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Diwali 2024: तमिलनाडु में कैसे मनाते हैं दिवाली? तिथि और परंपरा दोनों ही हैं अलग

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Sat, 26 Oct 2024 02:43 PM IST
सार

दीपावली के पर्व को सब मनाते हैं, लेकिन अलग-अलग जगहों पर इसको मनाने की भिन्न-भिन्न परंपराएं और रीति-रिवाज हैं। तमिलनाडु में दिवाली का त्योहार अमावस्या से एक दिन पहले ही शुरू हो जाता है।
 

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How Diwali Celebration in Tamil Nadu Diwali Day Puja Muhurat Tradition
दक्षिण भारत में दीपावली मनाने की परंपरा उत्तर भारत से अलग है - फोटो : Adobe stock

एस. भाग्यम शर्मा



पूरे भारत में दीपावली का पर्व मनाया जाता है, लेकिन हर प्रांत की परंपरा और रिवाज के अनुसार यह उत्सव अलग-अलग रूप धारण किए हुए है। तमिलनाडु में इस त्योहार की परंपरा थोड़ी अलग है, जहां सभी साथ मिलकर दीपावली का यह खूबसूरत त्योहार मनाते हैं। दीपावली के पर्व को सब मनाते हैं, लेकिन अलग-अलग जगहों पर इसको मनाने की भिन्न-भिन्न परंपराएं और रीति-रिवाज हैं। तमिलनाडु में दिवाली का त्योहार अमावस्या से एक दिन पहले ही शुरू हो जाता है। पर्व से पहले ही घर को साफ करके कोलम, रंगोली, पान के पत्तों, मेवे के फूल और अन्य पत्तों से सजा लिया जाता है। 

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How Diwali Celebration in Tamil Nadu Diwali Day Puja Muhurat Tradition
दक्षिण भारत में दिवाली अमस्या से पहले मनाई जाती है - फोटो : Adobe stock

परंपरा अलग है

उत्तर भारत में जहां दीपावली का पर्व 14 साल का वनवास काटकर लौटे राम-सीता के आगमन की खुशी के रूप में दीप जलाकर मनाया जाता है, वहीं तमिलनाडु में श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर के वध किए जाने की खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व उत्तर भारत में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को दीपावली उत्सव आरंभ हो जाता है। उस दिन लोग सूर्योदय के पहले सुबह-सुबह तेल और उबटन लगाकर स्नान कर लेते हैं, क्योंकि अगले दिन अमावस्या होती है और उस दिन सिर में तेल लगाकर स्नान नहीं किया जा सकता है। इस तरह तमिल लोगों के लिए दीपावली का जश्न सुबह-सुबह तेल लगाकर स्नान करने से शुरू होता है।

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दिवाली पर नए कपड़े पहनकर भगवान का पूजन किया जाता है - फोटो : Adobe stock

नए कपड़े जरूरी

भारत के अधिकतर राज्यों में वैसे तो दीपावली के दिन नए वस्त्र पहने जाते हैं, लेकिन तमिलनाडु में व्यक्ति चाहे गरीब हो या अमीर, अपनी हैसियत के अनुसार नए कपड़े जरूर खरीदता है। इस पर्व के लिए स्नान करने के बाद खरीदे गए पारंपरिक नए वस्त्र रात को ही भगवान के सामने रख दिए जाते हैं। अगली सुबह यानी पर्व वाले दिन घर का मुखिया सबको अपने हाथों से आशीर्वाद के रूप में यह वस्त्र देता है। परिवार के सभी सदस्य खुशी-खुशी इन वस्त्रों को धारण करते हैं और बड़ों को नमस्कार कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। तमिलनाडु में अभी तक साष्टांग नमस्कार करने और यदि ब्राह्मण है तो गायत्री मंत्र बोलकर साष्टांग प्रणाम करने की परंपरा है, जिसको उन्होंने अभी तक कायम रखा है।

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दीपावली की परंपरा देशभर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है - फोटो : Adobe stock

नवविवाहितों के लिए खास

जो नवविवाहित जोड़े होते हैं और जिनकी पहली दीपावली होती है, उन्हें थलै दीपावली (पहली दीपावली) कहते हैं। इसके लिए पति एक दिन पहले ही पत्नी के साथ ससुराल आ जाता है और दोनों दीपावली मनाते हैं। बहुत पहले तो लड़के का पूरा परिवार भी उसकी ससुराल में आकर इस जश्न में शरीक होता था। लड़के के घरवाले ही सबके लिए नए कपड़े लाते हैं। आमतौर पर वे पहली दिवाली पर बहू के लिए साड़ी खरीदते हैं। इसके अलावा लड़की को अपने पीहर से भी साड़ी मिलती है। इसके बाद रात में पटाखे फोड़े जाते हैं और मिट्टी के दीप जलाए जाते हैं।

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दक्षिण भारत में दिवाली के मौके पर खास पकवान बनता हैं जो औषधियों गुणों से युक्त होता है - फोटो : Adobe

खान-पान

नरक चतुर्थी की पूर्व संध्या पर महिलाएं एक खास दवा ‘मारूंदू’ बनाती हैं। इसमें काली मिर्च, सोंठ, काला जीरा, पिपली, मुलेठी और कई अन्य औषधियों को शामिल करके सबको कूटने और छानने के बाद गुड़ की चाशनी में डालकर पकाया जाता है। इसमें ढेर सारा घी, तिल्ली का तेल आदि डाले जाते हैं।

माना जाता है कि त्योहार में अलग-अलग पकवान खाने के बाद तबीयत खराब न हो, इसलिए पहले ही यह दवा खिला दी जाती है, जो कि पाचक होती है। इसके बाद पहले से ही बनाकर रखीं मिठाइयां और व्यंजन भगवान के सामने रखे जाते हैं। इस दिन सभी लोग आस-पड़ोस में जाकर ‘गंगा स्नान हो गया क्या?’ पूछते हैं। सुबह-सुबह रिश्तेदारों के घर आते-जाते हैं और दोपहर को विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन, जैसे कि चावल, सांभर, रसम, पायसम, तीन-चार तरह की सब्जियां, रायता, मेदु वड़ा आदि बनाए जाते हैं और पापड़ तले जाते हैं। इस तरह बिल्कुल पारंपरिक भोजन तैयार किया जाता है, जिसका आदान-प्रदान कई दिनों तक चलता रहता है।

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