देश आजादी का 76वां सालगिरह मना रहा है। मतलब देश को आज़ाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं। इन 75 सालों में भारत ने औद्योगिक क्षेत्र में काफी विकास किया है। इसी की देन है कि आज भारत अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया के टॉप देशों में शुमार हो चुका है।
इन 75 सालों में कुछ कंपनियां ऐसी रहीं, जिनकी विदेश में भी पहचान बनी। एक समय में भारतीय कंपनियों को विदेश में ज्यादा इज्जत नहीं मिलती थी, लेकिन कुछ कंपनियों ने विदेश में भी सफलता के झंडे गाड़कर देश का नाम रोशन किया। वहीं, कुछ कंपनियों को नुकसान के चलते कारोबार समेटना पड़ा। कुछ कंपनियां आज भारी कर्ज या घाटे के कारण संकट के दौर से गुजर रही हैं।
आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं कि कौन-सी कंपनियां कामयाब रहीं और कौन-सी कंपनियों को नाकामी हाथ लगी...
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76th independence day: आजादी से अब तक कौन रहे शीर्ष औद्योगिक घराने, जानें कितने आगे बढ़े और कितने बर्बाद हुए?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Mon, 15 Aug 2022 09:02 AM IST
सार
इन 75 सालों में कुछ कंपनियां ऐसी रहीं, जिनकी विदेश में भी पहचान बनी। एक समय में भारतीय कंपनियों को विदेश में ज्यादा इज्जत नहीं मिलती थी, लेकिन कुछ कंपनियों ने विदेश में भी सफलता के झंडे गाड़कर देश का नाम रोशन किया। वहीं, कुछ कंपनियों को नुकसान के चलते कारोबार समेटना पड़ा।
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आजादी का अमृत महोत्सव
- फोटो : अमर उजाला

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गौतम अदाणी
- फोटो : अमर उजाला
इन भारतीय कंपनियों को कामयाबी मिली-
1. अदाणी समूह
शुरुआत : वर्ष 1988
मौजूदा मार्केट कैप : 32.66 खरब रुपये
पिछले कुछ सालों में अदाणी ग्रुप ने खूब तरक्की हासिल की है। उसी के दम पर गौतम शांतिलाल अडानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति तक बने। गौतम का जन्म 24 जून 1962 को हुआ था, जो एक सफल भारतीय अरबपति उद्योगपति हैं। वे अहमदाबाद स्थित बहुराष्ट्रीय समूह अदाणी समूह के अध्यक्ष और संस्थापक हैं, जो भारत में बंदरगाह डेवलपमेंट और ऑपरेशन में लगा है।
अदाणी समूह के मुखिया गौतम अदाणी (Gautam Adani) अब दुनिया के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति भी बन गए हैं। हाल ही में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को भी संपत्ति के मामले में पीछे छोड़ दिया है। आपको बता दें बिल गेट्स लंबे समय तक दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में नंबर एक पर रहे हैं। अब अरबपतियों की लिस्ट में गौतम अदाणी से आगे सिर्फ तीन अरबपति- जेफ बेजोस, बर्नाड अनॉल्ट और एलन मस्क ही हैं।
आंकड़ों के मुताबिक अदाणी समूह के सर्वेसर्वा गौतम अदाणी की संपत्ति पिछले एक साल के दौरान ही लगभग दोगुनी हो गई है। उनकी संपत्ति जिस तेजी से बढ़ रही है उसे देखते हुए आने वाले दिनों में दुनिया के टॉप तीन अरबपतियों की रैंकिंग में भी वे जगह बना सकते हैं। आपको बता दें कि साल 2021 के शुरुआती महीनों में गौतम अदाणी की दौलत 55-60 बिलियन डॉलर के करीब थी जो वर्तमान में बढ़कर 115 बिलियन डॉलर के लगभग हो गई है।
1. अदाणी समूह
शुरुआत : वर्ष 1988
मौजूदा मार्केट कैप : 32.66 खरब रुपये
पिछले कुछ सालों में अदाणी ग्रुप ने खूब तरक्की हासिल की है। उसी के दम पर गौतम शांतिलाल अडानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति तक बने। गौतम का जन्म 24 जून 1962 को हुआ था, जो एक सफल भारतीय अरबपति उद्योगपति हैं। वे अहमदाबाद स्थित बहुराष्ट्रीय समूह अदाणी समूह के अध्यक्ष और संस्थापक हैं, जो भारत में बंदरगाह डेवलपमेंट और ऑपरेशन में लगा है।
अदाणी समूह के मुखिया गौतम अदाणी (Gautam Adani) अब दुनिया के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति भी बन गए हैं। हाल ही में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को भी संपत्ति के मामले में पीछे छोड़ दिया है। आपको बता दें बिल गेट्स लंबे समय तक दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में नंबर एक पर रहे हैं। अब अरबपतियों की लिस्ट में गौतम अदाणी से आगे सिर्फ तीन अरबपति- जेफ बेजोस, बर्नाड अनॉल्ट और एलन मस्क ही हैं।
आंकड़ों के मुताबिक अदाणी समूह के सर्वेसर्वा गौतम अदाणी की संपत्ति पिछले एक साल के दौरान ही लगभग दोगुनी हो गई है। उनकी संपत्ति जिस तेजी से बढ़ रही है उसे देखते हुए आने वाले दिनों में दुनिया के टॉप तीन अरबपतियों की रैंकिंग में भी वे जगह बना सकते हैं। आपको बता दें कि साल 2021 के शुरुआती महीनों में गौतम अदाणी की दौलत 55-60 बिलियन डॉलर के करीब थी जो वर्तमान में बढ़कर 115 बिलियन डॉलर के लगभग हो गई है।
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बच्चों के साथ नीता और मुकेश अंबानी।
- फोटो : अमर उजाला
2. रिलायंस इंडस्ट्रीज (मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली)
शुरुआत: वर्ष 1973
मौजूदा मार्केट कैप: 178.24 खरब रुपये
मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी ने 1960 के दशक में रिलायंस की शुरुआत की। साल 2005 में जब धीरूभाई के 28,000 करोड़ रुपये के रिलायंस ग्रुप का बंटवारा हुआ था, तब मुनाफा कमाने वाला टेलीकॉम सेक्टर मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी को मिला। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि आगामी 10 वर्षों तक बड़े भाई मुकेश इस क्षेत्र में दखल नहीं देंगे। हालांकि, वक्त बीतने के साथ-साथ मुकेश अंबानी की नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) अनिल अंबानी समूह से आगे निकल गई। इसकी स्थापना वर्ष 1973 में हुई थी।
तेल, रिटेल और जियो
178.24 खरब रुपये के बाजार पूंजीकरण के साथ मुकेश अंबानी की RIL आज देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास दुनिया की प्राइवेट सेक्टर की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी है। यह गुजरात के जामनगर में है। फोर्ब्स की सूची में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्री दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी कंपनी है। इसकी रियल टाइम नेटवर्थ 95.6 अरब डॉलर है। पिछले कुछ सालों में रिलायंस ने तेजी से तरक्की की है और एक कर्जमुक्त कंपनी हो गई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास तीन ग्रोथ इंजन हैं- ऑयल, रिटेल और जियो।
शुरुआत: वर्ष 1973
मौजूदा मार्केट कैप: 178.24 खरब रुपये
मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी ने 1960 के दशक में रिलायंस की शुरुआत की। साल 2005 में जब धीरूभाई के 28,000 करोड़ रुपये के रिलायंस ग्रुप का बंटवारा हुआ था, तब मुनाफा कमाने वाला टेलीकॉम सेक्टर मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी को मिला। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि आगामी 10 वर्षों तक बड़े भाई मुकेश इस क्षेत्र में दखल नहीं देंगे। हालांकि, वक्त बीतने के साथ-साथ मुकेश अंबानी की नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) अनिल अंबानी समूह से आगे निकल गई। इसकी स्थापना वर्ष 1973 में हुई थी।
तेल, रिटेल और जियो
178.24 खरब रुपये के बाजार पूंजीकरण के साथ मुकेश अंबानी की RIL आज देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास दुनिया की प्राइवेट सेक्टर की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी है। यह गुजरात के जामनगर में है। फोर्ब्स की सूची में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्री दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी कंपनी है। इसकी रियल टाइम नेटवर्थ 95.6 अरब डॉलर है। पिछले कुछ सालों में रिलायंस ने तेजी से तरक्की की है और एक कर्जमुक्त कंपनी हो गई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास तीन ग्रोथ इंजन हैं- ऑयल, रिटेल और जियो।

रतन टाटा
- फोटो : सोशल मीडिया
3. टाटा ग्रुप
शुरुआत: वर्ष 1868
टीसीएस का मौजूदा मार्केट कैप: 23.52 लाख करोड़ रुपया
टाटा समूह भारत के सबसे बड़े और पुराने समूहों में शुमार है। टाटा स्टील और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी दिग्गज कंपनियां इस समूह में शामिल हैं। सिर्फ आईटी क्षेत्र ही नहीं, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें टाटा की किसी न किसी तरह से भूमिका न हो। टाटा कंपनी नमक से लेकर वाहन बनाने के लिए जानी जाती है। जैसे-जैसे भारत का तकनीकी परिदृश्य बढ़ रहा है, टीसीएस भी लगातार विस्तार कर रही है।
