किश्तवाड़ में दच्छन तहसील के होंजड़ गांव में कुदरत के कहर से बच निकले रुस्तम अली और एजाज अहमद ने गुरुवार को होश में आने पर अपनी दास्तां सुनाई। दोनों ने बताया कि बादल फटने के बाद उनके गांव में प्रलय आ गई। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि अब क्या करना है। होश संभालने के बाद पहले अपने बच्चों को बचाने का प्रयास किया। कुछ को बचाने में कामयाब रहे, लेकिन कुछ मलबे के साथ बह गए और अभी तक उनका कुछ पता नहीं है।
किश्तवाड़ जिला अस्पताल में भर्ती 50 वर्षीय रुस्तम अली पेशे से मजदूर है। वह डबडबाई आंखों से बताते हैं कि जिस समय यह कुदरती आफत आई, घर में बैठे बातचीत कर रहे थे। तेज आवाज सुनने के बाद आफत का कुछ अंदेशा हुआ, लेकिन समझ नहीं आया कि अब क्या करें। जब पानी व मलबा घरों के अंदर पहुंचा तो परिवार के सदस्यों को बचाने में लग गए।
किश्तवाड़ जिला अस्पताल में भर्ती 50 वर्षीय रुस्तम अली पेशे से मजदूर है। वह डबडबाई आंखों से बताते हैं कि जिस समय यह कुदरती आफत आई, घर में बैठे बातचीत कर रहे थे। तेज आवाज सुनने के बाद आफत का कुछ अंदेशा हुआ, लेकिन समझ नहीं आया कि अब क्या करें। जब पानी व मलबा घरों के अंदर पहुंचा तो परिवार के सदस्यों को बचाने में लग गए।