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New Pandemic: WHO ने इस समस्या को माना 'ग्लोबल हेल्थ थ्रेट', भारत की 20 फीसदी युवा आबादी इसकी शिकार

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sat, 18 Nov 2023 08:41 PM IST
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WHO has recognized loneliness as a serious global health threat how it affects overall health
अकेलेपन की समस्या - फोटो : istock

अकेलापन मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या मानी जाती रही है, दुनिया की बड़ी आबादी इसकी शिकार है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते है, लंबे समय तक बनी रहने वाली अकेलेपन की समस्या न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, इसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर देखे जाते रहे हैं। दीर्घकालिक अकेलापन  अवसाद, चिंता और आत्महत्या जैसी गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है। लोनलीनेस के कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अकेलेपन को एक गंभीर 'वैश्विक स्वास्थ्य खतरे' के तौर पर वर्गीकृत किया है। 



डब्ल्यूएचओ ने माना अकेलापन गंभीर स्वास्थ्य विकार के तौर पर उभरती स्थिति है, युवाओं में इसका जोखिम काफी तेजी से बढ़ा है। भारत सहित कई देशों में इसका खतरा हाल के वर्षो में काफी बढ़ा है, विशेषतौर पर कोरोना महामारी के बाद लोनलीनेस के कारण होने वाली मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की समस्या अब ज्यादा रिपोर्ट की जा रही है।

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WHO has recognized loneliness as a serious global health threat how it affects overall health
युवाओं में बढ़ती अकेलेपन की समस्या - फोटो : Pixabay

अकेलापन उतना ही खतरनाक जितना धूम्रपान

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेलेपन की स्थिति हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए उसी प्रकार से हानिकारक है, जैसे एक दिन में 15 सिगरेट पीना। इतना ही नहीं, इसके दुष्प्रभाव मोटापे और शारीरिक निष्क्रियता के कारण होने वाली समस्याओं से भी अधिक हो सकते हैं।  

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन सामाजिक संबंधों में सुधार के लिए जापान में एक आयोग शुरू किया है, जो अकेलेपन से निपटने के लिए अपनी तरह की पहली वैश्विक पहल है जिसके माध्यम से इस जोखिम को कम करने में लाभ मिलने की उम्मीद जताई गई है।

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युवा हो रहे हैं अकेलेपन के शिकार - फोटो : Pixabay

भारतीय युवाओं में इसकी समस्या अधिक

मई 2022 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में भारतीय युवाओं में बढ़ती लोनलीनेस की समस्या को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। इस डेटा में पाया गया कि 45 वर्ष की आयु के लगभग 20.5% वयस्क अकेलेपन की समस्या के शिकार हैं, जो उनमें कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को बढ़ा रही है।

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अकेलेपन का खतरा - फोटो : Pixabay

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?

मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं भारत में, खासकर शहरी इलाकों में अकेलापन पिछले कुछ वर्षों में एक बड़ा स्वास्थ्य जोखिम बनकर उभरा है। कोरोना महामारी के दौरान सोशल आइसोलेशन ने इसे और भी ट्रिगर कर दिया है। हैरत की बात ये है कि इनमें से अधिकतर लोग इस समस्या से अनजान हैं कि उन्हें अकेलेपन की दिक्कत है, क्योंकि इसके कारण होने वाली मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का निदान नहीं हो पाता है और शारीरिक लक्षणों को कोई और बीमारी मानकर लंबे समय तक उपचार किया जाता रहा है।

मौजूदा समय में अवसाद के ज्यादातर मामलों के लिए अकेलेपन को प्रमुख कारण के तौर पर देखा जा रहा है।

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अकेलेपन के दुष्प्रभाव - फोटो : istock

अकेलेपन की समस्या पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत 

डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं, डब्ल्यूएचओ का ये पहल सराहनीय है। देर से ही सही इस गंभीर मानसिक स्वास्थ्य जोखिम कारक पर स्वास्थ्य संगठनों में चर्चा हो रही है। यह समस्या हृदय रोग, डिमेंशिया से लेकर स्ट्रोक, अवसाद, चिंता और समय से पहले मौत के जोखिम को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। व्यक्तिगत तौर पर भी सभी लोगों को इस स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। अगर आप भी अकेलेपन की समस्या से जूझ रहे हैं तो इसे गंभीरता से लेते हुए मनोरोग विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।




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स्रोत और संदर्भ
WHO Commission on Social Connection

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें। 

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