पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं बुधवार को पूरे दिन करवाचौथ का निर्जला व्रत रखेंगी। दोपहर में करवा चौथ की कथा, रात में आठ बजकर 30 मिनट पर पति को छलनी में चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य देंगी।
ऐसे करें करवाचौथ का पूजन: सुहागिनों में दुल्हन की तरह सजने का क्रेज, बाजार में उमड़ी भीड़, रखेंगी निर्जला व्रत
शामली के पंडित कुशलानंद जोशी के मुताबिक, बुधवार को कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि का मान संपूर्ण दिन और रात को 10 बजकर 59 मिनट तक, मृगशिरा नक्षत्र संपूर्ण दिन और रात में है। इस दिन सर्व सिद्धि का उत्तम योग बन रहा है। इन दोनों शुभ योग से परिवार में शुभता और दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी। चंद्रोदय रात में आठ बजकर 30 मिनट पर होगा। इसी समय व्रती महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ ही पूजन का समापन करेंगी। सुहागिन महिलाएं बायना पूजते हुए सास- ससुर, जेठ से आशीर्वाद लेती हैं।
महाभारत से जुड़ी है मान्यता
महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत जाते हैं। दूसरी और बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आ पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि-विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती हैं, जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं।
ऐसे करें करवाचौथ का पूजन
पंड़ित के अनुसार, सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जल व्रत रख शाम को भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करें। मिट्टी-स्टील का करवा खरीद लें। उसमें लड्डू रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र और दक्षिणा समर्पण करें। सविधि पूजन करें। करवाचौथ की कथा सुने या स्वयं वाचन करें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें। इसके पश्चात ब्राह्मण सुहागिनों को भोजन कराएं, फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें।
बाजार में उमड़ी भीड़
बुधवार को मनाए जाने वाले करवाचौथ की तैयारी के लिए बाजारों में शृंगार सामग्री, चूडी, कंगन, साडी, मेहंदी, मिठाई, फल-सूखे मेवे खरीदने के लिए भीड़ उमड़ पडी। दोपहर बाद सुहागिन महिलाओं ने ब्यूटी पार्लरों में जाकर शृंगार किया और हाथों में मेहंदी रचवाई।