हमारे संपूर्ण शरीर (जिसमें शारीरिक और मानसिक दोनों शामिल हैं) को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि सभी लोगों को आहार में उन चीजों को अधिक से अधिक मात्रा में शामिल करने की सलाह दी जाती है जिससे पोषक तत्वों की जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सके। हर विटामिन की अलग-अलग भूमिका होती है, इनमें से किसी की भी कमी होने पर शरीर पर इसके गंभीर दुष्प्रभावों का खतरा रहता है।
Vitamin D: 10 में से चार लोगों को नहीं मिल पा रहा है ये बेहद जरूरी विटामिन, क्या आपके आहार में है इसकी मात्रा?
शहरी आबादी में लो-विटामिन डी का खतरा अधिक
भारतीय लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शहरी आबादी में बड़ी संख्या में लोगों में विटामिन-डी की कमी देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण उनका सूर्य के संपर्क में कम आना हो सकता है।
नोएडा स्थित एक अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स विभाग के चिकित्सक डॉ अमित रंजन बताते हैं, मैं एक दिन अगर 10 मरीजों को देखता हूं तो उनमें से कम से कम सात-आठ में विटामिन-डी की कमी पाई जा रही है। शहरी भारत का 70 प्रतिशत हिस्सा इस जोखिम की चपेट में है। लोग कई दिनों तक सूरज के संपर्क में ही नहीं आते हैं साथ ही आहार में विटामिन की पूर्ति वाली चीजों की भी कमी है।
आइए जानते हैं कि विटामिन-डी की कमी के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
मल्टीपल स्क्लेरोसिस का हो सकता है जोखिम
अध्ययनों से पता चलता है कि विटामिन-डी वाली चीजें या सप्लीमेंट्स, मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) होने के जोखिमों को कम कर सकती हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली, सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक कर देती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि विटामिन-डी न सिर्फ इस रोग के जोखिम को कम करती है साथ ही रोगियों में लक्षणों को कम करने में भी इसके लाभ देखे गए हैं। जिन लोगों में विटामिन-डी की कमी होती है उनमें एमएस का जोखिम अधिक हो सकता है।
हृदय की बढ़ सकती हैं समस्याएं
विटामिन-डी आपके हृदय को स्वस्थ रखने में भी लाभकारी है। बीएमजे जर्नल में प्रकाशित एक विश्लेषण में पाया गया कि विटामिन-डी सप्लीमेंट्स, दिल का दौरा या स्ट्रोक होने या इससे मरने के जोखिम को कम कर देती है। 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में विटामिन-डी के सेवन से हृदय की सेहत पर होने वाले प्रभावों के बारे में पता चलता है। इस आधार पर शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि जिन लोगों में विटामिन-डी की कमी होती है, उनमें हृदय रोगों का खतरा भी अधिक हो सकता है।
विटामिन डी और अवसाद
विशेषज्ञों ने पाया कि विटामिन-डी की कमी वाले लोगों में, अन्य लोगों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, विशेषतौर पर डिप्रेशन होने का जोखिम अधिक हो सकता है। यह देखने के लिए शोध जारी है कि क्या आपके विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने से लक्षणों में मदद मिल सकती है और आपका मूड अच्छा हो सकता है?
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सभी लोगों को आहार में विटामिन-डी वाली चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने में मदद मिल सके।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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