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Swachh Indore: आखिर कैलाश विजयवर्गीय को अफसरों पर गुस्सा क्यों आता है? क्यों कहा- अधिकारियों की मॉलिश मत करो
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर
Published by: रवींद्र भजनी
Updated Fri, 07 Oct 2022 01:08 PM IST
सार
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर अफसरों पर हमला बोला है। इस बार कहा कि अगर इंदौर सफाई में नंबर वन है तो इसका श्रेय अधिकारी को नहीं जनता को जाना चाहिए।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर अफसरों पर बरसे हैं। उन्होंने इंदौर को लगातार छठी बार सफाई में नंबर वन बनने का श्रेय अधिकारियों को दिए जाने का विरोध किया। वह भी खास अंदाज में। उन्होंने तो यह भी कह दिया कि मैं कड़वी बात बोल रहा हूं। हो सकता है कि किसी को बात बुरी भी लगे, लेकिन यह कहना जरूरी है। मेरे अलावा किसी और में ताकत भी नहीं है कि ऐसा बोल सके।
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कैलाश विजयवर्गीय (फाइल फोटो)
- फोटो : Facebook
इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में स्वच्छता में देशभर में शहर के लगातार छठे साल अव्वल रहने पर कार्यक्रम था। इस दौरान अधिकारियों की तारीफ में कसीदे पढ़े जा रहे थे। यह बात कैलाश विजयवर्गीय को अच्छी नहीं लगी। उन्होंने कहा कि यदि अधिकारियों में दम होता तो इंदौर के तत्कालीन निगमायुक्त यहां के बाद उज्जैन कलेक्टर बने थे। उज्जैन के वर्तमान कलेक्टर भी इंदौर के निगमायुक्त रह चुके हैं। उन्हें तो अमिताभ बच्चन ने अवार्ड भी दिया था। दोनों अफसर उज्जैन को स्वच्छता में नंबर वन नहीं बना पाए क्योंकि जनता के कारण स्वच्छता में इंदौर देश में सबसे आगे है, अफसरों की वजह से नहीं। सफाई में इंदौर नंबर वन है तो उसका श्रेय सफाई मित्रों और शहर की जनता को जाता है, अधिकारियों को नहीं। मीडिया को भी अधिकारियों की ज्यादा मॉलिश नहीं करना चाहिए। यह पहला मौका नहीं है जब विजयवर्गीय ने शहर के अफसरों को निशाना न बनाया हो। इससे पहले भी वे अधिकारियों के बहाने सरकार पर हमले बोलते रहे हैं।
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कैलाश विजयवर्गीय
- फोटो : self
पहले भी निशाने पर रहे हैं अफसर
रेसीडेंसी कोठी पर प्रदर्शन के दौरान बड़े अफसर नहीं पहुंच थे तो कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि अफसर जनता के नौकर हैं। उनकी इतनी औकात हो गई है क्या कि वे जनप्रतिनिधियों से भी न मिले। हमारे पदाधिकारी शहर में है, नहीं तो आग लगा देता इंदौर में।
इससे पहले इंदौर नगर निगम के आयोजन में एक बार कैलाश विजयवर्गीय बोले थे कि इंदौर के मामले में मेरे हाथ बंधे हुए हैं। मेरी हालत शोले के ठाकुर जैसी है। उनका इशारा बेलगाम अफसरशाही की ओर था।
लॉकडाउन के दौरान भी अफसर कैलाश विजयवर्गीय के निशाने पर रहे हैं। उन्होंने अफसरों के आदेशों की तुलना तुगलकी फरमान से की थी। इसी तरह इंदौर विकास प्राधिकरण के कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि इंदौर में अडंगेबाजों की कमी नहीं है। इसमें भी निशाने पर अफसर ही थे।
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