
{"_id":"610387b08ebc3e586c0af1b8","slug":"elderly-couple-made-three-pools-on-1500-meter-high-hill-in-village-kadma","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"87 की उम्र में 27 की लगन: बुजुर्ग दंपती ने जल संरक्षण के लिए किया ऐसा काम, जानकर अधिकारी भी कह उठे वाह","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
87 की उम्र में 27 की लगन: बुजुर्ग दंपती ने जल संरक्षण के लिए किया ऐसा काम, जानकर अधिकारी भी कह उठे वाह
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चरखी दादरी (हरियाणा)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 30 Jul 2021 02:09 PM IST
विज्ञापन

चरखी दादरी की बुजुर्ग दंपती ने बनाया पक्का कुंड
- फोटो : अमर उजाला
कुछ करने की अगर चाह हो तो उम्र की बाधा भी आड़े नहीं आती। इस कहावत को चरखी दादरी की एक वयोवृद्ध दंपती ने सच कर दिखाया है। कादमा निवासी 87 वर्षीय भगवान सिंह ने अपनी 80 वर्षीय पत्नी फूला देवी के साथ मिलकर जल संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। भगवान सिंह और फूला देवी ने यह साबित कर दिया है कि भले ही वे बूढ़े हो गए हैं, लेकिन उनका जोश युवाओं से कम नहीं है। इस बुजुर्ग दंपती ने गांव की 1500 मीटर ऊंची पहाड़ी पर तीन पक्के कुंड बनाए हैं। जिला प्रशासन ने भी इनके इस प्रयास की सराहना की है। कादमा गांव 200 साल पहले ठाकुर कदम सिंह ने बसाया था। भगवान सिंह और उनकी पत्नी फूला देवी इसी गांव के निवासी हैं और खेती करते हैं। जब बच्चे खेत में काम करने लगे तो भगवान सिंह का ध्यान साहीवाली पहाड़ी की ओर गया। वहां कभी वे अपने पशुओं को चराने के लिए ले जाते थे। वहां घास फूस और चारे की कमी तो नहीं है, लेकिन जीव जंतुओं के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी।


भगवान सिंह।
- फोटो : अमर उजाला
भगवान सिंह के जहन में वहां पानी के कुंड बनाने का ख्याल आया। छह साल पहले भगवान सिंह और फूला देवी को पहाड़ी की चोटी पर कुंड निर्माण का काम शुरू हुआ। तीन कुंड का निर्माण करवाने में करीब डेढ़ साल लग गया। उन्होंने बताया कि सर्दियों में काफी समय तक काम भी बंद रहा और इसके बाद गांव के युवाओं से सहयोग मिलने पर इस कार्य को सिरे चढ़ाया गया। दंपती ने बताया कि कुंड निर्माण के बाद से ही वे लगातार यहां देखरेख कर रहे हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन

फूलो देवी
- फोटो : अमर उजाला
बुजुर्ग दंपती के सपने को युवा क्लब ने मिलकर चढ़वाया परवान
गांव कादमा युवा क्लब के सदस्यों ने जब बुजुर्ग दंपती को पहाड़ी पर काम करते देखा तो वे भी इसमें सहयोग करने लगे। इन कुंडों में बारिश का पानी इक्ट्ठा हो जाता है, जो आसपास रहने वाले गीदड़, हिरण, गाय, भेड़-बकरी, लोमड़ी, नीलगाय आदि की प्यास बुझा रहा है। भगवान सिंह व उनकी पत्नी सुबह से शाम तक इसी धूणे पर सेवा में लगे रहते हैं। उन्होंने अपनी एक छोटी सी झोपड़ी भी तैयार कर ली है।
गांव कादमा युवा क्लब के सदस्यों ने जब बुजुर्ग दंपती को पहाड़ी पर काम करते देखा तो वे भी इसमें सहयोग करने लगे। इन कुंडों में बारिश का पानी इक्ट्ठा हो जाता है, जो आसपास रहने वाले गीदड़, हिरण, गाय, भेड़-बकरी, लोमड़ी, नीलगाय आदि की प्यास बुझा रहा है। भगवान सिंह व उनकी पत्नी सुबह से शाम तक इसी धूणे पर सेवा में लगे रहते हैं। उन्होंने अपनी एक छोटी सी झोपड़ी भी तैयार कर ली है।

पक्का कुंड
- फोटो : अमर उजाला
संत मंगलदास ने की थी तपस्या
जिस पहाड़ी पर कुंड बनाया गया है, वहां 150 साल पहले संत मंगलदास ने तपस्या की थी और उनका धूणा आज भी यहां मौजूद है। संत मंगलदास की समाध और मुख्य मंदिर कादमा से दो किलोमीटर दूर गांव कांहड़ा में बना हुआ है।
जिस पहाड़ी पर कुंड बनाया गया है, वहां 150 साल पहले संत मंगलदास ने तपस्या की थी और उनका धूणा आज भी यहां मौजूद है। संत मंगलदास की समाध और मुख्य मंदिर कादमा से दो किलोमीटर दूर गांव कांहड़ा में बना हुआ है।
विज्ञापन

पहाड़ी पर बना पक्का कुंड।
- फोटो : अमर उजाला
ग्रामीण बोले- युवा भी मानते हैं बुजुर्ग दंपती के प्रयास का लोहा
कादमा निवासी कमल सिंह, रामफल, सतबीर शर्मा, महेश फौजी ने बताया कि बुजुर्ग दंपती का लोहा गांव के युवा भी मानते हैं, जो अपने अथक परिश्रम से जलसेवा का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत कर चुके हैं। साहीवाली पहाड़ी पर भगवान महादेव की भी एक प्रतिमा बनाई जा रही है, जिसे कादमा का ही एक युवक नसीब खान पूरे मनोयोग से बना रहा है।
कादमा निवासी कमल सिंह, रामफल, सतबीर शर्मा, महेश फौजी ने बताया कि बुजुर्ग दंपती का लोहा गांव के युवा भी मानते हैं, जो अपने अथक परिश्रम से जलसेवा का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत कर चुके हैं। साहीवाली पहाड़ी पर भगवान महादेव की भी एक प्रतिमा बनाई जा रही है, जिसे कादमा का ही एक युवक नसीब खान पूरे मनोयोग से बना रहा है।