सब्सक्राइब करें

Rajasthan: नौ जिलों को खत्म करना भजनलाल सरकार के लिए बना सिरदर्द, धीरे-धीरे भड़क रही आंदोलन की आग

न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Wed, 29 Jan 2025 01:00 AM IST
सार

राजस्थान सरकार द्वारा नौ जिलों को समाप्त करना भजनलाल सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। अब धीरे-धीरे प्रदेश के कई जिलों में जिला बहाली की मांग तेज होने लगी है। कहीं प्रदर्शन जारी है तो कहीं चक्काजाम की चेतावनी दी गई है।

विज्ञापन
Rajasthan Abolishing nine districts become headache for BhajanLal government fire agitation slowly flaring up
जिला आंदोलन की आग - फोटो : अमर उजाला

राजस्थान की बीजेपी सरकार ने 28 दिसंबर 2024 को कैबिनेट की बैठक में एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में मार्च 2023 में बनाए गए तीन संभाग और नौ जिलों को एक झटके में निरस्त कर दिया। सरकार का तर्क है कि विकास के समूचे दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। लेकिन इस फैसले के बाद राज्य में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है।




बता दें कि नौ जिले अनूपगढ़, दूदू, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर और शाहपुरा को निरस्त करने के फैसले ने सरकार के खिलाफ विरोध के स्वर को और तीव्र कर दिया है। वहीं, पूर्ववर्ती सरकार में बनाए गए बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, फलौदी और सलूंबर जिले के अस्तित्व को वर्तमान सरकार ने बनाए रखा है।

वहीं, सरकार का यह बड़ा फैसला सबसे बड़ी चुनौती भी बन सकता है। राजस्थान में विपक्ष बहुत आक्रामक है। संभाग और जिलों को खत्म करने का कई जगह भारी विरोध हो रहा है। ये परीक्षा की तरह है, राज्य सरकार के पास यू-टर्न लेने का मौका नहीं है।

Trending Videos
Rajasthan Abolishing nine districts become headache for BhajanLal government fire agitation slowly flaring up
प्रदर्शन में मौजूद लोग - फोटो : अमर उजाला

जहां जनाधार वहां जिले बरकरार
भजनलाल सरकार ने जिले हटाने में कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखा है। पार्टी का जहां जनाधार है और जहां मजबूत पकड़ है, उन जिलों को बरकरार रखा गया है। जैसे, मारवाड़ भाजपा का गढ़ है। फलौदी और बालोतरा को लंबे समय से जिला बनाने की मांग थी। कांग्रेस राज में ये जिले बने भी, फिर भी यहां कांग्रेस नहीं जीती तो इन्हें नहीं छेड़ा। मेवाड़ के सलूंबर में पार्टी ने उपचुनाव जीता है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भरतपुर से आते हैं तो डीग को बरकरार रखा गया है। ब्यावर, खैरथल-तिजारा में पार्टी मजबूत है। वहां भी किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लिया है। डीडवाना में हालांकि पार्टी चुनाव नहीं जीत पाई, लेकिन उन्हीं के बागी पूर्व मंत्री युनूस खान चुनाव जीते थे। ऐसे में इलाके को साधने के लिए जिले का दर्जा बरकरार रखा गया है। डीडवाना-कुचामन जिले में आने वाली नावां सीट से विजय सिंह चौधरी सरकार में मंत्री हैं। इसलिए जिले का दर्जा रखा गया।

विज्ञापन
विज्ञापन
Rajasthan Abolishing nine districts become headache for BhajanLal government fire agitation slowly flaring up
प्रदर्शन करते हुए लोग - फोटो : अमर उजाला

शेखावाटी में क्या किया
शेखावाटी कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी यहां से आते हैं। भाजपा की यहां पकड़ कमजोर मानी जाती है। सीकर से संभाग मुख्यालय और नीमकाथाना से जिले का दर्जा छिन गया, जबकि दोनों की लंबे समय से डिमांड थी। इसी तरह बांसवाड़ा में पार्टी मजबूत नहीं है। यहां से संभाग मुख्यालय वापस ले लिया गया। अनूपगढ़, सांचौर के पीछे भी ये ही वजह है। हालांकि, जिला बनने के बाद सांचौर में कांग्रेस नहीं जीत पाई थी।

वित्तीय संकट या राजनीति?
सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि यह निर्णय समूचे प्रदेश के विकास के मद्देनजर लिया गया है। हालांकि, दबी जुबान में यह भी चर्चा है कि सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है और नए जिलों के संचालन के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं। नौ जिलों को समाप्त करने के पीछे की इस वित्तीय चुनौतियों की बात ने भी जनता के बीच असंतोष को बढ़ा दिया है।

Rajasthan Abolishing nine districts become headache for BhajanLal government fire agitation slowly flaring up
शाहपुरा में प्रदर्शन - फोटो : अमर उजाला

