सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त

Nag panchami: सात पहाड़ और बारिश, 'चमत्कार' के ये 10 दिन, नागद्वारी गुफा पहुंचे पांच लाख भक्त; देखें तस्वीरें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नर्मदापुरम Published by: उदित दीक्षित Updated Tue, 29 Jul 2025 10:57 PM IST
सार

Nag Panchami 2025: मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में पांच फीट चौड़ी और 100 फीट लंबी गुफा में पद्मशेष नागदेवता विराजमान हैं। साल भर में नागपंचमी के अवसर पर सिर्फ 10 दिन यहां दर्शन होते हैं। भक्त पद्मशेष नाग को मन्नतों का देवता मानते हैं। पढ़िए, चकित कर देने वाली नागद्वारी गुफा की कहानी...। 

विज्ञापन
Nag Panchami 2025 Over 5 Lakh Devotees Reach Nagdwar Cave After Climbing 7 Hills Amid Rain
10 दिन के लिए खुलता है पद्मशेष नागदेवता का मंदिर। - फोटो : अमर उजाला

साल में सिर्फ एक बार खुलने वाला नागद्वारी धाम भक्तों की आस्था से गुलजार है। नर्मदापुरम जिले की पर्वतीय नगरी पचमढ़ी में स्थित यह पवित्र स्थल पद्मशेष नागदेवता का वास माना जाता है, जहां दर्शन की अनुमति केवल नागपंचमी के पर्व पर 10 दिनों के लिए दी जाती है। इस बार 19 जुलाई को नागदेवता मंदिर के पट खोले गए और इसी के साथ शुरू हुई नागद्वारी यात्रा। अब तक करीब 5 लाख श्रद्धालु सात पहाड़ों की कठिन चढ़ाई पार कर नागद्वारी गुफा तक पहुंच चुके हैं। आज नागपंचमी के दिन संध्या आरती के साथ यह दस दिवसीय धार्मिक यात्रा पूरी होगी। जिसके बाद मंदिर में पट एक साल के लिए फिर बंद कर दिए जाएंगे। आइए, अब विस्तार से जानते हैं नागद्वार गुफा की कहानी, जो साल में सिर्फ दस दिन के लिए खुलती है...।

Trending Videos
Nag Panchami 2025 Over 5 Lakh Devotees Reach Nagdwar Cave After Climbing 7 Hills Amid Rain
पांच फीट चौड़ी और 100 फीट लंबी है गुफा। - फोटो : अमर उजाला

नागद्वारी गुफा में विराजमान हैं पद्मशेष भगवान
पहाड़ों की नगरी पचमढ़ी में नागद्वार गुफा में भगवान पद्मशेष विराजमान है। नाग पंचमी पर यहां नागद्वारी मेला लगता है, लााखों भक्त यहां गुफा में विराजित भगवान पद्मशेष के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। भक्तों की मान्यता है कि पद्मशेष भगवान मन्नतों के देवता हैं। यही कारण है कि सात पहाड़ों को पार कर करीब 20 किमी की कठिन यात्रा कर श्रद्धालु नागद्वार गुफा तक पहुंचते हैं। यह गुफा महज पांच फीट चौड़ी और 100 फीट लंबी है, जहां आकर भक्त नाग देवता का पूजन करते हैं। नागद्वारी को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित हैं। कुछ लोग इस गुफा को पाताल लोक का प्रवेश द्वार मानते हैं तो कुछ इसे भगवान शंकर के गले में विराजित नाग देवता का घर कहते हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन
Nag Panchami 2025 Over 5 Lakh Devotees Reach Nagdwar Cave After Climbing 7 Hills Amid Rain
नागद्वारी गुफा का इतिहास आदिकाल के समय का। - फोटो : अमर उजाला

गुफा में भगवान शिव ने छोड़ा अपने गले का सांप 
नागद्वारी गुफा का इतिहास आदिकाल से प्रचलित है और यहां की यात्रा भी सदियों पुरानी है। नागद्वार स्वामी सेवा ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष उमाकांत झाड़े बताते हैं कि नागद्वारी यात्रा कई वर्षों पुरानी परंपरा है। नाग पंचमी से 10 दिन पहले मंदिर के पट खुलते हैं, जिसके बाद लाखों लोग दर्शन करते हैं।  कहा जाता है कि भगवान महादेव ने भस्मासुर से बचने के लिए अपने गले के नाग को यहां छोड़ा था, इसके बाद से यह स्थान पद्मशेष नागदेवता का निवास बन गया। मुगल कालीन लेखों से लेकर अंग्रेज अधिकारी कैप्टन जेम्स फॉरसिथ की पुस्तक 'Highlands of Central India' तक में नागद्वारी यात्रा का उल्लेख मिलता है।

Nag Panchami 2025 Over 5 Lakh Devotees Reach Nagdwar Cave After Climbing 7 Hills Amid Rain
भक्त पैदल करते हैं यात्रा। - फोटो : अमर उजाला

सन 1800 के बाद की गई शिवलिंग की स्थापना
पचमढ़ी के वृद्धजनों के अनुसार सन 1800 में अंग्रेजों से युद्ध के दौरान राजा भभूत सिंह और उनकी सेना ने नागद्वारी क्षेत्र की गुफाओं और कंदराओं में विश्राम किया था। इस दौरान उन्होंने यहीं युद्ध की रणनीति भी बनाई थी। इस युद्ध में शामिल आदिवासी और मराठा नाग देवता के दर्शन के लिए पैदल नागद्वारी पहुंचे थे। इसके बाद से मराठा और आदिवासी समाज समेत अन्य लोग यहां यात्रा करने आते हैं। इसके बाद नागद्वारी गुफा में एक शिवलिंग की स्थापना भी गई। 

 

विज्ञापन
Nag Panchami 2025 Over 5 Lakh Devotees Reach Nagdwar Cave After Climbing 7 Hills Amid Rain
गुफा तक पहुंचने का रास्ता खतरनाक। - फोटो : अमर उजाला

संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी करते हैं पद्मशेष भगवान 
नाग देवता के पुजारी उमाकांत झाड़े बताते हैं कि लगभग 200 वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के राजा हेवतचंद और रानी मैना ने संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने के बाद रानी ने वचन निभाने में विलंब कर दिया, जब रानी नागद्वारी पहुंची तो नाग देवता ने उन्हें पहले बाल स्वरूप में दर्शन दिए। लेकिन, काजल नहीं लगाए जाने पर वे विशाल रूप में प्रकट हुए और रानी के पुत्र श्रवण कुमार को डस लिया। इससे उनकी मौत हो गई, उनकी समाधि काजरी क्षेत्र में आज भी मौजूद है। तभी से मान्यता चली आ रही है कि भगवान पद्मशेष संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी करते हैं।  ऐसे में हर साल मंदिर खुलने पर हजारों भक्त पद्मशेष भगवान के दर्शन कर संतान की मन्नत मांगने आते हैं। मन्नत पूरी होने पर पुनः आकर चढ़ावा चढ़ाते हैं। मान्यता यह भी है कि नागपंचमी पर यहां दर्शन-पूजन करने से कालसर्प दोष दूर होता है।  

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed