सब्सक्राइब करें

Vrindavan: रजत शेषनाग और स्वर्ण कलश... बांकेबिहारी मंदिर के खजाने में बेशकीमती रत्न, 54 साल बाद खुलेगा तहखाना

संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Fri, 12 Sep 2025 02:15 PM IST
सार

वृंदावन के ठाकुर श्रीबांकेबिहारी जी महाराज के मंदिर के खजाने में पन्ना का मोरनी हार, सहस्त्र फनी रजत शेषनाग और स्वर्णकलश आदि कई कीमती वस्तुएं रखी हैं।

विज्ञापन
Treasure Of Bihariji Is Locked In The Banke Bihari Temple For 54 Years In Vrindavan
Banke Bihari Mandir - फोटो : संवाद

वृंदावन के ठाकुर श्रीबांकेबिहारी जी महाराज के मंदिर में पिछले 54 वर्षों से बंद पड़े तोशखाने (खजाना) का रहस्य वर्षों से गहराया हुआ है। सेवायतों और भक्तों की वर्तमान पीढ़ी के तमाम आग्रह एवं अदालत के प्रयासों के बावजूद खजाना नहीं खोला जा सका है, लेकिन अब मंदिर की हाई पावर्ड मंदिर प्रबंधन कमेटी के आदेश पर इस खजाने को खोला जाएगा, इसके चलते सेवायतों व भक्तों में भारी उत्सुकता जाग उठी है।

loader


इस संदर्भ में ठाकुरजी के सेवायत इतिहासकार आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि वैष्णव परंपरानुसार वर्ष 1864 में निर्मित वर्तमान मंदिर के गर्भगृह श्रीबांकेबिहारी के महाराज के सिंहासन के ठीक नीचे तहखाने में तोशाखाना बनाकर सहस्त्रफ़नी रजत शेषनाग, स्वर्णकलश में नवरत्न एवं बिहारी जी के लिए शहीद हुए गोस्वामी रूपानंद महाराज, मोहनलाल महाराज को समर्पित श्रद्धांजलि उल्लेखपत्र इत्यादि रखे गए थे।

Trending Videos
Treasure Of Bihariji Is Locked In The Banke Bihari Temple For 54 Years In Vrindavan
Banke Bihari Mandir - फोटो : संवाद

अंतिम बार 1971 में खोला गया तोशखाना
इतिहासकार के अनुसार वर्ष 1971 में तत्कालीन मंदिर प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष प्यारेलाल गोयल के नेतृत्व में अंतिम बार तोशखाना खोला गया था। ऐसे में कुछ सामान एक सूची बनाकर संपूर्ण सामान को एक बक्से में सील सहित बंद कर मथुरा की भूतेश्वर स्थित स्टेट बैंक में जमा कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि मौजूदा मंदिर के निर्माण के वक्त इसमें पूजित करके खजाना स्थापित किया गया था। उसके बाद ठाकुरजी पर चढ़ाए गए पन्ना निर्मित मयूराकृति हार सहित अनेक आभूषण, चांदी, सोने के सिक्के, भरतपुर, करौली, ग्वालियर आदि रियासतों द्वारा प्रदत्त दान-सेवा पत्र भी रखे गए थे। श्रीबिहारीजी के दाहिने हाथ की ओर बने दरवाजे से करीब दर्जनभर सीढ़ी उतरने के बाद बायें ओर की तरफ ठाकुरजी के सिंहासन के एकदम बीचोंबीच तोशखाना स्थापित है।

विज्ञापन
विज्ञापन
Treasure Of Bihariji Is Locked In The Banke Bihari Temple For 54 Years In Vrindavan
Banke Bihari Mandir - फोटो : संवाद

ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1926 और 1936 में दो बार चोरी भी हुई थी। इन चोरियों की घटनाओं की रिपोर्ट के चलते 4 लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की गई थी। चोरी के बाद गोस्वामी समाज ने तहखाने का मुख्य द्वार बंद करके सामान डालने के लिए एक छोटा सा मोखा (मुहाना) बना दिया था। वर्ष 1971 अदालत के आदेश पर खजाने के दरवाजे के ताले पर सील लगा दी गई जो आज तक यथावत है। वर्ष 2002 में मंदिर के तत्कालीन रिसीवर वीरेंद्र कुमार त्यागी को कई सेवायतों ने हस्ताक्षरित ज्ञापन देकर तोशखाना खोलने का आग्रह किया था। वर्ष 2004 में मंदिर प्रशासन ने गोस्वामीगणों को निवेदन पर पुनः तोशखाना खोलने के कानूनी प्रयास किए थे, लेकिन वह भी असफल रहे।

Treasure Of Bihariji Is Locked In The Banke Bihari Temple For 54 Years In Vrindavan
Banke Bihari Mandir - फोटो : संवाद
महिला श्रद्धालुओं तक मारपीट कर चुके हैं प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित श्रीबांकेबिहारी मंदिर प्रबंधन हाईपावर्ड कमेटी ने मंदिर व्यवस्थाओं में काफी परिवर्तन किए। इन बदलावों से सीधे तौर पर श्रद्धालुओं को लाभ मिलेगा। कमेटी में मंदिर में तैनात सभी पुलिस कर्मचारी एवं प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड के लिए आदेश जारी किया है कि वह ड्यूटी स्थल से नहीं जाएंगे। अगर वहां दिखे तो एसएसपी विधिक कार्रवाई करेंगे। वहीं वर्तमान में मंदिर सिक्योरिटी में तैनात प्राइवेट कर्मचारियों को बदलते हुए अच्छी प्राइवेट सिक्योरिटी या रिटायर्ड सैनिकों वाली सिक्योरिटी एजेंसी को लगाया जाएगा। दरअसल वर्तमान मंदिर में एक वर्ष से राजस्थान एलाइड सिक्योरिटी एजेंसी के गार्ड तैनात हैं। इन गार्डों को अक्सर श्रद्धालुओं से विवाद हो जाता है। कई बार नौबत मारपीट तक आ पहुंचती है। कई बार सोशल मीडिया पर मारपीट के वीडियो वायरल हुए हैं।



 
विज्ञापन
Treasure Of Bihariji Is Locked In The Banke Bihari Temple For 54 Years In Vrindavan
Banke Bihari Mandir - फोटो : संवाद
आखिरी प्रबंधन कमेटी के कार्यों का होगा ऑडिट
श्री बांकेबिहारी मंदिर की मंदिर प्रबंधन के लिए निर्वाचित कमेटी का आखिरी कार्यकाल सन 2013 से 2016 के बीच ही रहा। उसके बाद चुनाव हुए, लेकिन मामला कोर्ट में चला गया। इस कमेटी के कार्यकाल में जो कार्य किए गए हैं, उसकी अब जांच पड़ताल होगी। हाईपावर्ड कमेटी के इस आदेश के बाद सेवायतों में खामोशी छा गई है। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। दरअसल श्री बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए पहली कमेटी सन 1940 में गठित की गई थी। कमेटी का तीन साल का कार्यकाल होता है। आखिरी कमेटी 2013 से 2016 तक चली। यह कमेटी चुनावों के जरिए बनाई जाती थी। कमेटी की मंदिर की व्यवस्थाओं को देखती थी। आखिरी कमेटी में राजभोग आरती में रजत गोस्वामी और ब्रजबिहारी गोस्वामी और शयनभोग से धनश्याम गोस्वामी और गौरव गोस्वामी थे। बृहस्पतिवार को हुई हाईपावर्ड कमेटी की मीटिंग में ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के प्रांगण में खाली स्थान पर (लगभग 357 गज) पर पूर्व में हुए अधूरे निर्माण में हुई अनियमितताओं पर सवाल उठा तो कमेटी के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सहमति से आखिरी कमेटी के कार्यों का ऑडिट करने के आदेश जारी किए। कमेटी के अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक और सदस्य रिटायर्ड जिला जज मुकेश मिश्रा ने कहा कि सभी मिलकर मंदिर को विश्वपटल पर चमकाने का प्रयास करेंगे। चूंकि ठाकुर जी के भक्त तो विदेशों तक हैं।

 
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed