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खुलासा: पकड़ में न आता तो और बढ़ता अल फलाह का व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल, मौलवी इश्तियाक करने लगा था खुला समर्थन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, फरीदाबाद Published by: विकास कुमार Updated Fri, 21 Nov 2025 03:17 AM IST
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Al Falah University white-collar terror module grown even more if not burst
अल फलाह यूनिवर्सिटी - फोटो : अमर उजाला

फरीदाबादा के धौज स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से सामने आए व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल को पकड़ने में कुछ और समय सुरक्षा एजेंसियों को लगता तो इनका नेटवर्क कई गुणा बढ़ सकता था। डॉ. मुज्जमिल, डॉ. उमर व डॉ. शाहीन आदि इस नेटवर्क को तेजी से फैला रहे थे। इस काम में उनकी मदद इलाके का मौलवी इश्तियाक मोहम्मद खुलकर करने लगा था। वह इलाके के रहने वाले 10 से अधिक लोगों की मुलाकात इस मॉड्यूल के डॉक्टरों से करा चुका था।


 

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डॉ. मुजम्मिल की फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला

सबसे अहम भूमिका में था डॉ. मुजम्मिल
अल फलाह यूनिवर्सिटी के इस टेरर मॉड्यूल में फिलहाल सबसे अहम भूमिका डॉ. मुजम्मिल की थी। वो ही पाकिस्तानी हैंडलर से सबसे अधिक संपर्क में रहता था। उसी के पास हवाला नेटवर्क के जरिये रुपये आते थे। यहां तक कि विस्फोटक व हथियार इकट्ठा कर उन्हें सुरक्षित ठिकानों पर छुपाने की जिम्मेदारी भी डॉ. मुज्जमिल के पास ही थी। धौज और फतेहपुर तगा गांव के दोनों लोकेशन पर मिले 2900 किलो से अधिक विस्फोटक को उसने ही यहां छुपाया हुआ था। इन दोनों लोकेशन को उसने ही किराये पर लिया था।

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डॉ. उमर - फोटो : अमर उजाला

दोस्त बनाकर खरीदी सिम
जांच एजेंसी के सूत्रों की माने तो धौज के रहने वाले सब्बीर को एनआईए ने हिरासत में लिया है। सब्बीर की गांव में ही मोबाइल की दुकान है। करीब 8 महीने पहले डॉ. मुजम्मिल अपना मोबाइल रिपेयर कराने सब्बीर की दुकान पर गया था। इसके बाद डॉ. मुजम्मिल कई बार धौज में सब्बीर की दुकान पर गया और यहीं से उसने कई मोबाइल सिम खरीदी थी। साथ ही, धौज के रहने वाले इकबाल मद्रासी से भी डॉ. मुजम्मिल ने बिना कोई आईडी दिए कमरा किराए पर लिया था। मद्रासी की मुलाकात अस्पताल में सितंबर महीने में बुखार की दवाई लेने के दौरान डॉ. मुज्जमिल से हुई थी।

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डॉ. शाहीन - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क

यूनिवर्सिटी से किसी भी महिला डॉक्टर या छात्रा को नेटवर्क में शामिल नहीं कर पाए आरोपी
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, डॉ. शाहीन ने अपनी टीम में लड़कियों को शामिल करने का भी प्लान तैयार किया था। इसके तहत उसने कुछ लड़कियों की लिस्ट भी बनाई थी, जिसका जिक्र उसकी डायरी में भी है। इसके अलावा, किसको कितने पैसे की मदद करनी है, इसका फैसला भी डॉ. शाहीन और उमर नबी मिलकर ही करते थे। शाहीन लड़कियों की टीम बनाने में कामयाब नहीं हुई और वे यूनिवर्सिटी से किसी भी महिला डॉक्टर, स्टॉफ या छात्रा को अपने नेटवर्क में शामिल नहीं कर पाए।

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