गोरखपुर जिले में राप्ती नदी के डूब क्षेत्र में बसा डोमिनगढ़ गांव बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है। बाढ़ के कारण खेतों में बोई गई चारे की फसल डूब कर बर्बाद हो गई है। इस कारण गांव वालों के सामने पालतू पशुओं के लिए चारे का संकट उत्पन्न हो गया है। बाढ़ की चपेट में आए डोमिनगढ़, दुर्विजय नगर, कोलडिहवां, शिवरियां, उत्तरी-दक्षिणी कोलिया गांवों में मंगलवार को बाढ़ का पानी कुछ कम हुआ, लेकिन सड़क और मकान जलभराव से ग्रस्त हैं। डोमिनगढ़ के ग्राम प्रधान अविनाश यादव ने बताया कि डूब क्षेत्र में होने के कारण किसान धान की फसल की बुआई नहीं करते। पशुओं के चारे के लिए बाजरा आदि फसल की बुआई की जाती है वह भी बर्बाद हो गई।
दुर्विजय नगर के राजू यादव बताते हैं कि क्षेत्र में बहुत कम किसान धान की फसल बोते हैं, लेकिन पशुचारे की बुवाई करीब तीन सौ बीघा खेत में की गई थी। सारी फसल डूब कर बर्बाद हो गई है। फसल होने से पशुओं के लिए तो चारा उपलब्ध होता ही है शहर में दुग्ध पालकों को बेचकर कमाई भी हो जाती थी। बांध के रास्ते पर झोपड़ी में रह रही कोलिया दक्षिणी की बुजुर्ग लछमी बताती हैं कि रविवार को कुछ लोग गांव आए थे, भूंजा, गुड़ आदि बांट गए थे। इसके बाद कोई नहीं आया।
प्रशासन ने नहीं किया इंतजाम
क्षेत्र के राजू यादव, मुकेश यादव, जयद्रथ यादव ने बताया कि प्रशासन की तरफ से चारे का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। शिवपूजन ने बताया कि प्रशासन ने लोगों को तो भूंजा बांटा, लेकिन पशुओं का चारा नहीं दिया गया। अविनाश यादव ने बताया कि पानी उतरने के बाद दवा छिड़काव की व्यवस्था की जा रही है, मगर प्रशासन चारे की व्यवस्था नहीं कर रहा है। चारे का इंतजाम हो जाए तो पशुओं की जान बच जाय।
नदी के पानी से बनाते हैं खाना
झंगहा दोआबा क्षेत्र के बाढ़ पीड़ितों की समस्याएं कम नहीं हो रहीं। इनका कहना है कि पेयजल की काफी दिक्कत है। लोगों को खाना बनाने के लिए नदी के पानी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। नदी के पानी को ही उबाल कर लोग पी भी रहे हैं। क्षेत्र के दोआबा में लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। इस कारण यह लोग बंधे पर रात बिता रहे हैं। पीड़ितों का हाल जानने लोग आगे तो आ रहे हैं, लेकिन कुछ जगहों पर बंधे पर मवेशियों के साथ रह रहे बाढ़ पीड़ितों को अभी तक मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जयरामकोल, सधना, बंगला टोला और जोगिया के बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि पांच दिन हो गए गांव को पानी में डूबे, लेकिन दूसरी बार कोई नहीं आया। हम लोगों को पीने के पानी के लिए परेशानी हो रही है। नदी के पानी से खाना बना रहे हैं। कभी-कभी तो नदी के पानी को उबाल कर पीना भी पड़ रहा है। 100 परिवार बंधे पर पन्नी का टेंट डालकर रह रहे हैं। चारों तरफ जहरीले सांपों का डर बना रहता है। पांच सौ की आबादी पर एक ही नाव है। जयराम कोल के कमलेश चौहान ने बताया की सुबह खाना मिल गया तो ठीक, नहीं तो भगवान भरोसे रहना पड़ रहा है। जयराम कोल की प्रभावती ने बताया कि हम लोगों के पास अभी तक स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची है।
बाढ़ पीड़ितों को हो परेशानी तो सीधे मुझसे कहें : डीएम
गोरखपुर के डीएम ने बड़हलगंज के बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा करने के दौरान पीड़ितों से कहा, किसी को कोई भी परेशानी हो तो सीधे मुझसे कह सकते हैं। रामजानकी मार्ग पर नेतवार पट्टी के पास होने वाले रिसाव स्थल को देखकर एसडीएम गोला को निर्देश दिया कि इसे दुरुस्त करा दें। अगर इसपर चलना सुरक्षित हो तो धीरे-धीरे बड़े वाहनों का संचलन शुरू करा दिया जाए। मंगलवार को डीएम विजय किरन आनंद दोपहर में बड़हलगंज पहुंचे। उन्होंने रामजानकी मार्ग से खड़ेसरी, पिड़हनी, डेरवा, सीधेगौर का जायजा लेते हुए नेतवार पट्टी के पास पेट्रोल पंप के करीब सड़क पर हो रहे रिसाव स्थल पर पहुंच कर सघन जांच की। जिस्टौलिया गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम से जानकारी ली। डॉ. राकेश गुप्ता को निर्देश दिया कि बाढ़ ग्रस्त इलाकों में मरीजों को उचित इलाज की व्यवस्था पूरी मुस्तैदी से करें। लेखपाल सभी गांवों में राशन वितरण में समन्वय स्थापित करें।
10 फीट पानी में घिरे गांव, एनडीआरएफ ने किया रेस्क्यू अभियान
बाढ़ के पानी से घिरे चौरीचौरा ब्लॉक के विभिन्न गांवों में एनडीआरएफ का रेस्क्यू अभियान जारी रहा। अभियान के दौरान 84 लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। मंगलवार को रेस्क्यू अभियान के छठे दिन एनडीआरएफ की टीम ने इंस्पेक्टर सभाजीत यादव के नेतृत्व में गांव राजधानी, जयराम कोल, सदना, भरोहियां, बसुही, जोगिया तथा बरहड़ा में फंसे लोगों को मोटर बोट के मदद से बाहर निकाला। बाढ़ प्रभावितों में राहत सामग्री भी बांटी।