2006 में कोरस का 12.7 अरब डॉलर में अधिग्रहण करके टाटा स्टील ने ब्रिटेन में कदम रखा था। यह उस वक्त किसी भी भारतीय कंपनी द्वारा किया गया यह सबसे बड़ा अधिग्रहण था। इसके बाद टाटा मोटर्स ने मार्च 2006 में जैगुआर और लैंड रोवर का 2.3 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया था। 2012 में टाटा समूह की अन्य कंपनी इंडियन होटल कंपनी ने अक्तूबर 2012 में ओरिएंट होटल का 1.67 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया था। आज टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 123.52 लाख करोड़ रुपये है।
शुरुआत: वर्ष 1868
टीसीएस का मौजूदा मार्केट कैप: 23.52 लाख करोड़ रुपया
टाटा समूह भारत के सबसे बड़े और पुराने समूहों में शुमार है। टाटा स्टील और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी दिग्गज कंपनियां इस समूह में शामिल हैं। सिर्फ आईटी क्षेत्र ही नहीं, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें टाटा की किसी न किसी तरह से भूमिका न हो। टाटा कंपनी नमक से लेकर वाहन बनाने के लिए जानी जाती है। जैसे-जैसे भारत का तकनीकी परिदृश्य बढ़ रहा है, टीसीएस भी लगातार विस्तार कर रही है।
2006 में कोरस का 12.7 अरब डॉलर में अधिग्रहण करके टाटा स्टील ने ब्रिटेन में कदम रखा था। यह उस वक्त किसी भी भारतीय कंपनी द्वारा किया गया यह सबसे बड़ा अधिग्रहण था। इसके बाद टाटा मोटर्स ने मार्च 2006 में जैगुआर और लैंड रोवर का 2.3 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया था। 2012 में टाटा समूह की अन्य कंपनी इंडियन होटल कंपनी ने अक्तूबर 2012 में ओरिएंट होटल का 1.67 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया था। आज टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 123.52 लाख करोड़ रुपये है।
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ओएनजीसी
- फोटो : अमर उजाला
4. ओएनजीसी
शुरुआत: 14 अगस्त 1956
मौजूदा मार्केट कैप: 17.51 खरब रुपये
महारत्नों में शामिल सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) आज देश में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की सबसे बड़ी कंपनी है। ओएनजीसी के पास तेल और गैस के अन्वेषण और उत्पादन तथा संबंधित तेल फील्ड सेवाओं के सभी क्षेत्रों में आंतरिक सेवा सक्षमताओं वाली एक कंपनी होने की अनोखी विशिष्टता है। कंपनी हर रोज 12.6 लाख बैरल से भी ज्यादा तेल समतुल्य गैस का उत्पादन करती है। यह भारत के घरेलू उत्पादन के लगभग 70 फीसदी का योगदान कर रही है। ओएनजीसी विदेश, भारत की राष्ट्रीय तेल कंपनी ओएनजीसी की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। यह भारत की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी है। कंपनी को 2017 के लिए विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों की फोर्ब्स वैश्विक 2000 सूची में वैश्विक तेल और गैस प्रचालन उद्योग के बीच 14वां स्थान दिया गया। ओएनजीसी ने 2018 में 'तेल और गैस अन्वेषण' श्रेणी में इन एंड ब्रॉडस्ट्रीट पुरस्कार जीता था। कंपनी की बाजार हैसियत 17.51 खरब रुपये है।
शुरुआत: 14 अगस्त 1956
मौजूदा मार्केट कैप: 17.51 खरब रुपये
महारत्नों में शामिल सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) आज देश में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की सबसे बड़ी कंपनी है। ओएनजीसी के पास तेल और गैस के अन्वेषण और उत्पादन तथा संबंधित तेल फील्ड सेवाओं के सभी क्षेत्रों में आंतरिक सेवा सक्षमताओं वाली एक कंपनी होने की अनोखी विशिष्टता है। कंपनी हर रोज 12.6 लाख बैरल से भी ज्यादा तेल समतुल्य गैस का उत्पादन करती है। यह भारत के घरेलू उत्पादन के लगभग 70 फीसदी का योगदान कर रही है। ओएनजीसी विदेश, भारत की राष्ट्रीय तेल कंपनी ओएनजीसी की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। यह भारत की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी है। कंपनी को 2017 के लिए विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों की फोर्ब्स वैश्विक 2000 सूची में वैश्विक तेल और गैस प्रचालन उद्योग के बीच 14वां स्थान दिया गया। ओएनजीसी ने 2018 में 'तेल और गैस अन्वेषण' श्रेणी में इन एंड ब्रॉडस्ट्रीट पुरस्कार जीता था। कंपनी की बाजार हैसियत 17.51 खरब रुपये है।