भदोही जिले में रविवार देर शाम हुए दुर्गा पूजा पंडाल अग्निकांड का भयावह मंजर सोमवार को देखकर लोग सहम गए। हर तरफ आग से मची तबाही दिख रही है। घटनास्थल के पास कुछ बच्चों के फटे कपड़े, बिखरे चप्पल, उजड़ा पंडाल को देख लोग चिंतित हो उठे। पूरे स्थल को पुलिस-प्रशासन ने सील कर दिया है। मौके पर फोर्स की तैनाती भी की गई है। अधिकारियों का आने-जाने का क्रम जारी है। आग लगने से पूरा पंडाल जलकर खाक हो गया और वहां रखी सभी चीजें जल गई हैं। हालांकि, प्रतिमाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
जिस वक्त पूजा पंडाल में आग लगी उस वक्त वहां आरती हो रही थी। शो में प्रोजेक्टर के माध्यम से धार्मिक कार्यक्रम दिखाए जा रहे थे। 150 से ज्यादा लोग वहां मौजूद थे। गुफानुमा बने स्थल में आने-जाने का सिर्फ एक ही रास्ता था। आग लगने के बाद अंदर भगदड़ मच गई। इससे कई महिलाएं और बच्चे गिर गए। आग तेजी से फैली और उसके चपेट में सभी आ गए। पंडाल के भीतर मौजूद सब कुछ स्वाहा हो गया लेकिन मां दुर्गा की मुख्य प्रतिमा बची रह गई। पंडाल में केवल लोहे की पाइप के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा है।
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भदोही अग्निकांड में बची रही मां दुर्गा की प्रतिमा
- फोटो : अमर उजाला
भीषण आग के कारण पूरा का पूरा पंडाल जलकर स्वाहा हो गया। लेकिन मातारानी और उनके दरबार में रहने वाले गणेश आदि की प्रतिमा पूरी सुरक्षित है। पंडाल के दूसरे हिस्से में रखीं कुछ प्रतिमाएं जरूर जल गईं हैं।
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पूजा पंडाल के दूसरे हिस्से का बचा हिस्सा
- फोटो : अमर उजाला
भदोही अग्निकांड के प्रत्यक्षदर्शियों ने पूरी घटना का दिल दहलाने वाला मंजर बयां किया है। उन्होंने कहा कि पंडाल में बड़ी संख्या में भक्त मां जगदंबा की आरती कर रहे थे। भक्तों को क्या पाता था कि नवरात्र के मौके पर उन्हें जिंदगी भर का गम मिलने जा रहा है।
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भदोही दुर्गा पूजा पंडाल में लगी आग
- फोटो : अमर उजाला
लोग इससे पहले संभलते कि पूजा पंडाल के जलते हुए पर्दे लोगों के ऊपर गिरने लगे। लकड़ी की जलती हुईं बल्लियां लोगों के ऊपर गिर रही थी और लोग बस बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे। जिस वक्त हादसा हुआ, पंडाल में 150 से ज्यादा श्रद्धालु आरती के लिए जुटे थे। डिजिटल शो भी चल रहा था।
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भदोही में दुर्गा पूजा पंडाल में लगी भीषण आग
- फोटो : अमर उजाला
नरथुआं गांव के लोगों ने बताया कि पंडाल में आग लगने के बाद मची भगदड़ और चीख-पुकार के बीच लोग खुद को बचाने के लिए भागने की होड़ लग गई। गुफानुमा बने पंडाल में में आने-जाने का सिर्फ एक ही रास्ता था। कई लोग एक दूसरे पर गिरे और भीड़ में कुचलते चले गए। करीब तीन घंटे तक चीख-पुकार और भगदड़ की स्थिति बनी रही।