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Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन के बाद कब और कैसे उतारनी चाहिए राखी? जानें सही नियम
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Fri, 08 Aug 2025 04:06 PM IST
सार
अक्सर राखी बांधने के बाद यह सवाल मन में आता है कि त्योहार के बाद राखी को कितने समय तक कलाई पर रखना उचित है। क्या इसे तुरंत उतार देना चाहिए या इसके लिए कोई विशेष धार्मिक परंपरा है? आइए इसके बारे में जानते हैं।
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रक्षाबंधन के बाद कब और कैसे उतारनी चाहिए राखी?
- फोटो : adobe stock
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते, प्रेम और भरोसे का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र, खुशहाली और सुरक्षा की प्रार्थना करती है, जबकि भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। अक्सर राखी बांधने के बाद यह सवाल मन में आता है कि त्योहार के बाद राखी को कितने समय तक कलाई पर रखना उचित है। क्या इसे तुरंत उतार देना चाहिए या इसके लिए कोई विशेष धार्मिक परंपरा है? आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
जन्माष्टमी तक बांधने की प्रथा
- फोटो : Adobe Stock
जन्माष्टमी तक बांधने की प्रथा
कुछ मान्यताओं के अनुसार राखी को जन्माष्टमी तक कलाई पर बांधे रखना चाहिए। इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त को और जन्माष्टमी 16 अगस्त को है। इस अवधि में राखी बांधे रखना सौभाग्यशाली माना जाता है। जन्माष्टमी के बाद राखी को उतारकर किसी पवित्र स्थान, जैसे बहते जल में प्रवाहित करना या किसी वृक्ष के नीचे रखना श्रेष्ठ माना जाता है।
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16 दिनों का नियम
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16 दिनों का नियम
पंचांग और ज्योतिष के अनुसार राखी को 16 दिनों तक बांधे रखना अत्यंत फलदायी होता है। पूर्णिमा से अगले 15 दिन और 16वें दिन राखी को बहते जल में विसर्जित करने से भाई की आयु, सफलता और समृद्धि में वृद्धि होती है।
दशहरे तक पहनने की परंपरा
देश के कुछ क्षेत्रों में यह परंपरा भी है कि राखी को दशहरे तक बांधे रखा जाता है। दशहरा अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन तक कलाई पर बंधी राखी भाई के लिए सुरक्षा कवच का काम करती है और उसे हर प्रकार के संकट से बचाती है।
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राखी उतारने का उचित तरीका
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राखी उतारने का उचित तरीका
राखी को कभी भी अनदेखा करके फेंकना उचित नहीं है। यह एक पवित्र धागा है, इसे उतारने के बाद इसे नदी, तालाब आदि में प्रवाहित करना श्रेष्ठ है, क्योंकि मान्यता है कि यह भाई की सभी परेशानियां और नकारात्मक ऊर्जा अपने साथ ले जाती है। यदि जल स्रोत उपलब्ध न हो, तो इसे किसी पेड़ के नीचे या तुलसी के पौधे के पास श्रद्धा से रखा जा सकता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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