कई लोगों की आंखें, त्वचा और नाखूनों में असामान्य रूप से आपने भी पीलापन देखा होगा। ऐसी स्थिति को पीलिया रोग कहा जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक लिवर के ठीक से काम न करने के कारण लोगों को इस तरह की दिक्कत होती है। पीलिया को अंग्रेजी में जॉन्डिस कहा जाता है, यह फ़्रांसिसी शब्द 'जावने' से लिया गया है जिसका अर्थ होता है पीलापन। आइए इस रोग के बारे में विस्तार से जानते हैं, साथ ही इस लेख में हम जानेंगे कि पीलिया के लक्षणों को कम करने में योग आसन किस तरह से फायदेमंद हो सकते हैं?
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International yoga day: क्या योग के माध्यम से कम कर सकते हैं पीलिया के लक्षण? कौन से आसन हैं लाभदायक?
अंकित गोयल
Published by: Abhilash Srivastava
Updated Mon, 21 Jun 2021 12:05 AM IST
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पीलिया में फायदेमंद हैं योग
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लिवर संबंधी दिक्कतों के कारण होती है पीलिया की दिक्कत
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क्यों होती है पीलिया की समस्या?
विशेषज्ञ कहते हैं कि जब हमारा लिवर सही से काम नहीं कर रहा होता है तो रक्त में बिलुरुबिन नाम के केमिकल की मात्रा बढ़ जाती है। सामान्य स्थितियों में लिवर इस रसायन को मल- मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल देता है। रक्त में बिलुरुबिन की मात्रा बढ़ जाने के कारण लोगों की हाथों, त्वचा, नाखूनों, आंखों और पेशाब का रंग पीला हो जाता है, जिसे सामान्य भाषा में पीलिया के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सामान्य तौर पर दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से पीलिया का खतरा रहता है। इसके अलावा जो लोग ज्यादा तेल , मिर्च मसाले और भारी भोजन करते हैं उनमें भी इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि जब हमारा लिवर सही से काम नहीं कर रहा होता है तो रक्त में बिलुरुबिन नाम के केमिकल की मात्रा बढ़ जाती है। सामान्य स्थितियों में लिवर इस रसायन को मल- मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल देता है। रक्त में बिलुरुबिन की मात्रा बढ़ जाने के कारण लोगों की हाथों, त्वचा, नाखूनों, आंखों और पेशाब का रंग पीला हो जाता है, जिसे सामान्य भाषा में पीलिया के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सामान्य तौर पर दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से पीलिया का खतरा रहता है। इसके अलावा जो लोग ज्यादा तेल , मिर्च मसाले और भारी भोजन करते हैं उनमें भी इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है।
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पीलिया में कई योग हैं फायदेमंद
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क्या योग से मिल सकता है पीलिया में लाभ
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि कई सारे ऐसे आसन हैं जिनको करने से न सिर्फ पीलिया को खत्म किया जा सकता है, साथ ही यह आसन लिवर को बेहतर रखने में भी सहायक हो सकते हैं। पीलिया के शुरुआती एक हफ़्ते ही योग मुद्रा का अभ्यास काफी कारगर हो सकता है। योग मुद्रा का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले शांत मुद्रा में बैठ जाएं और शरीर को एकदम सीधा रखें। इसके बाद आगे की स्लाइडों में बताए जा रहे आसनों को करें, इससे पीलिया में काफी लाभ मिलता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि कई सारे ऐसे आसन हैं जिनको करने से न सिर्फ पीलिया को खत्म किया जा सकता है, साथ ही यह आसन लिवर को बेहतर रखने में भी सहायक हो सकते हैं। पीलिया के शुरुआती एक हफ़्ते ही योग मुद्रा का अभ्यास काफी कारगर हो सकता है। योग मुद्रा का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले शांत मुद्रा में बैठ जाएं और शरीर को एकदम सीधा रखें। इसके बाद आगे की स्लाइडों में बताए जा रहे आसनों को करें, इससे पीलिया में काफी लाभ मिलता है।
योग करने से लिवर को मिलती है मजबूती
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भस्त्रिका प्राणायाम आसन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले ध्यानपूर्वक शांत अवस्था में बैठ जाएं और शरीर को एकदम से सीधा रखें। हाथों को ज्ञान मुद्रा बनाकर दोनों घुटनों पर रखें। कोहनी और कंधों को ढ़ीला रखें। अब धीरे-धीरे लम्बी और गहरी श्वास लें और छोड़ें। इसके 30-30 स्ट्रोक के दो बार अभ्यास करें।
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले ध्यानपूर्वक शांत अवस्था में बैठ जाएं और शरीर को एकदम से सीधा रखें। हाथों को ज्ञान मुद्रा बनाकर दोनों घुटनों पर रखें। कोहनी और कंधों को ढ़ीला रखें। अब धीरे-धीरे लम्बी और गहरी श्वास लें और छोड़ें। इसके 30-30 स्ट्रोक के दो बार अभ्यास करें।
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कपालभाति के तमाम फायदे
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कपालभाति प्राणायाम से भी लाभ
इस आसन को करने के लिए भी सबसे पहले ध्यानपूर्वक शांत अवस्था में बैठ जाएं और शरीर को एकदम से सीधा रखें। इसके बाद पहले अपनी नाक के दोनों छिद्रों के माध्यम से एक गहरी श्वास लें। अब इसे नाक से तेजी से छोड़ें, इसमें झटके से पेट को अंदर की ओर ले जाएं। सांस छोड़ते समय नाक से छक की आवाज़ होगी। इस क्रिया को कम से कम 10 मिनट तक करते रहें।
इस आसन को करने के लिए भी सबसे पहले ध्यानपूर्वक शांत अवस्था में बैठ जाएं और शरीर को एकदम से सीधा रखें। इसके बाद पहले अपनी नाक के दोनों छिद्रों के माध्यम से एक गहरी श्वास लें। अब इसे नाक से तेजी से छोड़ें, इसमें झटके से पेट को अंदर की ओर ले जाएं। सांस छोड़ते समय नाक से छक की आवाज़ होगी। इस क्रिया को कम से कम 10 मिनट तक करते रहें।