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AI की दौड़ में यूरोप का दांव: जर्मनी में लॉन्च हुआ सुपरकंप्यूटर जुपिटर, अमेरिका-चीन को देगा टक्कर

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Sun, 07 Sep 2025 03:30 PM IST
सार

European Supercomputer Jupiter: तकनीक की दुनिया में यूरोप ने बड़ा दांव खेला है। जर्मनी में लॉन्च हुआ सुपरकंप्यूटर जुपिटर एआई मॉडल ट्रेनिंग से लेकर क्लाइमेट फोरकास्ट तक में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यह यूरोप का पहला एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर है जो अमेरिका-चीन को सीधी टक्कर देगा।

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सुपरकंप्यूटर - फोटो : AI
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अब यूरोप भी बड़ा कदम उठाने को तैयार है। जर्मनी के जूलिश सुपरकंप्यूटिंग सेंटर में यूरोप का सबसे तेज और पहला एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर जुपिटर (Jupiter) शुक्रवार को लॉन्च किया गया। इस मौके पर जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि यह सुपरकंप्यूटर महाद्वीप को अमेरिका और चीन जैसे एआई अग्रणी देशों की बराबरी में खड़ा कर सकता है।
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सुपरफास्ट होगा काम - फोटो : AI
जुपिटर क्या है?
जुपिटर सुपरकंप्यूटर को यूरोप का पहला "एक्सास्केल" सिस्टम कहा जा रहा है, जो हर सेकंड एक क्विंटिलियन (1 अरब अरब) कैलकुलेशन करने में सक्षम है। यह किसी भी मौजूदा जर्मन कंप्यूटर से लगभग 20 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। जुपिटर को बनाने और चलाने पर लगभग 500 मिलियन यूरो (580 मिलियन डॉलर) खर्च किए जाएंगे, जिसमें आधा पैसा यूरोपीय संघ और बाकी जर्मनी देगा।

यह सुपरकंप्यूटर करीब 3,600 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है और इसमें 24,000 Nvidia चिप्स लगाए गए हैं। इसे फ्रांस की कंपनी Atos की सहायक इकाई Eviden और जर्मन कंपनी ParTec ने मिलकर बनाया है। हालांकि, Nvidia चिप्स पर निर्भरता यह दिखाती है कि यूरोप अभी भी अमेरिकी तकनीक पर आंशिक रूप से निर्भर है।
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AI रेस में यूरोप का दांव - फोटो : AI
AI रेस में यूरोप का दांव
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में अमेरिका ने 40 प्रमुख एआई मॉडल विकसित किए, चीन ने 15 और यूरोप केवल 3 पर सिमट गया। ऐसे हालात में जुपिटर का लॉन्च यूरोप के लिए ऐतिहासिक छलांग माना जा रहा है। चांसलर मर्ज ने कहा कि यूरोप को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए "सॉवरेन कंप्यूटिंग कैपेसिटी" हासिल करना बेहद जरूरी है।
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सिर्फ एआई ही नहीं, इन क्षेत्रों में भी मदद - फोटो : AI
सिर्फ एआई ही नहीं, इन क्षेत्रों में भी मदद
पिटर का इस्तेमाल केवल एआई मॉडल बनाने और ट्रेनिंग तक सीमित नहीं होगा। इसके जरिए जलवायु परिवर्तन की 30 से 100 साल तक की सटीक भविष्यवाणी की जा सकेगी, जबकि मौजूदा सिस्टम केवल 10 साल तक की ही जानकारी देते हैं। न्यूरोसाइंस रिसर्च में इसका इस्तेमाल दिमाग की प्रक्रियाओं के सिमुलेशन के लिए होगा, जिससे अल्जाइमर जैसी बीमारियों पर रिसर्च तेज होगी। वहीं, इसका इस्तेमाल क्लीन एनर्जी जैसे पवन ऊर्जा समाधानों को और बेहतर बनाया जा सकेगा।
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कितनी बिजली खाएगा जुपिटर? - फोटो : AI
कितनी बिजली खाएगा जुपिटर?
जुपिटर को औसतन 11 मेगावाट पावर की जरूरत होगी, जो हजारों घरों या एक छोटे औद्योगिक संयंत्र की खपत के बराबर है। हालांकि, इसके ऑपरेटर्स का दावा है कि यह दुनिया के सबसे ऊर्जा-कुशल सुपरकंप्यूटर्स में शामिल है। इसमें लेटेस्ट हार्डवेयर और वॉटर-कूलिंग सिस्टम लगाए गए हैं। इतना ही नहीं, जुपिटर से निकलने वाली वेस्ट हीट को पास के भवनों को गर्म करने में भी इस्तेमाल किया जाएगा।
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