बढ़ते विरोध और आंदोलन
राज्य के विभिन्न हिस्सों में जिलों को समाप्त करने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। कई जिलों में टायर जलाकर और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर जनता ने सरकार के इस फैसले का विरोध जताया। खासकर, शाहपुरा में जनता का आक्रोश चरम पर है। शाहपुरा को 17 महीनों के भीतर ही फिर से समाप्त कर दिया गया, जबकि यह एक ऐतिहासिक रियासत रही है। शाहपुरा को जिला बनाए जाने का पुराना इतिहास रहा है, और इसके समाप्त होने से जनता में नाराजगी है।

शाहपुरा का आंदोलन और महापड़ाव की तैयारी
शाहपुरा में जिला बहाल करने के लिए जनता ने जिला बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया है, जो लगातार महापड़ाव और आक्रोश रैली कर रही है। आज शाहपुरा में आयोजित महापड़ाव और रैली में जनता ने विधायक डॉ. लालाराम बैरवा के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। नाराज लोगों ने विधायक के बैनर और पोस्टर तक फाड़ दिए। संघर्ष समिति ने 15 दिन बाद नेशनल हाइवे पर महापड़ाव की घोषणा की है। साथ ही, आगामी चुनावों में बहिष्कार के विकल्प पर भी विचार किया गया।

विज्ञापन
Rajasthan Abolishing nine districts become headache for BhajanLal government fire agitation slowly flaring up
पुतला लेकर प्रदर्शन करते हुए - फोटो : अमर उजाला

अन्य जिलों में भी उबाल
राज्य के अन्य जिलों में भी विरोध प्रदर्शन तेज हो रहे हैं। अजमेर संभाग के केकड़ी जिले में वकीलों ने ब्लैक डे मनाया और जिला निरस्त करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और दोषी अधिकारियों के पुतले जलाए। वकीलों ने सरकार से जिला बहाल करने और आगामी बजट में केकड़ी के लिए विशेष घोषणाएं करने की मांग की।

मारवाड़ और ढूंढाड़ में विरोध
मारवाड़ के सांचौर में पूर्व मंत्री सुखराम विश्नोई के नेतृत्व में जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया। वहीं, अनूपगढ़ में कई संगठनों ने कलेक्ट्रेट के बाहर सभा आयोजित की और विरोध जताया। नीम का थाना में विधायक सुरेश मोदी के नेतृत्व में जनता ने कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली और जिला बहाल करने से संबंधित ज्ञापन सौंपा।

अनूपगढ़ जिला बहाली की मांग
राजस्थान सरकार द्वारा अनूपगढ़ जिले को निरस्त किए जाने के विरोध में अनूपगढ़ बार संघ ने कड़ा रुख अपनाया है। बार संघ ने निर्णय लिया है कि जब तक सरकार जिले को बहाल नहीं करती, तब तक हर माह की 28 तारीख को काला दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

30 जनवरी को चक्काजाम का एलान
नीमकाथाना जिले की मांग को लेकर आमजन और विभिन्न संगठनों द्वारा किया जा रहा संघर्ष तेज होता जा रहा है। युवा शक्ति संगठन ने आंदोलन को और तेज करने के लिए 30 जनवरी को चक्काजाम करने का निर्णय लिया है। संगठन के पदाधिकारी शशिपाल भाकर ने बताया कि युवा शक्ति संगठन अब छात्रों और युवाओं को जोड़कर आंदोलन को संगठित करने और कानूनी पहलुओं पर काम करेगी।

भजनलाल सरकार के लिए चुनौती
राजस्थान में नौ जिलों को समाप्त करने का फैसला भजनलाल सरकार के लिए आगामी निकाय और पंचायत चुनावों में सिरदर्द बन सकता है। राज्य भर में चल रहे विरोध प्रदर्शन और आंदोलनों से स्पष्ट है कि यह मुद्दा आने वाले चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। मध्यप्रदेश जैसे छोटे राज्य में 53 जिले हैं, जबकि राजस्थान में अब केवल 41 जिले बचे हैं। ऐसे में राज्य में जिलों को खत्म करने के फैसले ने जनता के भीतर गहरी असंतोष की भावना पैदा कर दी है। सरकार के लिए यह चुनौती और भी बड़ी हो सकती है, जब जनता का यह असंतोष आने वाले चुनावों में वोटों के जरिए जाहिर होगा।

भविष्य की संभावनाएं
राजस्थान के इन नौ जिलों को समाप्त करने का मुद्दा राजनीतिक धरातल पर तेजी से पैर पसार रहा है। आने वाले दिनों में यह न केवल सरकार के लिए बल्कि समूचे राज्य की राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है। यदि सरकार इस पर पुनर्विचार नहीं करती, तो इसका खामियाजा उसे निकाय और पंचायत चुनावों में उठाना पड़ सकता है।

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed