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New Year 2023: मध्यप्रदेश के इन खूबसूरत पर्यटन स्थलों की सैर कर करें नए साल का आगाज, ऐसे कीजिए सफर आसान
सार
New Year 2023: मध्यप्रदेश के इन खूबसूरत पर्यटन स्थलों की सैर कर करें नए साल का आगाज, ऐसे कीजिए सफर आसान
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मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल
- फोटो : अमर उजाला
देश का दिल मध्यप्रदेश अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थलों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहां सतपुड़ा के घने जंगल हैं, तो नर्मदा नदी पर बनने वाले मनमोहक झरने भी, बांधवगढ़, कान्हा जैसे छह टाइगर रिजर्व हैं, तो पचमढ़ी जैसी सुरम्य वादियां भी हैं। हनुवंतिया टापू पर आप कम खर्च में स्वीट्जरलैंड जैसा मजा ले सकते हैं तो वहीं धार्मिक नगरी उज्जैन की सैर कर आप शिव भक्ति से मन को सराबोर कर सकते हैं। नए साल पर यदि आप मध्यप्रदेश की ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो आइए हम आपको प्रदेश के कुछ खास पर्यटन स्थलों से रूबरू कराते हैं, जहां जाकर आप नए साल का खास अंदाज में वेलकम कर सकते हैं।
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हिल स्टेशन पचमढ़ी
- फोटो : अमर उजाला
हिल स्टेशन पचमढ़ी
नए साल में यदि आप पहाड़ों की सैर करना चाहते हैं तो पचमढ़ी इसके लिए सबसे बेस्ट डेस्टिनेशन है। पचमढ़ी की खूबसूरत वादियां आपको स्वर्ग सा एहसास कराएंगी। यहां कई धार्मिक स्थल भी हैं। पचमढ़ी में कई खूबसूरत झरने और गुफाएं भी हैं, जहां आप रोमांच का असली मजा ले सकते हैं। विंटर सीजन असली मजा भी आपको पचमढ़ी में ही मिलेगा।
नरसिंहपुर जिले के पिपरिया से पचमढ़ी की दूरी महज 56 किमी है। आप मध्यप्रदेश के किसी भी शहर से चार पहिया वाहन से पचमढ़ी आसानी से पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से जाना हो तो नरसिंहपुर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यदि आप वायु मार्ग से जाना चाहें तो जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट नजदीकी हवाई अड्डा है।
नए साल में यदि आप पहाड़ों की सैर करना चाहते हैं तो पचमढ़ी इसके लिए सबसे बेस्ट डेस्टिनेशन है। पचमढ़ी की खूबसूरत वादियां आपको स्वर्ग सा एहसास कराएंगी। यहां कई धार्मिक स्थल भी हैं। पचमढ़ी में कई खूबसूरत झरने और गुफाएं भी हैं, जहां आप रोमांच का असली मजा ले सकते हैं। विंटर सीजन असली मजा भी आपको पचमढ़ी में ही मिलेगा।
नरसिंहपुर जिले के पिपरिया से पचमढ़ी की दूरी महज 56 किमी है। आप मध्यप्रदेश के किसी भी शहर से चार पहिया वाहन से पचमढ़ी आसानी से पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से जाना हो तो नरसिंहपुर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यदि आप वायु मार्ग से जाना चाहें तो जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट नजदीकी हवाई अड्डा है।
ये भी पढ़ें: नए साल के पहले दिन एमपी के इन प्रसिद्ध मंदिरों के कर सकते हैं दर्शन, जानिए कहां, क्या है खास
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सांची के स्तूप
- फोटो : अमर उजाला
सांची स्तूप
भोपाल से करीब 45 किमी दूर सांची रायसेन जिले का एक छोटा सा गांव है, लेकिन अपनी अमूल्य धरोहर के चलते यह विश्व विरासत के नक्शे में शामिल है। सांची में भगवान बुद्ध के स्तूप हैं जो सारी दुनिया को शांति का संदेश कई सदियां बीत जाने के बाद भी दे रहे हैं। इस पर्यटन स्थल पर सालभर सैलानी पहुंचते हैं और सांची के स्तूपों में छिपे भगवान बुद्ध के संदेशों को तलाशते हैं। इन स्तूपों का निर्माण मौर्य वंश के महान सम्राट अशोक ने कराया था। तीसरी से 12वीं सदी के बीच बनी यह धरोहर कला का बेहतरीन नमूना है। नए साल का आगाज करने के लिए सांची एक मुफीद पर्यटन स्थल है। सांची पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन विदिशा है। भोपाल, रायसेन या अन्य जिलों से आप आसानी से सड़क मार्ग से भी सांची पहुंच सकते हैं। मध्यप्रदेश के बाहर से आ रहे हैं तो भोपाल का राजा भोज विमानतल नजदीकी एयरपोर्ट है।
भोपाल से करीब 45 किमी दूर सांची रायसेन जिले का एक छोटा सा गांव है, लेकिन अपनी अमूल्य धरोहर के चलते यह विश्व विरासत के नक्शे में शामिल है। सांची में भगवान बुद्ध के स्तूप हैं जो सारी दुनिया को शांति का संदेश कई सदियां बीत जाने के बाद भी दे रहे हैं। इस पर्यटन स्थल पर सालभर सैलानी पहुंचते हैं और सांची के स्तूपों में छिपे भगवान बुद्ध के संदेशों को तलाशते हैं। इन स्तूपों का निर्माण मौर्य वंश के महान सम्राट अशोक ने कराया था। तीसरी से 12वीं सदी के बीच बनी यह धरोहर कला का बेहतरीन नमूना है। नए साल का आगाज करने के लिए सांची एक मुफीद पर्यटन स्थल है। सांची पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन विदिशा है। भोपाल, रायसेन या अन्य जिलों से आप आसानी से सड़क मार्ग से भी सांची पहुंच सकते हैं। मध्यप्रदेश के बाहर से आ रहे हैं तो भोपाल का राजा भोज विमानतल नजदीकी एयरपोर्ट है।
भीम बेटका की गुफाएं
- फोटो : अमर उजाला
भीम बेटका
भोपाल से करीब 46 किमी की दूरी पर रायसेन जिले में भीमबेटका गुफाएं हैं। भीमबेटका यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शुमार है। यह पर्यटन स्थल पाषाणकालीन युग के शैल चित्रों का घर है। भीम बेटका की गुफाओं में करीब 750 शैल चित्र बने हैं जो करीब 12 हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताए जाते हैं। यदि आप नए साल पर लॉन्ग ड्राइव पर जाने की सोच रहे हैं तो यह जगह आपके न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए परफेक्ट हो सकती है। पहाड़ी पर करीब 500 से ज्यादा गुफाएं मौजूद हैं, जिनमें शैल चित्र बने हैं। इन्हें देखने का एक अलग ही रोमांच है, जो आपको ताउम्र याद रहेगा। भीम बेटका रायसेन जिले में है, जहां आप आसानी से सड़क, रेल और वायु मार्ग के जरिए पहुंच सकते हैं।
भोपाल से करीब 46 किमी की दूरी पर रायसेन जिले में भीमबेटका गुफाएं हैं। भीमबेटका यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शुमार है। यह पर्यटन स्थल पाषाणकालीन युग के शैल चित्रों का घर है। भीम बेटका की गुफाओं में करीब 750 शैल चित्र बने हैं जो करीब 12 हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताए जाते हैं। यदि आप नए साल पर लॉन्ग ड्राइव पर जाने की सोच रहे हैं तो यह जगह आपके न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए परफेक्ट हो सकती है। पहाड़ी पर करीब 500 से ज्यादा गुफाएं मौजूद हैं, जिनमें शैल चित्र बने हैं। इन्हें देखने का एक अलग ही रोमांच है, जो आपको ताउम्र याद रहेगा। भीम बेटका रायसेन जिले में है, जहां आप आसानी से सड़क, रेल और वायु मार्ग के जरिए पहुंच सकते हैं।
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खजुराहो
- फोटो : अमर उजाला
खजुराहो के मंदिर
खजुराहो को मंदिरों का शहर कहें तो गलत नहीं होगा। अपनी अनोखी मूर्तियों और मंदिरों के लिए ये पर्यटन स्थल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। कभी यहां 85 से ज्यादा मंदिर हुआ करते थे, हालांकि अब केवल 25 मंदिर सही सलामत हैं। नए साल का स्वागत करने के लिए यह जगह काफी अच्छी है। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजा ने 950 से 1050 ईस्वीं में कराया था। इन मंदिरों में की गई नक्काशी और यहां बनी मूर्तियां देखकर एक बारगी लोग सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर उस दौर में ये मंदिर कैसे बने होंगे। इन मंदिरों की सुंदरता यहां पहुंचकर ही देखी जा सकती है। अगर आप नए साल पर खजुराहो जाने की सोच रहे हैं तो आप सड़क, वायु और रेलमार्ग के जरिए आसानी ये यहां पहुंच सकते हैं। छतरपुर से खजुराहो करीब 53 किमी दूर है।
ये भी पढ़े: नए साल पर महाकालेश्वर जा रहे हैं तो जान लीजिए कैसे मिलेगा प्रवेश, कहां करेंगे पार्किंग
खजुराहो को मंदिरों का शहर कहें तो गलत नहीं होगा। अपनी अनोखी मूर्तियों और मंदिरों के लिए ये पर्यटन स्थल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। कभी यहां 85 से ज्यादा मंदिर हुआ करते थे, हालांकि अब केवल 25 मंदिर सही सलामत हैं। नए साल का स्वागत करने के लिए यह जगह काफी अच्छी है। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजा ने 950 से 1050 ईस्वीं में कराया था। इन मंदिरों में की गई नक्काशी और यहां बनी मूर्तियां देखकर एक बारगी लोग सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर उस दौर में ये मंदिर कैसे बने होंगे। इन मंदिरों की सुंदरता यहां पहुंचकर ही देखी जा सकती है। अगर आप नए साल पर खजुराहो जाने की सोच रहे हैं तो आप सड़क, वायु और रेलमार्ग के जरिए आसानी ये यहां पहुंच सकते हैं। छतरपुर से खजुराहो करीब 53 किमी दूर है।
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