किश्तवाड़ में दच्छन तहसील के होंजड़ गांव में कुदरत के कहर से बच निकले रुस्तम अली और एजाज अहमद ने गुरुवार को होश में आने पर अपनी दास्तां सुनाई। दोनों ने बताया कि बादल फटने के बाद उनके गांव में प्रलय आ गई। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि अब क्या करना है। होश संभालने के बाद पहले अपने बच्चों को बचाने का प्रयास किया। कुछ को बचाने में कामयाब रहे, लेकिन कुछ मलबे के साथ बह गए और अभी तक उनका कुछ पता नहीं है।
Kishtwar Cloudburst: आंखों के सामने बह गए अपने और हम बेबस देखते रहे...पढ़ें उस खौफनाक रात की दास्तां
कहा कि सबसे पहले मैंने अपनी पत्नी और दो छोटी बेटियों को वहां से दूर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया। कुछ समय के बाद पानी का बहाव तेज हो गया। उस समय मेरे साथ मेरा बेटा फैसल अहमद और भाई का बेटा वसीम अहमद था। बहाव इतना तेज था कि बेटा और भाई का बेटा पानी में बहकर उससे बहुत दूर चले गए, जिन्हें बस देखता रह गया। वह खुद भी लगभग दो तीन किलोमीटर बहता चला गया और फिर मलबे में फंस गया।
इसके बाद उसको कोई होश नहीं रहा। हालात थोड़े सामान्य होने पर गांववासियों ने उसकी तलाश की और गांव वापस ले आए। आंखों के सामने बेटे और भतीजे को पानी में बहते देखने वाला मंजर भूल नहीं पा रहा हूं। मेरा बेटा 11वीं कक्षा में पढ़ता है। मकान भी बह गया है। पत्नी सलीमा बेगम व बेटियां साफिया और अफरोजा दोनों बच गई हैं। वह वहीं पास के घरों में सुरक्षित हैं।
दूसरे घायल 42 वर्षीय ठेकेदार एजाज एहमद बताते हैं कि हमें जैसे ही कुदरत के कहर का पता चला तो परिवार की सुरक्षा की चिंता सताने लगी। सबसे पहले अपने दोनों बेटों, एक बेटी और अपनी पत्नी को बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। लेकिन अपनी बहन माहता बेगम और भाभी फातिमा बेगम को नहीं बचा सका। अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है।
उन्होंने बताया कि सभी ने नमाज पढ़ कर खाना खाने की तैयारी ही की थी कि अचानक से बादल फटा और सब कुछ साथ बहा ले गया। मुझे इतना पता है कि मैं कई किलोमीटर तक बहता चला गया और बेहोश हो गया। कुछ समय के बाद होश आने पर रेंगते हुए ऊपर पहाड़ी की तरफ चढ़ा और सुरक्षित स्थान पर पहुंचा। उसके बाद कुछ गांव के लोग आए और मुझे बचा लिया। गौशाला में रखे मवेशी भी बह गए हैं।