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Bone Health: हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं ये स्थितियां, समय रहते हो जाएं सचेत

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: स्वाति शर्मा Updated Tue, 12 Jul 2022 06:38 PM IST
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Tips To keep your bones healthy and strong in Hindi
हड्डियों की सेहत को लेकर रहें सजग - फोटो : pi

शरीर को मजबूती देने वाला हड्डियों का मजबूत ढांचा कई बार कमजोर पड़ जाता है। यह कमजोरी किसी समस्या की वजह से भी हो सकती है और शरीर में किसी कमी की वजह से भी। यदि इस पर ध्यान न दिया जाए तो हड्डियां क्षतिग्रस्त होती जाती हैं और टूट भी सकती हैं। कई बार यह स्थाई विकलांगता का मामला भी बन जाता है। इसलिए जरूरी है कि हड्डियों की सेहत को लेकर सजग रहा जाए। हड्डियों से जुड़ी दिक्कतों को अक्सर लोग मामूली दर्द या तकलीफ मानकर चलते हैं, जब तक कि तकलीफ बहुत बढ़ न जाए और डॉक्टर जांचों के लिए न बोल दें। इसलिए दर्द होने पर भी लोग लम्बे समय तक दर्द निवारक दवाएं खाकर या बाम आदि लगाकर काम चलाते रहते हैं। हड्डियों के लिए यह तरीका गंभीर मुश्किल का कारण भी बन सकता है। हड्डियों को मुश्किल में डालने वाली कई तरह की स्थितियां हो सकती हैं। जानिए उनको करीब से। 

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बच्चों को दें पूरा पोषण - फोटो : iStock

बचपन से रखें ख्याल

सेहत के लिए जागरूकता का शुरुआत से साथ रहना लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का मूलमंत्र है। ज्यादातर लोग जीवन के शुरूआती समय को गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि उस समय शरीर विकास कर रहा होता है, मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है और आमतौर पर कोई समस्या सामने नहीं आती। इसलिए लोग खान-पान से लेकर जीवनशैली तक हर चीज को लेकर प्रयोग कर डालते हैं। जबकि यही वह समय होता है जब आप भविष्य के लिहाज से मजबूत और स्वस्थ शरीर की नींव रख सकते हैं। इसलिए बच्चों को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, विटामिन्स और खनिज से भरपूर भोजन, व्यायाम, खेल-कूद और समय पर सोने-जागने की आदत डालें। ये आदतें हड्डियों और जोड़ों को भी लम्बे समय तक सेहतमंद और मजबूत बनाये रखने में मदद करेंगी। सही साइज के जूते पहनने से, सही पॉश्चर रखने तक, बच्चों को हर अच्छी चीज के लिए प्रेरित करें। 

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कमजोर हो सकती हैं हड्डियां - फोटो : iStock

ये हो सकती हैं समस्याएं

हड्डियों से जुडी जो समस्याएं लोगों को गिरफ्त में ले सकती हैं उनमें शामिल हैं-


हड्डियों का भुरभुरा या अधिक कमजोर हो जाना अगर ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या की ओर ले जा सकता है तो हड्डियों का अधिक सघन (डेन्स) होना भी ऑस्टियोपेट्रोसिस नामक समस्या का कारण बन सकता है। हड्डियां अधिक भुरभुरी होने पर आसानी से टूट सकती हैं तो अधिक सघन होने पर भी यही खतरा होता है। हड्डियों के मोटे या सघन होने का मतलब उनका मजबूत होना नहीं होता। ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका महिलाओं और बुजुर्गों में बहुत देखने में आती है। महिलाओं में खासकर मेनोपॉज के दौरान या उसके बाद। इसके कारण कूल्हे, कमर या कलाई की हड्डी के टूटने का खतरा अधिक होता है। इसलिए डॉक्टर आपकी बोन डेंसिटी यानी हड्डियों का घनत्व जांचते हैं। समय रहते यदि इसके लिए बचाव न किये जाएँ तो हल्के से धक्के से भी हड्डी टूट सकती है। 

दूसरी तरफ ऑस्टियोपेट्रोसिस की स्थिति हड्डियों के भीतर मौजूद मैरो को  प्रभावित कर सकती है, जिसकी वजह से शरीर के लिए संक्रमण से लड़ने, ऑक्सीजन को  सही तरीके से सब जगह पहुंचाने और रक्तस्राव रोकने में मुश्किल पैदा हो सकती है। इसके अलावा ऑस्टियोनैक्रोसिस की स्थिति में हड्डियों तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचने पर तकलीफ हो सकती है। यह समस्या ज्यादातर जाँघों, बाँहों, घुटनों और कंधे में हो सकती है। इसकी वजह से भी दर्द और चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है। 

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डायबिटीज से बचाव है जरूरी - फोटो : iStock

डायबिटीज की परेशानी केवल खून में शकर के स्तर के बढ़ने-घटने से ही नहीं जुडी है। इसकी वजह से शरीर के कई अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं। हार्मोनल असंतुलन के अलावा शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र के कमजोर पड़ने से भी हड्डियों की समस्या हो सकती है। कई बार ल्यूपस जैसी स्थितियां भी बनती हैं जब शरीर का इम्यून सिस्टम खुद ही शरीर पर आक्रमण कर देता है और इस स्थिति में जोड़ों का दर्द होने के साथ ही हड्डियों के कमजोर होकर टूटने की आशंका भी बढ़ जाती है। 

कुछ लोगों में ग्लूटन को न पचा पाने की स्थिति भी हड्डियों पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।ग्लूटन एक प्रकार का प्रोटीन है जो गेहूं व अन्य अनाजों में पाया जाता है। जब शरीर इसको पचा नहीं पाता तो इम्यून सिस्टम छोटी आंत पर हमला करके उसे क्षति पहुंचाता है और इसकी वजह से शरीर पर्याप्त पोषण नहीं ले पाता। इसका असर हड्डियों की सेहत पर भी पड़ता है क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम आदि नहीं मिल पाता। 

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आर्थराइटिस कर सकता है परेशान - फोटो : iStock

आर्थराइटिस के कई प्रकार भी हड्डियों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। इनमें रह्युमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून समस्या तो है ही जिसमें इम्यून सिस्टम हड्डियों और जोड़ों पर हमला करके उन्हें नुकसान पहुंचाता है। इसके साथ ही ऑस्टियोऑर्थराइटिस भी इसमें शामिल है जिसमें हड्डियों के किनारों पर चढ़ी ऊतकों (टिशूज़) की परत क्षतिग्रस्त होने लगती है और सूजन और दर्द की समस्या हो सकती है। 

हार्मोनल असंतुलन जैसे थाइरॉइड का अधिक मात्रा में बनने लगना भी हड्डियों को तकलीफ दे सकता है । यह हड्डियों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही दिनभर थकान, दर्द, कंपकंपी, अनिद्रा जैसे लक्षण भी प्रकट कर सकता है, जिसका परिणाम हड्डियों पर भी पड़ता है। यदि समय पर थाइरॉइड की इस समस्या को नियंत्रित न किया जाए तो ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका कई गुना बढ़ सकती है। 

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