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PHOTOS: नागनथैया...251 डमरूओं की निनाद से गूंजा तुलसीघाट, श्रीकृष्ण की आरती; कदंब की डाल से यमुना में कूदे

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Sun, 26 Oct 2025 01:59 PM IST
सार

काशी की विश्वप्रसिद्ध नाग नथैया का मंचन देखने के लिए विदेशों से भी लोग आए थे। मंचन की शुरुआत होते ही श्रीकृष्ण के जयकारे लगने लगे। डमरूओं की निनाद से पूरा तुलसीघाट गूंज उठा।

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Naganathaya Tulsi Ghat resounds with sound of 251 drums Krishna Aarti jumps into Yamuna
तुलसी घाट पर नाग नथैया का मंचन। - फोटो : अमर उजाला

Varanasi News: श्रीकृष्ण की लीला के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग के फन पर ही वेणुगोपाल की मुद्रा में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। श्रद्धालु भगवान की आरती उतार रहे थे। 251 डमरूओं की निनाद से तुलसीघाट गूंज उठा।

Naganathaya Tulsi Ghat resounds with sound of 251 drums Krishna Aarti jumps into Yamuna
काशीराज परिवार के डॉ. अनंत नारायण सिंह का स्वागत करते महंत प्रो. विश्वंभरनाथ। - फोटो : अमर उजाला

लीला संपन्न होने के बाद घाट से कंधे पर बिठाकर भगवान श्रीकृष्ण को लेकर जब श्रद्धालु चले तो हर कोई उनको छूने और आशीर्वाद पाने के लिए आतुर नजर आया। इसके पूर्व लीला की शुरुआत भगवान गणेश की वंदना के साथ हुई। शाम को 4:15 बजे महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र सपरिवार लीला स्थल पर पहुंचे।

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Naganathaya Tulsi Ghat resounds with sound of 251 drums Krishna Aarti jumps into Yamuna
शंखनाद करते पुरोहित। - फोटो : अमर उजाला

इसके पूर्व काशीराज परिवार के डॉ. अनंत नारायण सिंह भी रामनगर की तरफ से बजड़े पर सवार होकर लीला में परंपरा का निर्वहन करने के लिए पहुंचे। 

Naganathaya Tulsi Ghat resounds with sound of 251 drums Krishna Aarti jumps into Yamuna
लीला के मंचन के लिए जाते पात्र। - फोटो : अमर उजाला

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के नेतृत्व में तुलसीघाट पर आयोजित श्रीकृष्ण लीला देखने के लिए दो बजे से ही लोग पहुंचने लगे। जैसे-जैसे लीला का समय नजदीक आता गया गंगा घाट की सीढ़ियां, आसपास के मकानों के छत, बारजे श्रद्धालुओं से पट गए। 

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Naganathaya Tulsi Ghat resounds with sound of 251 drums Krishna Aarti jumps into Yamuna
लीला के लिए मंत्रोच्चार करते पुरोहित। - फोटो : अमर उजाला

नटखट कान्हा अपने बाल सखाओं के साथ  यमुना के किनारे कंदुक (गेंद) खेलने लगे। मृदंग की थाप और मंजीरे की झंकार के बीच गेंद अचानक यमुना नदी में चली गई। जिद करने लगे। 

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