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World Diabetes Day 2025: शुगर लेवल बहुत कम रहना भी ठीक नहीं, ध्यान न दिया तो जा सकते हैं कोमा में

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 14 Nov 2025 04:06 PM IST
सार

  • हाइपोग्लाइसीमिया कई प्रकार से आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। हाइपोग्लाइसीमिया हल्के लक्षणों से लेकर मृत्यु के खतरे को बढ़ाने वाली भी मानी जाती है इसलिए इसपर गंभीरता से ध्यान देते रहना जरूरी हो जाता है।

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शुगर लो होने के नुकसान - फोटो : Freepik.com

डायबिटीज के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट करते रहे हैं। भारतीय आबादी में भी ये समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में हर दो में से एक व्यक्ति में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा हुआ या फिर अनियमित पाया गया है। एक डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म के अध्ययन में भारत में बढ़ते डायबिटीज के ग्राफ को लेकर लोगों को सावधान किया जा रहा है। 



डायबिटीज के जोखिमों के बारे में लोगों को अलर्ट करने और और इससे बचाव के तरीकों को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। डायबिटीज यानी ब्लड शुगर बढ़े रहने की समस्या तो सेहत के लिए खतरनाक है ही, पर क्या आप जानते हैं कि शुगर बढ़ना ही नहीं लो होना भी खतरनाक हो सकता है।

जब खून में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है, तो इसे हाइपरग्लाइसीमिया कहा जाता है। खाली पेट शुगर लेवल 70-99 mg/dL और भोजन के बाद 140 mg/dL से अधिक होना खतरनाक माना जाता है। पर जिन लोगों का शुगर लेवल अक्सर 70 mg/dL से कम बना रहता है उनमें भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक हो सकता है।

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शुगर लो और हाई रहना दोनों खतरनाक - फोटो : Adobe Stock

ब्लड शुगर लो या हाई रहना दोनों खतरनाक

यहां जानना जरूरी है कि डायबिटीज एक मेटाबॉलिक बीमारी है जिसमें शरीर या तो इंसुलिन बनाना बंद कर देता है या फिर उसका सही उपयोग नहीं कर पाता। इंसुलिन वह हार्मोन है जो खून में मौजूद ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने का काम करता है। जब इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है, तो खून में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। यही स्थिति डायबिटीज कहलाती है।

हाई शुगर की समस्या के साथ सभी लोगों को लो शुगर को लेकर भी अलर्ट रहना चाहिए। 70 mg/dL से कम शुगर लेवल (हाइपोग्लाइसीमिया) आपके लिए और भी खतरनाक हो सकती है।

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डायबिटीज के मरीज दें ध्यान - फोटो : Freepik.com

लो शुगर की समस्या

अमर उजाला से बातचीत में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ विभोर गुप्ता कहते हैं, डायबिटीज के हर चौथे मरीज को कभी न कभी लो शुगर की स्थिति झेलनी पड़ती है। इसलिए नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करते रहना बेहद जरूरी है। यदि शुगर लेवल कम महसूस हो तो तुरंत ग्लूकोज पानी, मीठा जूस, किशमिश या एक चम्मच चीनी का सेवन करना चाहिए।

(महिला या पुरुष, किसे डायबिटीज होने का खतरा अधिक? वजह भी जानिए आसान भाषा में)

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शुगर लो होने के कारण थकान-कमजोरी - फोटो : Freepik.com

ब्लड शुगर घटने के नुकसान

डॉक्टर बताते हैं, हाइपोग्लाइसीमिया कई प्रकार से आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। हाइपोग्लाइसीमिया हल्के लक्षणों से लेकर कोमा में जाने और मृत्यु के खतरे को बढ़ाने वाली भी मानी जाती है इसलिए इसपर गंभीरता से ध्यान देते रहना जरूरी हो जाता है। 

  • शुगर की कमी से ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है, जिससे कमजोरी महसूस होती है। यदि आपको बिना कारण से कमजोरी महसूस होती रहती है तो शुगर की जांच कराएं।
  • मस्तिष्क को पर्याप्त ग्लूकोज न मिलने के कारण चक्कर आने लगते हैं। गंभीर स्थिति में ब्लड शुगर के अत्यधिक गिरने से व्यक्ति बेहोश हो सकता है।
  • हाइपोग्लाइसीमिया के दौरान दिल की धड़कन असामान्य रूप से तेज हो सकती है। दिल की धड़कनों में होने वाली असमानता संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक मानी जाती है।
  • ब्लड शुगर घटने से आंखों में धुंधलापन हो सकता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि धुंधला दिखाई देने की समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
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शुगर लो होने की समस्या - फोटो : Freepik.com

लो शुगर की समस्या में क्या उपाय करें?

लो शुगर की स्थिति में सबसे जरूरी है कि मरीज तुरंत शुगर बढ़ाने वाली चीजें दी जाएं। ग्लूकोज या चीनी युक्त पेय जैसे फलों का रस, शहद या मीठी चाय का सेवन करना चाहिए। 15 मिनट बाद फिर से शुगर लेवल चेक करें। अगर अब भी कम हो, तो यही प्रक्रिया दोहराएं इसे 15-15 रूल कहा जाता है।

लो शुगर वाले मरीजों को हमेशा अपने साथ ग्लूकोज टैबलेट या शुगर कैंडी रखनी चाहिए। अगर बार-बार लो शुगर की स्थिति बनती है, तो डॉक्टर से दवा या इंसुलिन की मात्रा समायोजित करानी चाहिए। भोजन में प्रोटीन और जटिल कार्बोहाइड्रेट शामिल करें ताकि शुगर धीरे-धीरे रिलीज हो और अचानक कमी न आए।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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