यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने वाला नेता ही अब दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़ा स्टार के तौर पर उभर रहा है।
योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने वाला नेता ही बना दिल्ली में बीजेपी का सबसे बड़ा स्टार
दो साल पहले हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जिस तरह की हार मिली थी उसे 'शर्मनाक हार' तक कहा गया। एसेंबली की 70 में से पार्टी के केवल 3 विधायक ही चुनाव जीत पाए। इसके बाद से ही भारतीय जनता पार्टी देश के दिल दिल्ली में अपनी जमीन फिर से पाने की कोशिश कर रही थी और एमसीडी चुनाव के पहले पार्टी ने एक नए चेहरे पर भरोसा किया और उसे ही पूरी जिम्मेदारी सौंप दी।भोजपुरी गायकी में अपना नाम कमा चुके मनोज तिवारी को दिल्ली बीजेपी प्रेसिडेंट बना कर पार्टी ने अपने पुराने नेताओं को भी चौंका दिया। मनोज तिवारी ने एमसीडी इलेक्शन से ठीक पहले एक बड़ी घोषणा करते हुए अपने निर्वतमान पार्षदों में से किसी को भी फिर से टिकट देने से मना कर दिया। तिवारी के इस फैसले को शीर्ष नेतृत्व ने पूरा समर्थन किया और एमसीडी के 272 में से 272 सीटों पर नये चेहरों के साथ चुनाव मैदान में उतर पड़ी। इसका नतीजा सबके सामने है और बीजेपी 2012 के नतीजों से भी ज्यादा सीटें जीतती दिख रह है। इसके बावजूद मनोज तिवारी का विवादों से पुराना नाता रहा है। आइए जानते हैं अचानक ही राजनीति में तेजी से उबरे मनोज तिवारी के बारे में सबकुछ...
1- एक फरवरी 1971 में बिहार के कैमूर जिले के अतरवलिया में जन्में मनोज तिवारी के कुल छह भाई-बहन हैं। बचपन से ही गीत संगीत में रुचि रखने वाले मनोज तिवारी ने गायन को ही अपना कैरियर बनाया और भोजपुरी गायन और भक्ति गीतों की अपनी खास शैली के कारण जल्दी वो लोकप्रिय गायक बन गए।
2- 2003 मनोज तिवारी के कैरियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इसी साल उनकी फिल्म 'ससुरा बड़ा पैसे वाला' रिलीज हुई जिसने सफलता और कमाई के ऐसे रिकॉर्ड बनाए कि राष्ट्रीय मीडिया सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी उस पर चर्चा करने को मजबूर हो गई। इस फिल्म को भोजपुरी सिनेमा का ऐतिहासिक बदलाव वाला क्षण भी माना जाता है क्योंकि इस फिल्म के बाद उसे राष्ट्रीय पहचान मिली और अतिताभ बच्चन जैसे बड़े स्टार ने भी भोजपुरी सिनेमा में काम करने के लिए अपनी सहमति दे दी।
3- अपनी लोकप्रियता को भुनाने के लिए मनोज तिवारी ने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया और समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली। चौंका देने वाली बात है कि उन्होंने यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा।