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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में भूलकर भी न करें इन चीज़ों की खरीदारी, नाराज हो सकते हैं पितृ
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: श्वेता सिंह
Updated Wed, 10 Sep 2025 12:41 PM IST
सार
Pitru Paksha Rules: पितृपक्ष में कुछ वस्तुएं खरीदने से भी परहेज करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों का क्रोध हो सकता है। आइए जानते हैं पितृपक्ष के दौरान किन-किन चीजों को खरीदने से बचना चाहिए।
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पितृपक्ष में कुछ वस्तुएं खरीदने से भी परहेज करना चाहिए
- फोटो : अमर उजाला
What Not To Buy In Pitru Paksha: पितृपक्ष एक ऐसा पवित्र समय होता है जब हम अपने पूर्वजों की पूजा-अर्चना करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण जैसे कर्मकांड करते हैं। यह अवधि सात्विक जीवन शैली अपनाने का संदेश देती है, जिसमें हमें अपने आचरण और खान-पान में विशेष सावधानी बरतनी होती है। इस समय मांसाहार, मदिरा, और तामसिक प्रवृत्ति वाली चीजें जैसे लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित होता है, ताकि हमारे पूर्वज प्रसन्न हों और उनका आशीर्वाद बना रहे।
पितृपक्ष में किन चीजों को खरीदना वर्जित है?
- फोटो : Adobe
पितृपक्ष में किन चीजों को खरीदना वर्जित है?
लोहा या लोहे का सामान
पितृपक्ष में लोहे या लोहे से बने किसी भी सामान को खरीदना शुभ नहीं माना जाता। ऐसा इसलिए क्योंकि लोहे में नकारात्मक ऊर्जा होती है और इसे खरीदने से पितृशांति में बाधा आ सकती है। इस अवधि में लोहे के बर्तनों, उपकरणों या अन्य लोहे के सामान को खरीदने से बचना चाहिए।
नए कपड़े
पितृपक्ष के दौरान नए कपड़े खरीदना भी टाला जाता है। यह समय श्राद्ध, तर्पण और पितृ पूजा का होता है, इसलिए नए कपड़े खरीदना और पहनना शुभ नहीं माना जाता। खासकर नए वस्त्रों की खरीद से घर में अशांति या पितृ दोष बढ़ सकता है।
सोने-चांदी के आभूषण
इस समय सोने या चांदी के आभूषण खरीदना भी उचित नहीं होता। माना जाता है कि पितृपक्ष में इस तरह की महंगी वस्तुएं खरीदने से पितृ क्रोधित हो सकते हैं और शुभ कार्यों में बाधा आ सकती है। इसलिए इस समय आभूषण खरीदने से बचना चाहिए।
वाहन खरीदना
पितृपक्ष के दौरान वाहन खरीदना भी शुभ नहीं माना जाता। नए वाहन की खरीद से नए कष्ट या बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए इस अवधि में वाहन खरीदने से बचना चाहिए ताकि पितृशांति बनी रहे।
जमीन या मकान खरीदना
जमीन, मकान या कोई भी बड़ा संपत्ति खरीदना भी पितृपक्ष में टाला जाता है। यह समय आध्यात्मिकता और पितृशांति के लिए समर्पित होता है, इसलिए ऐसे बड़े निवेश करने से परहेज करें।
जूते-चप्पल की खरीदारी
जूते-चप्पल जैसी वस्तुओं की खरीद भी इस दौरान उचित नहीं मानी जाती। इन वस्तुओं को खरीदने से घर में अशांति आ सकती है, इसलिए पितृपक्ष के दौरान जूते-चप्पल खरीदने से बचना चाहिए।
शादी या मांगलिक कार्यों के सामान की खरीदारी
पितृपक्ष में शादी या अन्य मांगलिक कार्यों के लिए आवश्यक सामग्री खरीदना भी वर्जित होता है। यह समय शोक और श्रद्धा का होता है, इसलिए ऐसे शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
झाड़ू खरीदना
पितृपक्ष के दौरान झाड़ू खरीदना भी वर्जित माना गया है। यह माना जाता है कि झाड़ू खरीदने से घर से शुभ ऊर्जा निकलती है और पितृगण क्रोधित हो सकते हैं।
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जौ, काले तिल, कुशा और चावल पितृ पूजा में महत्वपूर्ण सामग्री हैं।
- फोटो : Adobe Stock
पितृपक्ष में क्या खरीदना शुभ होता है?
पितृपक्ष के दौरान सामान्य वस्तुओं की खरीदारी से बचना चाहिए, लेकिन कुछ खास चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें खरीदना और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय आप श्राद्ध और तर्पण से जुड़ी सामग्री खरीद सकते हैं, जो पितृजनों को प्रसन्न करती हैं और उनकी आत्मा को शांति देती हैं।
जौ, काले तिल, कुशा और चावल पितृ पूजा में महत्वपूर्ण सामग्री हैं।
चमेली का तेल का उपयोग तर्पण और पूजा में किया जाता है।
पितृ पक्ष में धूप-दीप जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं ।
धार्मिक पुस्तकें जैसे वेद, पुराण या अन्य धार्मिक ग्रंथों की खरीदारी भी इस समय शुभ होती है।
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पितृपक्ष में पूजा और नियमों का पालन क्यों जरूरी है?
- फोटो : amar ujala
पितृपक्ष में पूजा और नियमों का पालन क्यों जरूरी है?
पितृपक्ष में धार्मिक नियमों का पालन करना और पितरों का श्राद्ध-तर्पण करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं। यदि किसी व्यक्ति को पितृदोष की समस्या है, तो इस अवधि में श्राद्ध कराकर उससे मुक्ति पाने की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस प्रकार, पितृपक्ष के दौरान सही वस्तुओं की खरीदारी और विधिवत पूजा करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि आपके जीवन में भी सुख-समृद्धि का संचार होता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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