Sedentary Lifestyle And Cancer: हमारे समाज में एक पुरानी कहावत बहुत प्रचलित थी 'ऐसी नौकरी करो जिसमें बैठे-बैठे खाने को मिले।' पिछली पीढ़ियों के लिए यह आराम और सफलता का प्रतीक हुआ करता था। जीवन का लक्ष्य होता था कि इंसान इतना पैसा कमाए कि उसे मेहनत-मजदूरी न करनी पड़े और वह बैठकर आराम से जीवन बिताए।
Cancer: डायबिटीज-बीपी ही नहीं सेडेंटरी लाइफस्टाइल से बढ़ जाता है कैंसर का जोखिम, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर?
सेडेंटरी लाइफस्टाइल यानी घंटों बैठे रहने की आदत डायबिटीज और बीपी के साथ-साथ स्तन व कोलन कैंसर का जोखिम भी बढ़ाती है। डॉक्टर के अनुसार, हफ्ते में 150 मिनट की एक्सरसाइज और काम के बीच छोटे-छोटे ब्रेक लेकर इस जानलेवा बीमारियों से बचा जा सकता है।
क्या है सेडेंटरी लाइफस्टाइल?
सेडेंटरी लाइफस्टाइल का अर्थ है एक ऐसी दिनचर्या जिसमें शारीरिक गतिविधि न के बराबर हो। इसमें घंटों तक ऑफिस की कुर्सी पर बैठकर काम करना, गाड़ी में लंबा सफर करना, और खाली समय में टीवी या मोबाइल स्क्रीन के सामने बैठे रहना शामिल है।
इसी विषय पर ओडिशा के एक निजी अस्पताल के डॉक्टर रवि कुशवाहा से बातचीत में उन्होंने बताया कि 'सेडेंटरी लाइफस्टाइल शरीर में कई बीमारियों का घर होता है। इस तरह की निष्क्रिय जीवनशैली की वजह से टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोग, हाई बीपी, मोटापा का तो खतरा बढ़ ही जाता है, लेकिन इसके साथ ही कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी का जोखिम भी बढ़ जाता है।'
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कैंसर का बढ़ता जोखिम
डॉ. कुशवाहा के मुताबिक कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों ने यह साबित किया है कि शारीरिक निष्क्रियता और कैंसर के बीच एक गहरा संबंध है। जब हमारा शरीर सक्रिय नहीं रहता, तो इससे कई नकारात्मक बदलाव होते हैं-
- निष्क्रियता से शरीर में इंसुलिन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन का स्तर बिगड़ सकता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
- कम शारीरिक गतिविधि से शरीर में एक स्थायी और हल्की सूजन बनी रहती है, जिसे कई प्रकार के कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारण माना जाता है।
- सेडेंटरी जीवनशैली मोटापे का सबसे बड़ा कारण है, और शरीर में अतिरिक्त चर्बी खुद कैंसर के विकास को बढ़ावा देने वाले पदार्थ पैदा करती है।
- विशेष रूप से यह जीवनशैली स्तन कैंसर और बड़ी आंत के कैंसर के खतरे को काफी हद तक बढ़ा देती है।
इस खतरे से बचने का मतलब यह नहीं है कि आपको जिम में घंटों पसीना बहाना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर वयस्क को हफ्ते में कम से कम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसका मतलब है हफ्ते में 5 दिन सिर्फ 30 मिनट के लिए तेज चलना, साइकिल चलाना या तैराकी करना। डॉ. रवि कुशवाहा के अनुसार जो लोग डेस्क जॉब करते हैं, उनके लिए सबसे जरूरी सलाह यह है कि वे हर घंटे में 5 मिनट का ब्रेक लेकर थोड़ा टहलें या स्ट्रेचिंग करें।
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यह बात तो सच है कि 'बैठकर खाने' का पुराना सपना आज के समय का एक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक बन गया है। अच्छी बात यह है कि इससे बचने के लिए आपको अपनी जिंदगी में बहुत बड़े बदलाव करने की जरूरत नहीं है।
डॉ. कुशवाहा ने बताया कि लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करना, छोटी दूरी के लिए पैदल चलना, और रोजाना बस 30 मिनट टहलने की आदत को अपने जीवन में शामिल करें। यह समझें कि जब आप सक्रिय होने का चुनाव करते हैं, तो आप सिर्फ डायबिटीज या बीपी को नहीं, बल्कि कैंसर जैसे गंभीर खतरों को भी खुद से दूर कर रहे हैं।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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