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MP News: एमपी की बुसरा ने पिता की मौत के 9 माह बाद दौड़ में जीता गोल्ड, मुआवजे के पैसे से खरीदे थे स्पाइक

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sun, 05 Feb 2023 04:56 PM IST
सार

बुसरा ने बताया कि वह भोपाल में एकेडमी में रहती है। उसका घर पिता की मौत के बाद मिले चार लाख रुपए मुआवजे से चल रहा है। वह भी अब खत्म हो रहा हैं। उसे नहीं पता कि आगे क्या होगा। उसका कहना है कि वह देश के लिए खेलकर पदक जीतना चाहती हैं।

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MP News: MP's Busra won gold in race after 9 months of father's death, bought spikes with compensation money
बुसरा ने 3 हजार मीटर दोड़ में जीता गोल्ड - फोटो : अमर उजाला
भोपाल में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में सीहोर की 18 वर्षीय बुसरा खान ने पिता की मौत के 9 माह बाद 3000 मीटर दौड़ में गोल्ड और 1500 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता है। बुशरा के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं। यहीं कारण है कि बुसरा को अपनी प्रैक्टिस के लिए मजबूरी में पिता की मौत के बाद मिले मुआवजे से स्पाइक खरीदने पड़े। उसने अपने पदक पिता को समर्पित किये।  

 
 
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MP News: MP's Busra won gold in race after 9 months of father's death, bought spikes with compensation money
18 वर्षीय बुसरा खान प्रतियोगिता में दौड़ते हुए - फोटो : अमर उजाला
बुसरा खान का परिवार सीहोर में रहता हैं। उसके परिवार में मां शहनाज गौरी और दो छोटी बहनें 12 और 16 साल की हैं। बुसरा के पिता की मई 2022 में सीहोर में एक कैमिकल फैक्ट्री में ब्लॉस्ट होने से मौत हो गई थी। परिवार पिता के साथ फैक्ट्री में सर्वेंट क्वार्टर में रहता था, लेकिन हादसे के बाद परिवार को सीहोर में किराये के मकान में रहने आना पड़ा। बुसरा ने बताया कि वह भोपाल में एकेडमी में रहती है। उसका घर पिता की मौत के बाद मिले चार लाख रुपए मुआवजे से चल रहा है। वह भी अब खत्म हो रहा हैं। उसे नहीं पता कि आगे क्या होगा। उसका कहना है कि वह देश के लिए खेलकर पदक जीतना चाहती हैं।
 
सरकार परिवार की मदद करें
बुसरा के कोच एसके प्रसाद ने बताया कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हैं। हम लोग परिवार को राशन की थोड़ी बहुत मदद कर देते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण वह मानसिक दबाव में रहती है। उसे सरकारी मदद की बहुत आवश्यकता हैं। हालांकि खेल मंत्री परिवार की मदद कर रही हैं।
 
 
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बुसरा अपने कोच एसके प्रसाद के साथ - फोटो : अमर उजाला
11 साल की उम्र से शुरू की प्रैक्टिस
बुसरा ने बताया कि उसे बचपन से ही दौड़ने का शौक हैं। वह घर में खूब भागती दौड़ती थी। इसलिए उसकी मां उसे बचपन में रस्सी से बांध कर रखती थी। स्कूल में दौड़ की प्रतियोगिता में भाग लेने पर उसे टीचर्स ने स्पोट्र्स में कैरियर बनाने को कहा। इसके बाद उसने 11 साल की उम्र में सीहोर में एकेडमी ज्वाइंन कर अभ्यास शुरू किया।
 
सरकार से मदद की गुहार
बुसरा की सरकार से मांग है कि उसके परिवार को भी सरकार मकान बनाने के लिए जमीन और आर्थिक मदद उपलब्ध्ध करा दें। जिससे वह मानसिक दबाव के बिना खेल पर अपना ध्यान लगा सकें।  
 
बुसरा ने यह पदक जीतें
-2019 के नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 2000 मीटर 6 मिनट 24.71 सेकंड में दौड़ कर स्वर्ण जीता और बालिकाओं के अंडर-16 में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।
-2021 में नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 1500 मीटर 4 मिनट 53 सेकंट में दौड़कर स्वर्ण जीता।
- 2023 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स-2022 में भोपाल में 1500 मीटर 4 मिनट 44.39 सेकंड में दौड़ कर रजत पदक जीता। वहीं, 3000 मीटर 10 मिनट 4.29 सेकंड में दौड़कर स्वर्ण पदक जीता।
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