जून 2000 | लाल किला | 02 | 00 |
| नौ मई 2001 | सेना मुख्यालय/डलहौजी रोड | 00 | 01 |
| 11 अगस्त 2001 | साउथ एक्सटेंशन | 00 | 02 |
| 13 दिसंबर 2001 | संसद | 11 | 30 |
| 22 मई 2005 | लिबर्टी/सत्यम सिनेमा | 01 | 60 |
| 14 अप्रैल 2006 | जामा मस्जिद, वाल्ड सिटी, पुरानी दिल्ली | 00 | 14 |
| 13 सितंबर 2008 | करोल बाग, कनाट प्लेस और ग्रेटर कैलाश | 25 | 150 |
| 27 सितंबर 2008 | फूल बाजार, महरौली | 03 | 21 |
| मई 2011 | दिल्ली हाई कोर्ट | 00 | 00 |
| सितंबर 2011 | दिल्ली हाई कोर्ट | 11 | 74 |