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Health Tips: वर्षों से शरीर में बना हुआ है थकान और आलस? हो सकता है डिस्थायमिया का संकेत, डॉक्टर से जानें

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Fri, 19 Dec 2025 01:41 PM IST
सार

Chronic Tiredness Causes: अक्सर कुछ लोग लंबे समय से थकान और आलस से परेशान रहते हैं, ध्यान देने वाली बात यह है कि वो ये मान लेते हैं कि यही उनकी सामान्य जिंदगी है। इसी विषय पर डॉक्टर ऋचा ने सोशल मीडिया पर एक बड़ी बात बताई है, उन्होंने इसे डिस्थायमिया बताया है। आइए इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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Dysthymia Symptoms: Chronic Tiredness and Long Term Fatigue warning signs Explained by Doctors
पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर - फोटो : Adobe Stock

Persistent Depressive Disorder: क्या आप वर्षों से लगातार थकान, आलस और लो-एनर्जी महसूस कर रहे हैं? क्या आपको ऐसा लगता है कि किसी भी काम में आपका मन नहीं लगता और यह उदासी अब आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन चुकी है? अगर हां तो यह केवल आपकी कोई आदत या स्वभाव नहीं, बल्कि डिस्थायमिया हो सकता है। इसे चिकित्सा की भाषा में पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (PDD) कहा जाता है। 



यह एक प्रकार का 'लो-ग्रेड डिप्रेशन' है, जो क्लिनिकल डिप्रेशन जितना तीव्र तो नहीं होता, लेकिन लंबे समय (अक्सर दो साल या उससे अधिक) तक बना रहता है। इसमें व्यक्ति को हर समय उदासीनता, मोटिवेशन की कमी और भविष्य के प्रति निराशा महसूस होती है। अच्छी बात यह है कि इस स्थिति को पहचाना जा सकता है और सही उपचार से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

इस विषय पर डॉक्टर ऋचा तिवारी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। उन्होंने वीडियो में बताया है कि  डिस्थायमिया से जूझ रहे लोगों को अक्सर लगने लगता है कि उनकी लाइफ ही ऐसी है, लेकिन यह सोच इस विकार का ही एक हिस्सा है। उन्होंने ये भी बताया कि यह एक तरह का लो ग्रेड डिप्रेशन है।


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Dysthymia Symptoms: Chronic Tiredness and Long Term Fatigue warning signs Explained by Doctors
हमेशा थकान रहना - फोटो : Freepik

डिस्थायमिया के मुख्य लक्षण
डॉक्टर ऋचा के मुताबिक डिस्थायमिया के लक्षण धीरे-धीरे शरीर और मन पर कब्जा करते हैं। इसमें व्यक्ति को अच्छी नींद न आना या बहुत अधिक नींद आना, भूख में अचानक बदलाव (बहुत अधिक या बहुत कम लगना), और हर समय ऊर्जा की कमी महसूस होती है। एकाग्रता में कमी, निर्णय लेने में कठिनाई और खुद को दूसरों से कमतर आंकना इसके मानसिक संकेत हैं। अगर यह स्थिति अधिक दिनों तक बनी रहती है, तो इसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।


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Dysthymia Symptoms: Chronic Tiredness and Long Term Fatigue warning signs Explained by Doctors
डिस्थायमिया - फोटो : Freepik

बचाव और लाइफस्टाइल में बदलाव
डिस्थायमिया से निपटने के लिए लाइफस्टाइल चेंजेज सबसे पहला कदम हैं। नियमित व्यायाम शरीर में 'फील-गुड' हार्मोन (एंडोर्फिन) को रिलीज करता है, जो मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके अलावा एक निश्चित स्लीप रूटीन बनाना और पौष्टिक आहार लेना तंत्रिका तंत्र को मजबूती देता है। सामाजिक मेलजोल बढ़ाना और अपनी भावनाओं को किसी करीबी के साथ साझा करना भी इस लो-ग्रेड डिप्रेशन के साइकिल को तोड़ने में सहायक होता है।


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Dysthymia Symptoms: Chronic Tiredness and Long Term Fatigue warning signs Explained by Doctors
थेरेपी - फोटो : Freepik.com

थेरेपी और ट्रीटमेंट की भूमिका
डिस्थायमिया एक गंभीर स्थिति है जिसमें अक्सर काउंसलिंग या थेरेपी की आवश्यकता होती है। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी के जरिए नकारात्मक सोच के पैटर्न को बदला जा सकता है। डॉक्टर कुछ मामलों में दवाएं भी लिख सकते हैं जो मस्तिष्क में रसायनों के असंतुलन को ठीक करती हैं। याद रखें, यह विकार आपके व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक स्वास्थ्य स्थिति है जिसका प्रभावी इलाज संभव है।

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डिस्थायमिया - फोटो : Adobe Stock
थेरेपिस्ट से कब मिलना चाहिए?
अगर आपको लगता है कि आपकी उदासी या कम ऊर्जा आपके दैनिक कार्यों, रिश्तों या करियर को प्रभावित कर रही है और ऐसा दो साल से अधिक समय से चल रहा है, तो विशेषज्ञ से मिलना अनिवार्य है। जब स्वयं द्वारा किए गए बदलाव काम न आ रहे हों और आपको अपने भविष्य में कोई उम्मीद न दिखे, तब एक प्रोफेशनल थेरेपिस्ट आपको इस अंधकार से बाहर निकालने में मदद कर सकता है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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