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सात जवानों की शहादत: क्या पुंछ में हैं आतंकियों के मददगार, कहां से आ रहा है खाना, ऐसा संभव कैसे?

Prashant Kumar प्रशांत कुमार
Updated Sat, 16 Oct 2021 10:29 AM IST
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Alert regarding presence of terrorists in Poonch Instructions to security forces to be alert
पुंछ मुठभेड़ - फोटो : अमर उजाला
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जम्मू-कश्मीर के राजोरी और पुंछ में आतंकी गुटों के मौजूद होने की आशंका के बाद अलर्ट जारी किया गया है। जिसमें खुफिया एजेंसियों ने स्थानीय एजेंसियों और सुरक्षाबलों को बेहद सतर्क रहने को कहा गया है। यह सुरक्षा अलर्ट ऐसे समय जारी किया गया है जब डेरा की गली के घने जगलों में बडे़ पैमाने पर आतंक विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा हाई अलर्ट पर कर दी गई है। आतंकियों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी की जा रही है। ग्रुप के बारे में अभी कोई स्थिति साफ नहीं हो पाई है। आतंकियों के दो अलग-अलग स्थानों पर मौजूदगी का पता चला है।

घने जगलों में सोमवार और गुरुवार को दो हमलों में एक जेसीओ समेत सात जवान शहीद हुए हैं। आतंकियों की मौजूदगी और घात लगाकर हुए हमलों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जैसे- क्या पुंछ में हैं आतंकियों के मददगार? कहां से आ रहा है आतंकियों का खाना? बिना स्थानीय सहयोग के ऐसा संभव कैसे? जानिए इन सभी सवालों के जवाब...
 
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Alert regarding presence of terrorists in Poonch Instructions to security forces to be alert
पुंछ मुठभेड़ - फोटो : अमर उजाला
खुफिया एजेंसियों ने बड़े खतरे को भांपते हुए नया सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि आतंकियों को भागने से रोकने और सुरक्षा के लिहाज से हर तरह के कदम उठाए जाएं। कहा तो यह भी जा रहा है कि ये आतंकी एक ही ग्रुप के हो सकते हैं। घात लगाकर किए गए हमलों के बाद एजेंसियां आतंकियों के एक ग्रुप को लगातार ट्रैक कर रही हैं, जो कई हफ्तों से थन्नामंडी, सुरनकोट, मेंढर और मंजाकोट के ऊपरी हिस्से में मौजूद है। 
 

 
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पुंछ मुठभेड़ - फोटो : अमर उजाला
बीते पांच दिन में दो बार घात लगाकर हुए हमलों पर गौर करें तो पता चलता है कहीं न कहीं जिले में आतंकियों का समर्थन करने वाले, उन्हें पनाह और मदद देने वाले कई स्थानीय लोग हैं।
Alert regarding presence of terrorists in Poonch Instructions to security forces to be alert
पुंछ मुठभेड़ - फोटो : अमर उजाला
इस तरह के हमले बिना स्थानीय सहयोग के संभव नहीं, क्योंकि इस प्रकार के हमलों को अंजाम देने के लिए आतंकियों को कई दिनों तक उसी क्षेत्र में रहना होता है, जहां उन्हें खाने-पीने से लेकर आश्रय लेने तक की जरूरत होती है। क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की सटीक जानकारी भी सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों से दूर होती नजर आ रही है।

 
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पुंछ मुठभेड़ - फोटो : अमर उजाला
आतंकियों के पुराने ठिकाने के आसपास ही हुए हालिया हमले
जिले में आतंकवाद के दौर में जहां सुरनकोट तहसील के सुरन नदी के उस पार के क्षेत्रों में आतंकियों के बड़ी मात्रा में ठिकाने थे। तहसील के मस्तानदरा, मुगलमाड़ा, देहरागली, दराबा में और मेंढर तहसील के संगयोट, मक्का मजंयाड़ी, भाटादूड़ियां व गुरसाई आतंकियों का गढ़ माना जाता था। ऐसे में अगर चमरेड़ में हुए आतंकी हमले को देखें तो उसके आसपास का इलाका मस्तानदरा व दराबा से सटा हुआ है।
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