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CRP Test: सीआरपी टेस्ट खोल देती है शरीर में छिपी बीमारियों का राज, जानिए किन लोगों के लिए जरूरी है ये जांच

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sun, 30 Nov 2025 07:39 PM IST
सार

  • सीआरपी यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट। शरीर में किसी भी प्रकार की इंफ्लेमेशन यानी सूजन बढ़ने की स्थिति में लिवर प्रतिक्रिया के रूप में इस प्रोटीन का उत्पादन बढ़ा देता है।
  • इसका स्तर बढ़ने का मतलब है कि शरीर के किसी हिस्से में संक्रमण, सूजन या कोई छुपी बीमारी हो सकती है। 

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What is CRP test Check normal range purpose and how dangerous is High C reactive protein level
खून कूी जांच और सीआरपी टेस्ट - फोटो : Freepik.com

शरीर को स्वस्थ और फिट रखना चाहते हैं तो लाइफस्टाइल और खानपान में तो सुधार जरूरी है ही, साथ ही नियमित अंतराल पर बॉडी चेकअप भी कराते रहना चाहिए। इससे समय रहते शरीर के भीतर पनप रही बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलती है। बीमारियों का समय पर पता चल जाए तो इसका इलाज आसान होता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को भी कम किया जा सकता है।



मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि खराब दिनचर्या जैसे अनियमित भोजन, बैठे-बैठे काम करते रहने और तनाव की स्थिति के साथ-साथ भोजन में गड़बड़ी जैसे  प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा चीनी, तली हुई चीजें ज्यादा खाने से सेहत को गंभीर नुकसान हो रहा है। लिहाजा हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या युवा और बच्चों को भी अपना शिकार बना रही हैं। कम उम्र में  ही शरीर में इंफ्लेमेशन की दिक्कत देखी जा रही है जिसे तमाम तरह की क्रॉनिक बीमारियों का जड़ माना जाता है।

यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को नियमित अंतराल पर कुछ जांच कराते रहने की सलाह देते हैं। सीआरपी टेस्ट भी उनमें से एक है। आइए जानते हैं कि इस टेस्ट से क्या पता चलता है और किन लोगों के लिए ये टेस्ट जरूरी है?

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सीआरपी टेस्ट क्यों जरूरी है? - फोटो : Adobe Stock Images

जरूर कराएं  नियमित हेल्थ चेकअप

डॉक्टर कहते हैं, हमें शरीर की अंदरूनी स्थिति का पता लगाने के लिए नियमित हेल्थ चेकअप कराते रहना चाहिए। इससे कई गंभीर बीमारियों को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है। ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, लिवर और किडनी फंक्शन, थायरॉयड जैसे टेस्ट बहुत आम हैं, 30 की उम्र के बाद ये टेस्ट नियमित रूप से कराते रहना चाहिए।

इसके अलावा डॉक्टर सीआरपी टेस्ट भी कराने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट की मदद से शरीर में पनप रही कई जानलेवा बीमारियों का समय रहते पता लगाना आसान हो सकता है।


(ये भी पढ़िए- शरीर के लिए 'साइलेंट किलर' है बढ़ा हुआ सूजन, इन गंभीर बीमारियों का हो सकते हैं शिकार)

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सीआरपी टेस्ट के बारे में जानिए - फोटो : Freepik.com

सीआरपी टेस्ट के बारे में जानिए

सीआरपी यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट। शरीर में किसी भी प्रकार की इंफ्लेमेशन यानी सूजन बढ़ने की स्थिति में लिवर प्रतिक्रिया के रूप में इस प्रोटीन का उत्पादन बढ़ा देता है। इसका स्तर बढ़ने का मतलब है कि शरीर के किसी हिस्से में संक्रमण, सूजन या कोई छुपी बीमारी हो सकती है। जिन लोगों का सीआरपी लेवल अक्सर बढ़ा हुआ रहता है उनमें हृदय रोग, डायबिटीज, किडनी-लिवर सहित कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम होता है। 

सीआरपी कोई अलग से किया जाने वाला टेस्ट नहीं है। ये एक साधारण ब्लड टेस्ट है, जिसमें रक्त में मौजूद प्रोटीन के स्तर को मापा जाता है। 

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सीआरपी टेस्ट से चलता है बीमारियों का पता - फोटो : Adobe Stock Images

सीआरपी टेस्ट से क्या पता चलता है?

डॉक्टर बताते हैं, सामान्यतौर पर 0-3 मिलीग्राम/ली को कम खतरे वाला, 3-10 mg/L को मध्यम और 10 mg/L से अधिक को हाई इंफ्लेमेशन का संकेत माना जाता है। कई स्थितियां हैं जो आपके सीआपी लेवल पर असर डाल सकती हैं। धूम्रपान, सर्दी-जुकाम, डिप्रेशन, डायबिटीज, नींद की समस्या, मसूड़ों की सूजन, मोटापा, प्रेग्नेंसी और हाल ही में लगी चोट के कारण सीआरपी लेवल हाई हो सकता है।

वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, ऑटोइम्यून बीमारियां, हृदय संबंधी समस्याओं में भी ये सामान्य से अधिक बना रहता है।

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खून कूी जांच जरूरी - फोटो : Freepik.com

किन लोगों के लिए ये टेस्ट जरूरी?
 

अगर आपका सीआरपी लेवल ज्यादा है, तो हर बार इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कोई बीमारी ही है जिसके लिए इलाज की जरूरत है, खासकर अगर यह थोड़ा बढ़ा हुआ हो। हालांकि अगर ये लगातार बढ़ा रहता है तो डॉक्टर इसके कारणों को समझने की कोशिश करते हैं। स्वस्थ व्यक्ति को साल में 1 बार, हृदय रोग या कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को हर 6 महीने, ऑटोइम्यून रोग के मरीजों को हर 1-3 महीने में ये टेस्ट कराना चाहिए। अपनी स्थिति के आधार पर टेस्ट के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। 

खून की जांच से सीआरपी लेवल का अंदाजा हो जाता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • बार-बार बुखार, थकान या शरीर में दर्द की शिकायत रहती हो तो डॉक्टर ये टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। 
  • हृदय रोग, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में भी टेस्ट कराया जाता है।
  • ऑटोइम्यून बीमारियों के मरीजों को ये टेस्ट कराना चाहिए।
  • सर्जरी, बड़ी चोट या गंभीर संक्रमण के बाद ये टेस्ट कराया जाता है।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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