शरीर को स्वस्थ और फिट रखना चाहते हैं तो लाइफस्टाइल और खानपान में तो सुधार जरूरी है ही, साथ ही नियमित अंतराल पर बॉडी चेकअप भी कराते रहना चाहिए। इससे समय रहते शरीर के भीतर पनप रही बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलती है। बीमारियों का समय पर पता चल जाए तो इसका इलाज आसान होता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
CRP Test: सीआरपी टेस्ट खोल देती है शरीर में छिपी बीमारियों का राज, जानिए किन लोगों के लिए जरूरी है ये जांच
- सीआरपी यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट। शरीर में किसी भी प्रकार की इंफ्लेमेशन यानी सूजन बढ़ने की स्थिति में लिवर प्रतिक्रिया के रूप में इस प्रोटीन का उत्पादन बढ़ा देता है।
- इसका स्तर बढ़ने का मतलब है कि शरीर के किसी हिस्से में संक्रमण, सूजन या कोई छुपी बीमारी हो सकती है।
जरूर कराएं नियमित हेल्थ चेकअप
डॉक्टर कहते हैं, हमें शरीर की अंदरूनी स्थिति का पता लगाने के लिए नियमित हेल्थ चेकअप कराते रहना चाहिए। इससे कई गंभीर बीमारियों को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है। ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, लिवर और किडनी फंक्शन, थायरॉयड जैसे टेस्ट बहुत आम हैं, 30 की उम्र के बाद ये टेस्ट नियमित रूप से कराते रहना चाहिए।
इसके अलावा डॉक्टर सीआरपी टेस्ट भी कराने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट की मदद से शरीर में पनप रही कई जानलेवा बीमारियों का समय रहते पता लगाना आसान हो सकता है।
(ये भी पढ़िए- शरीर के लिए 'साइलेंट किलर' है बढ़ा हुआ सूजन, इन गंभीर बीमारियों का हो सकते हैं शिकार)
सीआरपी टेस्ट के बारे में जानिए
सीआरपी यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट। शरीर में किसी भी प्रकार की इंफ्लेमेशन यानी सूजन बढ़ने की स्थिति में लिवर प्रतिक्रिया के रूप में इस प्रोटीन का उत्पादन बढ़ा देता है। इसका स्तर बढ़ने का मतलब है कि शरीर के किसी हिस्से में संक्रमण, सूजन या कोई छुपी बीमारी हो सकती है। जिन लोगों का सीआरपी लेवल अक्सर बढ़ा हुआ रहता है उनमें हृदय रोग, डायबिटीज, किडनी-लिवर सहित कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम होता है।
सीआरपी कोई अलग से किया जाने वाला टेस्ट नहीं है। ये एक साधारण ब्लड टेस्ट है, जिसमें रक्त में मौजूद प्रोटीन के स्तर को मापा जाता है।
सीआरपी टेस्ट से क्या पता चलता है?
डॉक्टर बताते हैं, सामान्यतौर पर 0-3 मिलीग्राम/ली को कम खतरे वाला, 3-10 mg/L को मध्यम और 10 mg/L से अधिक को हाई इंफ्लेमेशन का संकेत माना जाता है। कई स्थितियां हैं जो आपके सीआपी लेवल पर असर डाल सकती हैं। धूम्रपान, सर्दी-जुकाम, डिप्रेशन, डायबिटीज, नींद की समस्या, मसूड़ों की सूजन, मोटापा, प्रेग्नेंसी और हाल ही में लगी चोट के कारण सीआरपी लेवल हाई हो सकता है।
वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, ऑटोइम्यून बीमारियां, हृदय संबंधी समस्याओं में भी ये सामान्य से अधिक बना रहता है।
किन लोगों के लिए ये टेस्ट जरूरी?
अगर आपका सीआरपी लेवल ज्यादा है, तो हर बार इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कोई बीमारी ही है जिसके लिए इलाज की जरूरत है, खासकर अगर यह थोड़ा बढ़ा हुआ हो। हालांकि अगर ये लगातार बढ़ा रहता है तो डॉक्टर इसके कारणों को समझने की कोशिश करते हैं। स्वस्थ व्यक्ति को साल में 1 बार, हृदय रोग या कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को हर 6 महीने, ऑटोइम्यून रोग के मरीजों को हर 1-3 महीने में ये टेस्ट कराना चाहिए। अपनी स्थिति के आधार पर टेस्ट के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
खून की जांच से सीआरपी लेवल का अंदाजा हो जाता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
- बार-बार बुखार, थकान या शरीर में दर्द की शिकायत रहती हो तो डॉक्टर ये टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।
- हृदय रोग, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में भी टेस्ट कराया जाता है।
- ऑटोइम्यून बीमारियों के मरीजों को ये टेस्ट कराना चाहिए।
- सर्जरी, बड़ी चोट या गंभीर संक्रमण के बाद ये टेस्ट कराया जाता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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